मदर्स ऑफ़ इण्डिया' पार्ट-5: 'मैं एक ऐसा काम करती हूं जो सिर्फ अपनी बेटी को बता पायी हूं'

अपने बच्चों की परवरिश के लिए क्या-क्या करती हैं माएं? महिला दिवस के उपलक्ष्य में गांव कनेक्शन की विशेष सीरीज में मिलिए कुछ ऐसी मांओं से जो अपने परिवार के लिए दहलीज़ लांघकर, लीक से हटकर काम कर रही हैं। आज मिलिए उस मां से जो एक सेक्स वर्कर है ...

Neetu SinghNeetu Singh   7 March 2020 10:23 PM GMT

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मदर्स ऑफ़ इण्डिया पार्ट-5: मैं एक ऐसा काम करती हूं जो सिर्फ अपनी बेटी को बता पायी हूं

दिल्ली। निशा (बदला हुआ नाम) एक सेक्स वर्कर है ये बात सिर्फ उनकी बेटी को पता है।

"एक दिन बहुत हिम्मत करके मैंने अपनी बेटी से कहा, 'जिन पैसों से तुम पढ़ाई करती हो वो पैसे मैं किसी के साथ सोकर कमाती हूँ'. निशा के चेहरे पर उदासी थी, "पर उसे मेरी बातों पर यकीन नहीं हुआ. उसे लगा मैं उससे झूठ बोल रही हूँ ताकि वो मेहनत से पढ़े।"

ये बात उन्होंने अपनी बेटी को तब बताई जब वो सोशल वर्क की पढ़ाई के लिए कॉलेज में दाखिला लेने वाली थी। निशा अपनी बेटी में बदलाव के तमाम सपने देखती हैं।

बेटी को क्यों बताया पूछने पर निशा कहती हैं, "मैं नहीं चाहती थी मेरी तरह बेटी की भी जिंदगी बर्बाद हो। उसे पता होना चाहिए था जिन पैसों से उसके स्कूल की फीस जाती है, वो कितनी मुश्किल से आए हैं। अगर वो पढ़-लिखकर अच्छी समाज सेविका बन गयी तो मैं सब भूल जाऊंगी।"


इस माँ की कहानी चकाचौंध से भरे दिल्ली शहर की है। निशा को बच्चों की परवरिश के लिए वो दुनिया चुननी पड़ी जो रहस्यों भरी होती है। इस दुनिया का अंदाजा लोग अपने-अपने हिसाब से लगाते हैं।

दिल्ली के एक रेस्टोरेंट में बैठी निशा अपनी जिस्मफरोशी की दुनिया के किस्से एक-एक करके बता रहीं थीं।

"इस काम को चुनना मेरे लिए मुश्किल फैसला था पर क्या करती? शराबी पति की रोज मार खाती थी। घर में बच्चे छोटी-छोटी चीजों के लिए दूसरों का मुंह ताकते थे," निशा के चेहरे पर उदासी थी, "पति अपनी शराब पीने भर का ही कमाता था। बच्चों को पेट कहां से भर्ती? पढ़ाना भी था उन्हें। उस समय ये काम चुनना मेरी मजबूरी कहिए या मर्जी।"

निशा ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर्स से जुड़ी एक महिला हैं। इस संगठन में देश के 16 राज्यों की दो लाख महिलाएं शामिल हैं। इस संगठन में विभिन्न इलाकों, जाति-धर्म और संप्रदाय से जुड़े कम्यूनिटी बेस्ड 90 से ज्यादा संगठन शामिल हैं।

"सेक्स वर्कर के बारे में जानने के लिए किसी के पास फुर्सत कहाँ? तभी तो लोग हमारे बारे में केवल अनुमान लगा पाते हैं। इस पेशे में ज्यादातर प्रताड़ित महिलाएं ही होती हैं," निशा ने कहा, "ये भी सच है इस पेशे में आने के बाद इससे निकलना मुश्किल काम है।"


दिल्ली में जन्मीं पांच भाई-बहनों में निशा चौथे नम्बर की हैं। जब ये महज 10 साल की थीं तभी इनकी माँ का देहांत हो गया। गरीबी के चलते इनकी 17 साल की उम्र में शादी हो गयी। मजदूर पति शराब के नशे में ऐसे खोया कि निशा को मजबूरन ईंटा-गारा ढोकर बच्चों का पेट भरना पड़ा।

"दिल्ली जैसे शहर में 10 साल पहले कई तरह के काम किये। पर महीने का 5,000 से ज्यादा नहीं कमा पाती थी। सास-ससुर और तीन बच्चों का खर्चा इतने में नहीं चलता था," पानी का एक घूँट पीते हुए निशा बोलीं।

ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर्स की अध्यक्ष कुसुम गाँव कनेक्शन को फोन पर बताती हैं, "सेक्स वर्कर के पेशे में महिलाएं और लड़कियां आती तो मजबूरी में हैं लेकिन होती उनकी मर्जी है। इसलिए उनके काम को पेशे का दर्जा दिया जाए जिससे वो सम्मान के साथ जी सकें।" वो आगे कहती हैं, "संगठन में जितनी भी महिलाएं हैं उनमें से ज्यादातर शारीरिक और मानसिक शोषण का शिकार हो चुकी हैं। जब वो ऐसे शोषण का शिकार हो चुकी हैं तो अपने मन से काम क्यों नहीं कर सकती हैं?"

निशा अब अपने काम से खुश हैं। पैसे इतने कमाए कि अपनी बेटी को दिल्ली के एक अच्छे कॉलेज से सोशल वर्क का कोर्स करा रही हैं ताकि वो समाज में वो बदलाव कर सके जिसे उन्होंने जिया है।

"इस पेशे में आने के पीछे कई वजहें होती हैं पर कोई इसकी तह तक नहीं जाता। बहुत आसान है ये कहना, 'ज्यादा पैसों के लिए औरतें इस काम में आती हैं.' निशा के इन शब्दों में नाराजगी थी, "हम कितनी भी तकलीफ में रहें पर हमारा पति हमारे साथ लेटना अपना अधिकार समझता है। उसी हमारी पीड़ा से कोई मतलब नहीं रहता।"

एक सेक्स वर्कर की कामकाजी उम्र कुछ ही वर्षों की होती है। निशा की उम्र ज्यादा तो नहीं है लेकिन उनके मुताबिक शरीर अब वैसा 'बिकाऊ' नहीं रहा है। अब वो ग्राहकों की पहली पसंद नहीं हैं।

निशा अपने धंधे की परते खोलती हैं, "हर आदमी को सुंदर और कम उम्र की लड़की चाहिए। वैसे भी ग्राहक हर बार नई लड़की चाहता है। हां कुछ लोगों को हमसे प्यार हो जाता है तो वो जरुर लगातार आते रहते हैं।"

"हमें बुलाने वाले ज्यादातर लोग उम्रदराज, रिटायर्ड लोग होते हैं, लेकिन सबकी चाहत 16 साल की लड़की की होती है। यहां लड़की की उम्र, उसकी फिटनेस और रंग के हिसाब से पैसे मिलते हैं। औसतन 200 से 2000 रुपए तक एक बार में मिल जाते हैं।" निशा ने बताया।

इस तरह का पेशा और परिवार को कैसे संभालती हैं पूछने पर निशा का गला भर्रा आया।

"हर वक्त डर बना रहता है कोई देख न ले, किसी को पता न चल जाए। अगर किसी को पता चला तो लोग क्या कहेंगे? बच्चों का क्या होगा? तमाम नये नाम मिल जाएंगे हमें?" निशा ने बताया।

निशा अपने बच्चों के लिए माँ और पिता दोनों की जिम्मेदारी निभाती हैं क्योंकि उनके पति का जब मन होता है आ जाते हैं जब नहीं होता तो सालों गायब रहते हैं। पिछले छह-सात महीने से उनके पति घर नहीं आयें हैं निशा अपने सास-ससुर के साथ रहती हैं।

"मैं नहीं चाहती वो कभी घर आएं। नशे में बहुत गन्दी हरकते करते हैं। बच्चे बड़े हो गये बहुत शर्म आती है, जब वो साथ में लेटने के लिए कहता है," निशा ने बताया, "घर में दो ही कमरे हैं एक में सास ससुर और एक हम अपने बच्चों के साथ रहते हैं। पति की बस एक जरूरत है कि हम उसके साथ रोज लेटें। अब मुझसे नहीं होता।"

निशा के मोहल्ले और रिश्तेदारों के लिए वो एक चली फिरी महिला के तौर पर देखी जाती हैं। लोगों को लगता है वो आधार कार्ड, राशन कार्ड बनवाने का काम करती हैं।

निशा अपने पेशे में शामिल कई लड़कियों की तकलीफ बताती हैं, "ग्राहक नहीं चाहते कोई भी लड़की या महिला गर्भनिरोधक चीजों का इस्तेमाल करें। मना करने पर वो नहीं मानते। वो इसके अलग से बढ़ाकर कुछ पैसे दे देते हैं।"

इस पेशे में आये ज्यादातर लोग शारीरिक समस्याओं में फंस जाते हैं।

"अगर हम चेकअप के लिए हॉस्पिटल गए और एड्स पॉजिटिव पाया गया तो अस्पताल वाले बुरा सलूक करते हैं। घर वाले घर से निकाल देते हैं, अगर कोई नौकरी पेशा है तो उसका दफ्तर नौकरी से निकाल देता है," निशा ने अपने पेशे की मजबूरी बताई।

इस काम को पुलिस की नजरों में गलत माना जाता है।

निशा ने बताया, "अगर हम दलाल के जरिए जाते हैं और अगर एक रात के 5,000 रुपए लिए गए हैं तो मुझे 1,000 से 2,000 रुपए ही मिलते हैं। वो हमेशा पुलिस का डर दिखाते हैं। हमसे कहा जाता है, अगर अपने मन से गई तो पता नहीं जिंदा आओगी भी या नहीं।"

निशा के दोनों बेटों ने दसवीं तक ही पढ़ाई की क्योंकि उनकी पढ़ने में ज्यादा रूचि नहीं थी। अब दोनों एक प्राईवेट फैक्ट्री में नौकरी कर रहे हैं। बेटी मेहनत से पढ़ाई करती है।

"पति की हरकतों की वजह से घर का माहौल अच्छा नहीं रहता है। पर फिर भी बेटी मन से पढ़ती है। मुझे अपनी बेटी पर पूरा भरोसा है वो एक दिन समाज में बड़ा बदलाव करेगी क्योंकि उसने मुझे बेवजह पिटते हुए सैकड़ों बार देखा है।" ये कहते हुए निशा की आँखों में आंसू थे।


    

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