छत्तीसगढ़ के बाद उत्तर प्रदेश में दिखा अमेरिका का खतरनाक कीट फॉल आर्मी वर्म

Divendra Singh | Apr 27, 2019, 07:17 IST

लखनऊ। तीन साल पहले अफ्रीका में मक्के की खेत में तबाही मचाने वाला कीट फॉल आर्मी वर्म कर्नाटक और तमिलनाडू, छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के बाद उत्तर प्रदेश के कन्नौज में मक्का की फसल में दिखा है। ये कीट एक दर्जन से अधिक तरह की फसलों को बर्बाद कर सकता है।

क्षेत्रीय केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, लखनऊ के वैज्ञानिकों ने यूपी के कन्नौज जिले में फसल निगरानी और सर्वेक्षण के दौरान मक्का की फसल में फॉल आर्मी वर्म को देखा है।

दो साल पहले अफ्रीका में इस कीट को देखा गया था। आकार में ये कीट भले ही छोटे हों, लेकिन ये इतनी जल्दी अपनी आबादी बढ़ाते हैं कि देखते ही देखते पूरा खेत साफ कर सकते हैं। यही वजह है कि पिछले दो वर्षों में अफ्रीका में ज्वार, सोयाबीन आदि की फसल के नष्ट हो जाने से करोड़ों का नुकसान हुआ। इस कीट के प्रकोप से परेशान श्रीलंका ने अपने देश मे मक्के की फसल के उत्पादन और इम्पोर्ट पर रोक लगा दी है।

इसके लार्वा मक्का, चावल, ज्वार, गन्ना, गोभी, चुकंदर, मूंगफली, सोयाबीन, प्याज, टमाटर, आलू और कपास सहित कई फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। क्योंकि इन कीटों को खत्म करने के लिए संसाधन उपलब्ध नहीं रहते हैं, इसलिए इन्हें खत्म करना आसान नहीं होता है।



वनस्पति सरंक्षण अधिकारी प्रदीप कुमार कहते हैं, "कन्नौज में ये कीट मक्का के बीज के साथ आ गए होंगे, यहां के बीज विक्रेता तेलांगना से बीज मंगाते हैं, तो हो सकता है कि ये कीट वहीं से बीज के साथ आ गए हों। क्योंकि ये बहुत खतरनाक कीट होते हैं, इसलिए समय रहते इनकी रोकथाम कर लेनी चाहिए।"

पहचान और लक्षण:

इस कीट की मादा ज्यादातर पत्तियों के निचली सतह पर समूह में अंडे देती हैं, कभी-कभी पत्तियों के ऊपरी सतह और तना पर भी अंडे दे देती हैं। इसकी मादा एक से ज्यादा परत में अंडे देकर सफ़ेद झाग से ढक देती हैं या खेत में कीट के अंडे को बिना झाग के भी देखा जा सकता है। इसके अंडे क्रीमिस से हरे व भूरे रंग के होते हैं।

ऐसे करें पहचान

सबसे फॉल आर्मी वर्म और सामान्य सैन्य कीट में अंतर को किसानों को समझना अत्यंत जरूरी है। फॉल आर्मी वर्म कीट की पहचान यह है, कि इसका लार्वा भूरा, धूसर रंग का होता है, जिसके शरीर के साथ अलग से टयूबरकल दिखता है। इस कीट के लार्वा अवस्था में पीठ के नीचे तीन पतली सफेद धारियां और सिर पर एक अलग सफेद उल्टा अंग्रेजी शब्द का 'वाई'(Y)दिखता है एवं इसके शरीर के दुसरे अंतिम खंड (सेगमेंट) पर वर्गाकार चार बिंदु दिखाई देते है और अन्य खंड पर चार छोटे-छोटे बिंदु समलम्ब आकार में व्यवस्थित होते है। यह कीट फसल के लगभग सभी अवस्थाओं को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन मक्का इस कीट का रुचिकर फसल है। यह कीट मक्का के पत्तों के साथ-साथ बाली को विशेष रूप से प्रभावित करता है। इस कीट का लार्वा मक्के के छोटे पौधा के डंठल आदि के अंदर घुसकर अपना भोजन प्राप्त करते हैं।



नुकसान

इस कीट का प्रथम अवस्था सुंडी ज्यादा नुकसानदायक होता है। इसके प्रथम अवस्था सुंडी ज्यादातर पत्तियों के उपरी सतह को खुरचकर खाता है और सिल्क धागा (बैलूनिंग) बनाकर हवा के झोंके के माध्यम से एक पौधे से दूसरे, तीसरे पौधे तक पहुचता है, जिसके कारण कीट की तीव्रता तेजी से 100 % तक पहुच जाता है एवं फसल चौपट होने की स्थिति में आ जाती है।

प्रबंधन:

इस कीट का प्रबंधन एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन के तहत प्रारम्भिक अवस्था में अत्यधिक कारगर है।

1) फसल की निगरानी एवं सर्वेक्षण नियमित करें।

2)अंड परजीवी जैसे 2 से 5 ट्राईकोग्रामा कार्ड और टेलोनोमस रेमस को नियमित रूप से खेत में छोड़े।

3)एन.पी.वी. 250 एल.ई., मेटारिजियम अनिसोप्ली और नोमेरिया रिलाई आदि जैविक कीटनाशकों समय से प्रयोग करें।

4)यांत्रिक विधि के तौर पर संध्या काल (7 से 9 बजे तक) में 3 से 4 की संख्या में प्रकाश प्रपंच एवं बर्ड पर्चर 6 से 8 की संख्या में प्रति एकड़ स्थापित करें।

5)रासायनिक कीटनाशक के तौर पर सी.आई.बी.आर.सी. फ़रीदाबाद द्वारा अनुमोदित डाईमेथेओएट 30 % E.C. थायामेंथोक्जम 12.6% +लैम्ब्डा स्यहेलोथ्रिन 9.5% Z.C. का प्रयोग सही समय पर, सही मात्रा में, सही यंत्र से एवं सही विधि से करें।

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