सीतापुर के किसानों को भा रही मूंगफली की खेती, बढ़ा रहा रकबा

Divendra Singh | Sep 07, 2019, 13:36 IST

सीतापुर के किसानों को भा रही मूंगफली की खेती: पिछले कुछ वर्षों में यहां किसान मूंगफली खेती छोड़ गन्ने की खेती करने लगे थे, अब एक बार फिर किसान मूंगफली खेती की तरफ लौट रहे हैं और बढ़िया मुनाफा भी कमा रहे हैं।

सीतापुर (उत्तर प्रदेश)। पिछले कुछ वर्षों में यहां किसान मूंगफली खेती छोड़ गन्ने की खेती करने लगे थे, अब एक बार फिर किसान मूंगफली खेती की तरफ लौट रहे हैं और बढ़िया मुनाफा भी कमा रहे हैं।

कृषि विज्ञान केंद्र कटिया द्वारा भारतीय मूंगफली अनुसन्धान निदेशालय, जूनागढ़, गुजरात के तकनीकी सहयोग से पिछले तीन वर्षों से चलाया जा रहा मूंगफली विकास कार्यक्रम का दायरा अब उन आंकड़ों को छूने लगा है जो दशकों पूर्व हुआ करता था।

क्षेत्र में लगी हुई फसल का निरीक्षण करने आये हुए मूंगफली निदेशालय जूनागढ़ के प्रधान वैज्ञानिक डॉ राम दत्ता जिनके अथक प्रयास व प्रयत्नों के माध्यम से ही यह कार्यक्रम जनपद में लाया जा सका बताते हैं, "जब हम साल 2017 में क्षेत्र में देख रहे थे तब यहां के किसान मूंगफली की खेती नहीं करना चाहते थे, लेकिन कुछ उत्साही किसान भी मिले, जिससे लगा कि शायद यहां भी किसान मूंगफली खेती करने लगे। इस में कृषि विज्ञान केंद्र ने हमारी बहुत मदद की।



मूंगफली खरीफ और जायद दोनों मौसम की फसल है, मूंगफली की फसल हवा और बारिश से मिट्टी कटने से बचाती है। खरीफ की आपेक्षा जायद में कीट और बीमारियों का प्रकोप कम होता है। प्रदेश में यह झांसी, हरदोई, सीतापुर, खीरी, उन्नाव, बरेली, बदायूं, एटा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, मुरादाबाद, और सहारनपुर के अधिक क्षेत्रफल में उगाई जाती है।

केंद्र के प्रसार वैज्ञानिक व कार्यक्रम प्रभारी शैलेन्द्र सिंह बताते हैं, "मूंगफली 90 से 100 दिनों में कम लागत में अधिक लाभ देने वाली फसल है, केंद्र द्वारा प्रसारित की जा रही प्रजाति उत्तर प्रदेश के लिए संस्तुत प्रजाति है। इसकी पैदावार 25-30 कुंतल प्रति हेक्टेयर ली जा सकती है। इस प्रजाति में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक है, जल्दी पक जाती है जिससे किसान भाइयों को अगली फसल की तैयारी के लिए समय मिल जाता है।

उन्होंने कहा की यह प्रजाति एकल के साथ-साथ सहफसल में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही है। बसंतकाल में गन्ने के साथ और वरसात में केला के साथ अच्छा परिणाम मिलने के कारण क्षेत्र विस्तार तेजी से हुआ है।

कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक व अध्यक्ष डॉ आनंद सिंह बताते हैं, "सरकारी आकड़ों की माने तो साल 2010 तक जनपद में मूंगफली का क्षेत्र लगभग 1662 था जो साल 2016 तक घटते-घटते लगभग 680.5 हेक्टेयर हो गया था। साल 2016 से मूंगफली विकास कार्यक्रम की शुरूआत जिले में की गई, तब से अच्छे परिणाम आए हैं, साल 2019 में लगभग 1500 हेक्टेयर फसल की उम्मीद है।

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