ICRISAT की मूंगफली अनुसंधान में बड़ी उपलब्धि: 20 साल में 25–27 किग्रा प्रति हेक्टेयर तक बढ़ी उपज
Gaon Connection | Nov 13, 2025, 15:51 IST
मूंगफली न केवल खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए अहम फसल है, बल्कि यह भारत समेत कई देशों में खाद्य तेल का प्रमुख स्रोत भी है। ऐसे में इस फसल की उत्पादकता में वृद्धि का सीधा असर लाखों छोटे किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।
हैदराबाद स्थित अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) ने मूंगफली की उत्पादकता में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज करते हुए एक नया मानदंड स्थापित किया है। हाल ही में प्रकाशित अध्ययन ने “रीअलाइज़्ड जेनेटिक गेन (RGG)” के माध्यम से यह आकलन किया कि पिछले 15–20 वर्षों में मूंगफली की ब्रीडिंग में किस तरह लगातार सुधार हुआ है।
निरंतर सुधार का प्रमाण
अध्ययन के अनुसार, ICRISAT द्वारा विकसित मध्यम अवधि वाली किस्मों में प्रति वर्ष औसतन 27 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर और देर से पकने वाली किस्मों में 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की उपज वृद्धि दर्ज की गई। यह उपलब्धि बताती है कि आनुवंशिक सुधार किस तरह खेतों की वास्तविक उपज में तब्दील हो रहे हैं।
डॉ. हिमांशु पाठक, महानिदेशक, ICRISAT ने कहा, “जो मापा नहीं जा सकता, उसे सुधारा भी नहीं जा सकता। यह अध्ययन हमारी ब्रीडिंग रणनीतियों को और सटीक दिशा देने में मदद करेगा ताकि भविष्य के लिए तैयार किस्में विकसित की जा सकें।”
दशकों से किसानों तक पहुँचती नई किस्में
1976 में शुरुआत के बाद से ICRISAT ने 39 देशों में 240 से अधिक उन्नत मूंगफली किस्में जारी की हैं, जिनसे एशिया और अफ्रीका के लाखों किसान लाभान्वित हुए हैं। भारत में राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (NARS) के साथ साझेदारी में संस्थान ने पहली हाई ओलिक एसिड वाली किस्में — ICGV 15083 (गिरनार 4) और ICGV 15090 (गिरनार 5) — विकसित कीं।
इन किस्मों में तेल की गुणवत्ता और शेल्फ लाइफ बेहतर है, जिससे भारत के मूंगफली निर्यात को भी मजबूती मिली है।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष
अध्ययन में ICRISAT की दो प्रमुख बाज़ार किस्मों — Spanish Bunch और Virginia Bunch — को लेकर तीन प्रमुख गुणों का मूल्यांकन किया गया:
फली की उपज
शेलिंग प्रतिशत
बीज का वजन
1988 से अब तक के डेटा का विश्लेषण करते हुए पाया गया कि लंबे समय तक चली सतत ब्रीडिंग से स्थायी आनुवंशिक प्रगति संभव हुई है।
भविष्य की दिशा: डेटा और तकनीक आधारित ब्रीडिंग
ICRISAT अब अपनी ग्राउंडनट ब्रीडिंग को डेटा-संचालित दृष्टिकोण की ओर बढ़ा रहा है, जिसमें जीनोमिक चयन (genomic selection), आधुनिक फेनोटाइपिंग, डेटा एनालिटिक्स और मशीन लर्निंग का समावेश होगा।
डॉ. जनीला पसुपुलेटी, प्रमुख वैज्ञानिक (मूंगफली ब्रीडिंग) ने कहा, "हम अब कम्प्यूटेड टोमोग्राफी और जीनोमिक चयन जैसी उन्नत तकनीकों को जोड़कर तेज़ और अधिक सटीक ब्रीडिंग की दिशा में काम कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य ऐसी मूंगफली किस्में विकसित करना है जो उच्च उपज के साथ-साथ पोषण में बेहतर, कीट और सूखा-प्रतिरोधी हों।”
किसानों के लिए क्या मायने रखता है यह सुधार
ICRISAT के उप महानिदेशक (अनुसंधान एवं नवाचार) डॉ. स्टैनफोर्ड ब्लेड ने कहा कि हर प्रतिशत उपज वृद्धि सिर्फ आर्थिक लाभ नहीं है, बल्कि यह किसानों की थाली में अधिक भोजन और उनके घर की आमदनी में इज़ाफ़ा भी है।”
यह अध्ययन दर्शाता है कि निरंतर अनुसंधान, सटीक मूल्यांकन और तकनीक के समन्वय से फसल सुधार के प्रयास जमीनी स्तर पर किसानों की ज़िंदगी बदल सकते हैं। ICRISAT की यह पहल न केवल भारत बल्कि पूरे अर्ध-शुष्क विश्व के लिए कृषि सुरक्षा का एक मजबूत आधार तैयार कर रही है।
ये हैं प्रमुख मूंगफली उत्पादक राज्य
वर्ष 2023–24 के ताज़ा आकलन के अनुसार भारत में लगभग 86.75 लाख टन मूंगफली का उत्पादन हुआ। देश में मूंगफली मुख्य रूप से गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में उगाई जाती है, जहाँ इसका उपयोग खाद्य तेल, पशु चारा और प्रोटीन स्रोत के रूप में होता है।
गुजरात मूंगफली उत्पादन में भारत का निर्विवाद अग्रणी राज्य है, जो देश के कुल उत्पादन का लगभग 46% हिस्सा अकेले देता है। इसके बाद राजस्थान लगभग 16%, तमिलनाडु लगभग 10%, आंध्र प्रदेश लगभग 8.5%, और कर्नाटक करीब 5% योगदान देते हैं। अन्य प्रमुख उत्पादक राज्यों में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल शामिल हैं, जिनका सम्मिलित योगदान लगभग 10% के आसपास है।
फोटो और लेख साभार: ICRISAT
हैदराबाद स्थित अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) ने मूंगफली की उत्पादकता में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज करते हुए एक नया मानदंड स्थापित किया है। हाल ही में प्रकाशित अध्ययन ने “रीअलाइज़्ड जेनेटिक गेन (RGG)” के माध्यम से यह आकलन किया कि पिछले 15–20 वर्षों में मूंगफली की ब्रीडिंग में किस तरह लगातार सुधार हुआ है।
निरंतर सुधार का प्रमाण
अध्ययन के अनुसार, ICRISAT द्वारा विकसित मध्यम अवधि वाली किस्मों में प्रति वर्ष औसतन 27 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर और देर से पकने वाली किस्मों में 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की उपज वृद्धि दर्ज की गई। यह उपलब्धि बताती है कि आनुवंशिक सुधार किस तरह खेतों की वास्तविक उपज में तब्दील हो रहे हैं।
डॉ. हिमांशु पाठक, महानिदेशक, ICRISAT ने कहा, “जो मापा नहीं जा सकता, उसे सुधारा भी नहीं जा सकता। यह अध्ययन हमारी ब्रीडिंग रणनीतियों को और सटीक दिशा देने में मदद करेगा ताकि भविष्य के लिए तैयार किस्में विकसित की जा सकें।”
दशकों से किसानों तक पहुँचती नई किस्में
1976 में शुरुआत के बाद से ICRISAT ने 39 देशों में 240 से अधिक उन्नत मूंगफली किस्में जारी की हैं, जिनसे एशिया और अफ्रीका के लाखों किसान लाभान्वित हुए हैं। भारत में राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (NARS) के साथ साझेदारी में संस्थान ने पहली हाई ओलिक एसिड वाली किस्में — ICGV 15083 (गिरनार 4) और ICGV 15090 (गिरनार 5) — विकसित कीं।
इन किस्मों में तेल की गुणवत्ता और शेल्फ लाइफ बेहतर है, जिससे भारत के मूंगफली निर्यात को भी मजबूती मिली है।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष
अध्ययन में ICRISAT की दो प्रमुख बाज़ार किस्मों — Spanish Bunch और Virginia Bunch — को लेकर तीन प्रमुख गुणों का मूल्यांकन किया गया:
फली की उपज
शेलिंग प्रतिशत
बीज का वजन
1988 से अब तक के डेटा का विश्लेषण करते हुए पाया गया कि लंबे समय तक चली सतत ब्रीडिंग से स्थायी आनुवंशिक प्रगति संभव हुई है।
भविष्य की दिशा: डेटा और तकनीक आधारित ब्रीडिंग
ICRISAT अब अपनी ग्राउंडनट ब्रीडिंग को डेटा-संचालित दृष्टिकोण की ओर बढ़ा रहा है, जिसमें जीनोमिक चयन (genomic selection), आधुनिक फेनोटाइपिंग, डेटा एनालिटिक्स और मशीन लर्निंग का समावेश होगा।
डॉ. जनीला पसुपुलेटी, प्रमुख वैज्ञानिक (मूंगफली ब्रीडिंग) ने कहा, "हम अब कम्प्यूटेड टोमोग्राफी और जीनोमिक चयन जैसी उन्नत तकनीकों को जोड़कर तेज़ और अधिक सटीक ब्रीडिंग की दिशा में काम कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य ऐसी मूंगफली किस्में विकसित करना है जो उच्च उपज के साथ-साथ पोषण में बेहतर, कीट और सूखा-प्रतिरोधी हों।”
किसानों के लिए क्या मायने रखता है यह सुधार
ICRISAT के उप महानिदेशक (अनुसंधान एवं नवाचार) डॉ. स्टैनफोर्ड ब्लेड ने कहा कि हर प्रतिशत उपज वृद्धि सिर्फ आर्थिक लाभ नहीं है, बल्कि यह किसानों की थाली में अधिक भोजन और उनके घर की आमदनी में इज़ाफ़ा भी है।”
यह अध्ययन दर्शाता है कि निरंतर अनुसंधान, सटीक मूल्यांकन और तकनीक के समन्वय से फसल सुधार के प्रयास जमीनी स्तर पर किसानों की ज़िंदगी बदल सकते हैं। ICRISAT की यह पहल न केवल भारत बल्कि पूरे अर्ध-शुष्क विश्व के लिए कृषि सुरक्षा का एक मजबूत आधार तैयार कर रही है।
ये हैं प्रमुख मूंगफली उत्पादक राज्य
वर्ष 2023–24 के ताज़ा आकलन के अनुसार भारत में लगभग 86.75 लाख टन मूंगफली का उत्पादन हुआ। देश में मूंगफली मुख्य रूप से गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में उगाई जाती है, जहाँ इसका उपयोग खाद्य तेल, पशु चारा और प्रोटीन स्रोत के रूप में होता है।
गुजरात मूंगफली उत्पादन में भारत का निर्विवाद अग्रणी राज्य है, जो देश के कुल उत्पादन का लगभग 46% हिस्सा अकेले देता है। इसके बाद राजस्थान लगभग 16%, तमिलनाडु लगभग 10%, आंध्र प्रदेश लगभग 8.5%, और कर्नाटक करीब 5% योगदान देते हैं। अन्य प्रमुख उत्पादक राज्यों में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल शामिल हैं, जिनका सम्मिलित योगदान लगभग 10% के आसपास है।
फोटो और लेख साभार: ICRISAT