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Manisha Kulshreshtha
मनीषा कुलश्रेष्ठ हिंदी की लोकप्रिय कथाकार हैं। गांव कनेक्शन में उनका यह कॉलम अपनी जड़ों से दोबारा जुड़ने की उनकी कोशिश है। अपने इस कॉलम में वह गांवों की बातें, उत्सवधर्मिता, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगी।


दिवाली का मतलब सिर्फ रोशनी और खरीदारी नहीं, एक दीप प्रकृति के लिए भी जलाइए...
एक समय था जब त्यौहार का अर्थ होता था मेल मिलाप , छुट्टियां और छुट्टियों में जाना नानी के घर । त्योहारों का अर्थ होता था घर के फालतू सामान निकाल कर कर गरीबों को देना। सफाई करना , अपने हाथों से...
Manisha Kulshreshtha 26 Oct 2019 8:45 AM GMT

फ़िराक की रुबाइयों में सांस लेती है भारतीयता
'रूप' फ़िराक़ की रुबाइयों का संग्रह है जिसमें भारतीय हिन्दू स्त्री का व्यक्तित्व पहली बार उर्दू शायरी में ढला। इस लोकप्रिय तथा खूबसूरत, संगीतमय पुस्तक का सूत्रपात द्वितीय विश्वयुद्ध के अंतिम दिनों...
Manisha Kulshreshtha 28 Aug 2019 6:58 AM GMT

विश्व गौरैया दिवस: प्यार से पुकारो तो सही, लौट आएगी गौरेया और संग ले आएगी बचपन
किस-किस को याद है, दादी का, नानी मां का, अम्मा का रोटी बनाते में, आटे की लोई से चिड़िया बना कर देना? जिसकी टांगे झाड़ू की सींक से बनती थीं? मैं अपनी चिड़िया कभी सेंकने न देती। मेरा भाई सेंक कर घी...
Manisha Kulshreshtha 20 March 2019 5:00 AM GMT

छत्तीसगढ़िया गांव: यहां बारहों महीने है तीज–त्यौहार का मौसम
नमस्ते ! राम राम!मैं थोड़े ही दिन पहले घूम कर आई हूं। यादें ताजा हैं, तो सोचा चलो आपसे बांट लें। अरे! बड़ा आनंद रहा। गांव जैसे गांव। सजीले कच्चे घर। धान से भरे कुठार। अब सरगुजा इलाका तो है ही 'धान का...
Manisha Kulshreshtha 15 Feb 2019 10:30 AM GMT

सबसे ज्यादा फिल्में बनाने वाले देश में गांव के बच्चों के लिए फिल्मों का अकाल क्यों है
एक ओर भारत एक साल में सबसे ज्यादा फिल्मों के निर्माण के लिये प्रसिद्ध है, हर साल अलग-अलग भाषाओं में लगभग 1000 फिल्में यहां बनती हैं। लेकिन हमारे बच्चे 8-10 अच्छी बाल फिल्मों के लिए भी तरस जाते हैं।...
Manisha Kulshreshtha 8 Feb 2019 8:00 AM GMT

तिब्बत के गांव: अभावग्रस्त और दुर्गम मगर जहां मेहनतकश लोग रहते हैं
हर देश का चेहरा भले शहर होते हों, मगर देश की रीढ़ तो गांव ही होते हैं। गांव ही हैं जहां कृषि, पशुपालन, नदियां, तालाब और बांध होते हैं। बिजली भी दूरस्थ इलाकों में बनती है। देश की अर्थव्यवस्था में भी...
Manisha Kulshreshtha 5 Feb 2019 6:30 AM GMT

कामायनी: आज के मानव जीवन को उसके समूचे परिवेश में प्रस्तुत करने वाला महाकाव्य
'कामायनी' जयशंकर प्रसाद कृत ऐसा महाकाव्य है जो सदैव मानव जीवन के लिए एक प्रेरणा बन कर रहेगा। कामायनी सदा से मेरी प्रिय पुस्तकों में से एक रही है। इसे मैंने कई बार पढ़ा‚ मुझे हर बार इसमें नए अर्थ मिले...
Manisha Kulshreshtha 15 Nov 2018 5:36 AM GMT

Sparrow In My Childhood Memories
Do you remember the time your dadi, nani or amma, would be making rotis. And just to distract you when you tried to get their attention, they would give you a little bird fashioned out of dough? Twigs...
Manisha Kulshreshtha 7 Oct 2018 6:35 AM GMT

जैसलमेर का सोनार किला जैसे रेत में गिरा कोई स्वर्ण मुकुट
पश्चिमी राजस्थान का रेतीला विस्तार है थार। थार की एक स्वर्णिम कल्पना है जैसलमेर। जैसलमेर का समुद्र सा फैला यह रेतीला विस्तार ही इसे दूसरे पर्यटन स्थलों से अलग करता है। जैसलमेर एक संक्षिप्त सा शहर है,...
Manisha Kulshreshtha 26 Sep 2018 12:47 PM GMT

रसोई बदली, भोजन बदला, बिगड़ी जीवनशैली ने बनाया रोगी
एक समय था भारत में शाकाहारी लोगों की संख्या अधिक थी। शराब का चलन हिन्दू‚ सिख और मुस्लिम सभी में निषिद्ध था। भोजन में हमेशा दाल‚ चावल‚ रोटी सब्जी‚ दही या छाछ और सलाद एक आम व्यक्ति को भी सहज सुलभ था।...
Manisha Kulshreshtha 20 Sep 2018 7:09 AM GMT

वे पगडंडियां ही क्या, जहां से होकर कठपुतली वाला न गुजरा हो
गांव की वे पगडंडियां ही क्या, जहां से कठपुतली वाला न गुज़रा हो। जिन पर से कठपुतली का खेल देखने बच्चे न दौड़े हों। बच्चे ही क्यों, घर का काम निपटा गृहणियां, खेत–ज्वार से निकल कर आदमी न चले हों देखने...
Manisha Kulshreshtha 13 Sep 2018 6:33 AM GMT