जुगाड़ का उस्ताद : घर के फालतू सामान से बनाते हैं एक से बढ़कर उपयोगी मशीनें
Mohit Asthana | Jul 26, 2017, 14:21 IST
लखनऊ। बिना ट्रेनिंग के अगर कोई विज्ञान के नये नये आविष्कार करे तो कितनी हैरत होगी लेकिन ऐसा है। 19 वर्षीय आयुष सामली विज्ञान के कई आविष्कार करके उनकी वीडियो यूट्यूब पर डालते हैं। आयुष वेस्ट चीजों का प्रयोग करने साइंस के प्रोजेक्ट बनाते हैं। वो इन प्रोजेक्ट को बनाते वक्त इनका वीडियो बनाते हैं और इसे यूट्यूब पर अपलोड करते हैं। ताकि बच्चे यूट्यूब पर वीडियो देखकर सीख सकें।
आयुष पढ़ाई में बहुत अच्छे नहीं थे लेकिन उनके अंदर कुछ चीजों को लेकर जिज्ञासा हमेशा से थी। यही वजह थी कि वे अपने क्लास में भी टीचर से सिलेबस से हटकर सवाल करते थे। लेकिन उनके टीचर ये कहकर उनकी बात टाल देते थे कि अपना सिलेबस पूरा करो फिर हम तुम्हारे इन आउट ऑफ सिलेबस सवालों का जवाब देंगे। बचपन से ही आयुष डिस्कवरी चैनल बहुत देखते थे जिस वजह से उनके मन में कई तरह के सवाल उठते थे। गाँव कनेक्शन से बातचीत में आयुष ने बताया कि उन्हे बचपन से ही नयी-नयी चीजें बनाने का शौक था। आयुष जब क्लास 6 में थे तब उन्होंने पहली बार एक रॉकेट बनाया था। 2015 से आयुष ने यूट्यूब पर वीडियो अपलोड करना शुरू किया।
आयुष अपने यादों को गाँव कनेक्शन से साझा करते हुए बताते है कि मैं शुरू से एक अच्छा छात्र नहीं रहा। स्कूल में टीचर मुझे डांटते थे ताने देते थे। इस वजह से एक बार मैं घर से भाग भी गया था लेकिन फिर वापस आ गया। शुरुआत में मेरे मां-पापा भी मुझे यही बोलते थे कि पहले पढ़ाई पर ध्यान दो लेकिन आज जब वो मेरे बनाए हुए प्रोजेक्ट्स को देखते हैं तो बहुत खुश होते हैं।
आयुष के बड़ें भाई इंजीनियर हैं, उन्होंने आयुष के काम में बहुत मदद की। आयुष बताते हैं कि मेरे बड़े भाई ने मुझे इस काम के लिये प्रेरित किया। यूट्यूब पर जब विजिटर्स की संख्या बढ़ने लगी तो यूट्यूब ने आयुष को पैसे देने शुरू कर दिये। उन्हें यूट्यूब की तरफ से पहला चेक 9000 रुपये की मिला और अक्टूबर 2016 में ये उन्हें 72000 रुपये का चेक मिला। आयुष ने बताया कि अभी तक यूट्यूब में मेरे 1.5 लाख सब्सक्राईबर है और तकरीबन पौने चार करोड़ के आसपास व्यूअर्स हो गये हैं। मैं आगे और भी चीजें बना कर यूट्यूब पर अपलोड करता रहूंगा।
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आयुष पढ़ाई में बहुत अच्छे नहीं थे लेकिन उनके अंदर कुछ चीजों को लेकर जिज्ञासा हमेशा से थी। यही वजह थी कि वे अपने क्लास में भी टीचर से सिलेबस से हटकर सवाल करते थे। लेकिन उनके टीचर ये कहकर उनकी बात टाल देते थे कि अपना सिलेबस पूरा करो फिर हम तुम्हारे इन आउट ऑफ सिलेबस सवालों का जवाब देंगे। बचपन से ही आयुष डिस्कवरी चैनल बहुत देखते थे जिस वजह से उनके मन में कई तरह के सवाल उठते थे। गाँव कनेक्शन से बातचीत में आयुष ने बताया कि उन्हे बचपन से ही नयी-नयी चीजें बनाने का शौक था। आयुष जब क्लास 6 में थे तब उन्होंने पहली बार एक रॉकेट बनाया था। 2015 से आयुष ने यूट्यूब पर वीडियो अपलोड करना शुरू किया।
आयुष अपने यादों को गाँव कनेक्शन से साझा करते हुए बताते है कि मैं शुरू से एक अच्छा छात्र नहीं रहा। स्कूल में टीचर मुझे डांटते थे ताने देते थे। इस वजह से एक बार मैं घर से भाग भी गया था लेकिन फिर वापस आ गया। शुरुआत में मेरे मां-पापा भी मुझे यही बोलते थे कि पहले पढ़ाई पर ध्यान दो लेकिन आज जब वो मेरे बनाए हुए प्रोजेक्ट्स को देखते हैं तो बहुत खुश होते हैं।
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