किसानों की आय दोगुनी करने में मददगार बकरी का दूध
Diti Bajpai | Jun 21, 2019, 10:21 IST
लखनऊ। गुजरात और राजस्थान में कुछ महीनों पहले अमूल ने ऊंटनी के दूध और उससे बने उत्पादों को बाजार में उतारा है, जो लोगों द्वारा काफी पसंद भी किया जा रहा है। अगर ऐसे ही बकरी के दूध को भी मार्केट मिले तो बकरी पालकों को तो फायदा होगा ही, साथ ही किसानों की आय भी दोगुनी हो सकेगी।
"बकरी का दूध एक वैश्विक उत्पाद है जिसका दुनिया भर में प्रयोग होता है। अगर इनके औषधीय गुणों को देखते हुए बाजार में इसके दूध को प्रमोट किया जाए तो किसान को फायदा होगा," लखनऊ के द गोट ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी संजीव कुमार ने बताया।
द गोट ट्रस्ट पिछले 12 वर्षों से बकरी पालन के प्रशिक्षण को लेकर उसके दूध और उससे बने उत्पादों को बनाने और बाजार में बेचने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह एक गैर सरकारी संस्था है, इनसे 18 राज्यों के 3 लाख बकरी पालक जुड़े हुए हैं। संजीव बताते हैं, "एक बकरी साल में दो बार बच्चा देती है। एक ब्यांत में सौ लीटर दूध (बच्चे को पिलाने के बाद) देती है। ऐसे में 100 लीटर दूध का उत्पादन होता है। हम लोगों ने समुदाय बनाए हुए हैं जिनसे एक लीटर 40 रुपए में दूध खरीदते हैं।"
अपनी बात को जारी रखते हुए संजीव आगे कहते हैं, "अभी बकरी पालकों को 8 हजार रुपए की इनकम हो रही है, एक ही बकरी से। हम लोग दूध खरीद कर उसकी प्रोसेसिंग करके बाजार में 300 एमएल की बोतल 30 रुपए में बेचते हैं, और दूध में प्रोसेसिंग के बाद पाए जाने औषधीय गुणों के बारे में लोगों को जागरूक करने का काम कर भी कर रहे हैं।"
पहाड़ी क्षेत्रों में रोजगार के साधन न होने से ज्यादा गरीब तबके के किसान बकरी पालन व्यवसाय से अपनी जीविका चलाते हैं। बकरी को बेच कर वह मुनाफा कमा लेते हैं। इस मुनाफे को बढ़ाने के बारे में उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में पशु वैज्ञानिक डॉ. पुरुषोत्तम कुमार बताते हैं, "बकरी का दूध इतनी बड़ी मात्रा में नहीं पैदा होता है, इनके दूध में प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक होती है। बकरी के दूध में कई औषधियों के गुण हैं, अगर सरकार दवा के रूप में उसे प्रमोट करे तो किसान को काफी फायदा होगा।"
वह आगे कहते हैं, "जहां पर दूध देने वाली बकरियों की प्रजातियां हो वहां पर समूह बनाकर दूध को कलेक्ट किया जाए और उनको स्पेशल मार्केट में बेचा जाए तो किसानों को फायदा होता है। जब वो बकरी पालेगा तो दूध को भी बेच सकेगा और मांस के लिए बेच सकेगा।"
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में पशुधन उत्पाद प्रंबधन में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ ए. के. सिंह बताते हैं, "पूरे भारत में 176 मिलियन टन दूध का उत्पादन हुआ जिसमें से 4 प्रतिशत हिस्सा बकरी के दूध का होता है। देश में बकरी का दूध का सबसे ज्यादा उत्पादन राजस्थान में होता है उसके बाद पंजाब और हरियाणा में होता है। जिस तरह ऊंटनी के दूध को प्रमोट किया गया है वैसे ही अगर सरकार बकरी के दूध को स्पेशल बाजार दे तो किसानों को फायदा हो सकता है।"
राजस्थान का ही एक उदाहरण देते हुए डॉ. सिंह बताते हैं, "बाडमेर जिले में जहां बकरियों की संख्या ज्यादा है वहां की महिलाओं को हमने कुल्फी गोट मिल्क बनाने का प्रशिक्षण दिया हुआ है, गर्मियों के सीजन में वह इसे बेचकर अच्छी कमाई कर रही हैं।"
बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसको कम लागत और सामान्य रखरखाव में पाला जा सकता है। राजस्थान, झारखंड समेत कई राज्यों में यह बकरियां एटीएम के रूप में उनकी मदद करती हैं। पूरे भारत में बकरियों की कुल संख्या में से 95.5 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में बकरी पालते हैं और केवल कुछ भाग 4.5 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में पालते हैं।
पिछले कई वर्षों से ग्लोबल एलाइन्स फॉर लाइव स्टॉक वेटनरी मेडिसिन (गाल्वमेद) संस्था जो पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार के लिए पिछले कई वर्षों से काम कर रही है।
इस में वाणिज्यिक विकास, एशिया के सीनियर मैनेजर डॉं पीताम्बर कुशवाहा बताते हैं, "जितना मात्रा में देश में गाय-भैंस के दूध का उत्पादन होता है उतना बकरी के दूध को होना नामुमकिन है। हां इनके दूध को अगर स्पेशल मार्केट में और अलग समूह के द्वारा प्रमोट किया तो किसान को इसके काफी अच्छे रेट मिलेंगे। जब डेंगू बीमारी होती है तो दूध की डिमांड होती है इसलिए सरकार इनके दूध को स्पेशल मार्केट में प्रमोट करे।"
"बकरी का दूध एक वैश्विक उत्पाद है जिसका दुनिया भर में प्रयोग होता है। अगर इनके औषधीय गुणों को देखते हुए बाजार में इसके दूध को प्रमोट किया जाए तो किसान को फायदा होगा," लखनऊ के द गोट ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी संजीव कुमार ने बताया।
द गोट ट्रस्ट पिछले 12 वर्षों से बकरी पालन के प्रशिक्षण को लेकर उसके दूध और उससे बने उत्पादों को बनाने और बाजार में बेचने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह एक गैर सरकारी संस्था है, इनसे 18 राज्यों के 3 लाख बकरी पालक जुड़े हुए हैं। संजीव बताते हैं, "एक बकरी साल में दो बार बच्चा देती है। एक ब्यांत में सौ लीटर दूध (बच्चे को पिलाने के बाद) देती है। ऐसे में 100 लीटर दूध का उत्पादन होता है। हम लोगों ने समुदाय बनाए हुए हैं जिनसे एक लीटर 40 रुपए में दूध खरीदते हैं।"
अपनी बात को जारी रखते हुए संजीव आगे कहते हैं, "अभी बकरी पालकों को 8 हजार रुपए की इनकम हो रही है, एक ही बकरी से। हम लोग दूध खरीद कर उसकी प्रोसेसिंग करके बाजार में 300 एमएल की बोतल 30 रुपए में बेचते हैं, और दूध में प्रोसेसिंग के बाद पाए जाने औषधीय गुणों के बारे में लोगों को जागरूक करने का काम कर भी कर रहे हैं।"
पहाड़ी क्षेत्रों में रोजगार के साधन न होने से ज्यादा गरीब तबके के किसान बकरी पालन व्यवसाय से अपनी जीविका चलाते हैं। बकरी को बेच कर वह मुनाफा कमा लेते हैं। इस मुनाफे को बढ़ाने के बारे में उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में पशु वैज्ञानिक डॉ. पुरुषोत्तम कुमार बताते हैं, "बकरी का दूध इतनी बड़ी मात्रा में नहीं पैदा होता है, इनके दूध में प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक होती है। बकरी के दूध में कई औषधियों के गुण हैं, अगर सरकार दवा के रूप में उसे प्रमोट करे तो किसान को काफी फायदा होगा।"
वह आगे कहते हैं, "जहां पर दूध देने वाली बकरियों की प्रजातियां हो वहां पर समूह बनाकर दूध को कलेक्ट किया जाए और उनको स्पेशल मार्केट में बेचा जाए तो किसानों को फायदा होता है। जब वो बकरी पालेगा तो दूध को भी बेच सकेगा और मांस के लिए बेच सकेगा।"
'चार प्रतिशत हिस्सा बकरी के दूध का'
राजस्थान का ही एक उदाहरण देते हुए डॉ. सिंह बताते हैं, "बाडमेर जिले में जहां बकरियों की संख्या ज्यादा है वहां की महिलाओं को हमने कुल्फी गोट मिल्क बनाने का प्रशिक्षण दिया हुआ है, गर्मियों के सीजन में वह इसे बेचकर अच्छी कमाई कर रही हैं।"
बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसको कम लागत और सामान्य रखरखाव में पाला जा सकता है। राजस्थान, झारखंड समेत कई राज्यों में यह बकरियां एटीएम के रूप में उनकी मदद करती हैं। पूरे भारत में बकरियों की कुल संख्या में से 95.5 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में बकरी पालते हैं और केवल कुछ भाग 4.5 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में पालते हैं।
स्पेशल मार्केट में प्रमोट करे सरकार'
इस में वाणिज्यिक विकास, एशिया के सीनियर मैनेजर डॉं पीताम्बर कुशवाहा बताते हैं, "जितना मात्रा में देश में गाय-भैंस के दूध का उत्पादन होता है उतना बकरी के दूध को होना नामुमकिन है। हां इनके दूध को अगर स्पेशल मार्केट में और अलग समूह के द्वारा प्रमोट किया तो किसान को इसके काफी अच्छे रेट मिलेंगे। जब डेंगू बीमारी होती है तो दूध की डिमांड होती है इसलिए सरकार इनके दूध को स्पेशल मार्केट में प्रमोट करे।"