झारखंड: खेती में महिलाओं को आगे लाने के लिए सरकार कृषि यंत्रों पर दे रही 90 फीसदी सब्सिडी

कृषि क्षेत्र में दिलचस्पी रखने वाली महिलाओं को 90 फीसदी सब्सिडी पर कृषि यंत्र मुहैया कराए जाते हैं। इन यंत्रों का साइज छोटा होता है जिसे महिलाएं आसानी से चला सकती हैं।

Neetu SinghNeetu Singh   22 Aug 2019 9:45 AM GMT

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झारखंड: खेती में महिलाओं को आगे लाने के लिए सरकार कृषि यंत्रों पर दे रही 90 फीसदी सब्सिडीसब्सिडी पर मिले कृषि यंत्रों को सखी मंडल की महिलाएं चला लेती हैं. (फोटो-फेसबुक JSLPS साभार)

रांची। भूमि संरक्षण विभाग की तरफ से सखी मंडल से जुड़ी महिलाओं को 90 फीसदी सब्सिडी पर कृषि यंत्र मुहैया कराए जा रहे हैं जिससे ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं कम लागत में खेती करके अपनी आजीविका को मजबूत कर सकें।

ग्रामीण विकास विभाग,झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी की तरफ से झारखंड में चल रहे सखी मंडल को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए इन्हें सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल रहा है। कृषि क्षेत्र में दिलचस्पी रखने वाली महिलाओं को 90 फीसदी सब्सिडी पर कुछ कृषि यंत्र दिए जाते हैं। जिसमें जरूरत के कई कृषि यंत्र होते हैं। जिससे छोटी जोत की महिला किसान के सभी काम इन यंत्रों से आसानी से पूरे हो जाते हैं।

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सखी मंडल की महिलाओं को 90 फीसदी सब्सिडी पर मिल रहे कृषि यंत्र

रांची जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर कांके प्रखंड के ओखर गढ़ा गाँव में चलने वाले नई दिशा महिला स्वयं सहायता समूह के पास 90 फीसदी सब्सिडी पर कृषि यंत्र मौजूद हैं। समूह की सीमा देवी (24 वर्ष) बताती हैं, "हमारे पास कम खेत है इसलिए कोई ट्रैक्टर वाला तभी खेत की जुताई करता था जब वो खाली रहता था। जिसकी वजह से कई बार समय से बुवाई नहीं कर पाते थे क्योंकि वक़्त से खेत की जुताई नहीं हो पाती थी। लेकिन अब हमारे समूह में जितने भी लोग हैं जब उन्हें जरूरत पड़ती है जो हमारे पास कृषि यंत्र हैं उससे खेत की जुताई कर लेती हैं।"

इस समूह की तरह झारखंड में ऐसे सैकड़ों सखी मंडल हैं जिनके पास 90 फीसदी सब्सिडी पर मिले हुए कृषि यंत्र मौजूद हैं। अब इन महिलाओं को खेत की जुताई के लिए किसी पर निर्भर नहीं होना पड़ता है। जरूरत पड़ने पर समूह की महिलाएं अपने समूह के पास मौजूद कृषि यंत्रों का उपयोग करती हैं। इससे इनकी न केवल जुताई की लागत में कमी आती है बल्कि समय से बुवाई भी हो जाती है।
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कांके ब्लॉक की तरह बुड़मू प्रखंड के सालहन गाँव में चल रहे लक्ष्मी महिला स्वयं सहायता समूह के पास भी अपने खुद के कृषि यंत्र हैं। समूह की अध्यक्ष संजना देवी (27 वर्ष) पावर ट्रिलर को चलाते हुए बताती हैं, "वक़्त जरूरत पड़ने पर हम भी इसे चला लेते हैं। समूह की दीदियों को जब जरूरत पड़ती है वो जुताई कर लेती हैं। समूह के लोगों से 300 रुपए प्रति घंटा और दूसरे लोगों को 400 रुपए प्रति घंटा लेते हैं। पिछले साल 28 दिन जुताई की थी जिसमें लागत निकालकर 6,000 रुपए की बचत हुई थी।"

वो आगे बताती हैं, "सखी मंडल को इन कृषि यंत्रो के मिलने के दो फायदे हैं। पहला खेत की जुताई समय से हो जाती है दूसरा जुताई में ज्यादा पैसे नहीं खर्च होते और इन कृषि यंत्रो से हर महीने समूह को आमदनी भी हो जाती है।"

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भूमि संरक्षण विभाग की तरफ से मिलने वाले इन कृषि यंत्रो से झारखंड की महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बन रही हैं। यहाँ की महिलाएं खेती किसानी का काम खुद करती हैं। चाहें खेत में पानी लगाना हो या फिर बाजार में जाकर सब्जी बेचनी हो सारा काम यहाँ की महिलाएं बखूबी सम्भालती हैं। यही वजह है सखी मंडल से जुड़ी महिलाएं आज हर क्षेत्र में आगे हैं और अपनी आमदनी बढ़ाने के कई नये-नये तरीके अपना रही हैं।

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इन कृषि यंत्रों की ये हैं विशेषताएं

जो भी कृषि यंत्र सखी मंडल की महिलाएं सब्सिडी पर ले रही हैं वो सभी कृषि यंत्र छोटे होते हैं जिसे महिलाएं आसानी से चला सकती हैं। पहाड़ी और पथरीली जमीन होने की वजह से छोटी जोत के जिन खेतों में जुताई करनी होती है वहां ट्रैक्टर पहुंचना मुश्किल होता है। ऐसी परिस्थियों में ये छोटे कृषि यंत्र महिलाओं के काम के होते हैं।

जिन सखी मंडलों के पास ये कृषि यंत्र होते हैं वो समूह ही ये निर्धारित करता है कि इसे कितने पैसों में किराए पर चलवाना है या फिर कितने में सखी मंडल की महिलाएं अपने खेत की जुताई कर सकेंगी। ये सभी कृषि यंत्र एक पावर ट्रिलर, एक दवा छिड़कने वाला मशीन, 3 धान छाड़ने वाले मशीन की कीमत लगभग दो लाख बाईस हजार हैं जिसमें सखी मंडल की महिलाएं को केवल बाईस हजार रुपए देने होते हैं। एक सखी मंडल इन कृषि यंत्रों की लागत एक साल में निकाल सकता है।

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