धरती का तीसरा ध्रुव भी तपने लगा: WMO रिपोर्ट से डरावनी तस्वीर
Seema Javed | Jun 24, 2025, 10:47 IST
2024 एशिया के लिए जलवायु संकट की भयावह चेतावनी लेकर आया। वैश्विक तापमान ने अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़े, और एशिया दुनिया की तुलना में लगभग दोगुनी गति से गर्म हो रहा है। WMO की रिपोर्ट बताती है कि कैसे समुद्री हीटवेव, पिघलते ग्लेशियर, और बार-बार आने वाली आपदाएं एशिया को सामाजिक, आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से अस्थिर बना रही हैं। यह संकट अब भविष्य की आशंका नहीं, आज की चुनौती है—क्या हम तैयार हैं?
2024 एक ऐसा साल बनकर उभरा है जो सिर्फ मौसम विज्ञानियों के लिए नहीं, बल्कि आम लोगों, नीति-निर्माताओं और वैज्ञानिकों के लिए भी चेतावनी की घंटी है। विश्व मौसम संगठन (WMO) की हालिया रिपोर्ट ‘State of the Climate in Asia 2024’ के अनुसार, एशिया अब वैश्विक औसत से लगभग दोगुनी रफ्तार से गर्म हो रहा है। इसका असर केवल थर्मामीटर पर दर्ज आंकड़ों तक सीमित नहीं है—यह संकट अब इंसानी जीवन, अर्थव्यवस्थाओं और प्राकृतिक संसाधनों को गहराई से प्रभावित कर रहा है।
WMO के अनुसार, 2024 में वैश्विक सतही औसत तापमान 1.55°C रहा, जो 1850–1900 के पूर्व-औद्योगिक स्तर से काफी अधिक है। यह तापमान 2023 के 1.45°C रिकॉर्ड को भी पार कर गया, और 2024 को अब तक का सबसे गर्म वर्ष घोषित किया गया।
सिर्फ 2024 ही नहीं, 2015 से 2024 तक के सभी साल अब तक के 10 सबसे गर्म वर्षों में शामिल हैं। इससे स्पष्ट है कि यह संकट एक अपवाद नहीं बल्कि नवीन सामान्य बन चुका है।
2024 में एशिया का औसत तापमान 1991–2020 की तुलना में 1.04°C अधिक रहा। यह रुझान इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि एशिया का विशाल भूमि क्षेत्र, समुद्रों की तुलना में तेजी से गर्म होता है।
WMO रिपोर्ट बताती है कि एशिया के समुद्री क्षेत्रों में अब तक की सबसे तीव्र और व्यापक हीटवेव दर्ज की गई।
हाई माउंटेन एशिया (HMA)—जिसमें हिमालय, तिब्बती पठार और तियान शान पर्वत श्रृंखलाएं शामिल हैं—दुनिया का सबसे बड़ा गैर-ध्रुवीय हिम भंडार है। 2023–2024 में इस क्षेत्र के 24 में से 23 ग्लेशियरों में द्रव्यमान की हानि दर्ज की गई।
2024 में एशिया को जलवायु परिवर्तन के कई सीधे झटके झेलने पड़े:
WMO रिपोर्ट नेपाल की एक सकारात्मक मिसाल भी पेश करती है—जहां मजबूत early warning systems और पूर्व नियोजन के जरिए 1.3 लाख से अधिक लोगों को समय रहते सुरक्षित किया गया। इससे स्पष्ट है कि तैयारी और नीति हस्तक्षेप से नुकसान को कम किया जा सकता है।
WMO महासचिव सेलेस्टे साओलो के अनुसार:
यह वक्त है जब सरकारें, वैज्ञानिक संस्थाएं और स्थानीय समुदाय एकजुट होकर जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए रणनीतिक और ठोस कदम उठाएं।
दुनिया का सबसे गर्म साल: 2024 ने तोड़े सारे रिकॉर्ड
सिर्फ 2024 ही नहीं, 2015 से 2024 तक के सभी साल अब तक के 10 सबसे गर्म वर्षों में शामिल हैं। इससे स्पष्ट है कि यह संकट एक अपवाद नहीं बल्कि नवीन सामान्य बन चुका है।
एशिया में दोगुनी रफ्तार से बढ़ रही गर्मी
- म्यांमार में 48.2°C का नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बना।
- चीन, जापान और कोरिया में महीनों तक गर्मी के रिकॉर्ड टूटते रहे।
- दक्षिण और मध्य एशिया में लंबे समय तक हीटवेव का असर सामान्य जीवन, स्वास्थ्य और खेती पर गहरा पड़ा।
समुद्र भी उबाल पर: तीव्रतम समुद्री हीटवेव
- समुद्री सतह का तापमान प्रति दशक 0.24°C बढ़ रहा है, जो वैश्विक औसत 0.13°C से लगभग दोगुना है।
- अगस्त–सितंबर 2024 के बीच, 15 मिलियन वर्ग किमी समुद्री क्षेत्र (दुनिया के समुद्रों का लगभग 10%) अत्यधिक गर्मी से प्रभावित हुआ।
- विशेष रूप से उत्तर-पश्चिमी हिंद महासागर, जापान के आस-पास के क्षेत्र, और येलो व ईस्ट चाइना सी में गंभीर प्रभाव देखा गया।
पिघलते ग्लेशियर: एशिया का तीसरा ध्रुव खतरे में
- उरुमची ग्लेशियर नंबर 1 ने 1959 के बाद से अब तक का सबसे खराब संतुलन दर्ज किया।
- कम बर्फबारी और अत्यधिक गर्मी ने स्थिति को बदतर बना दिया।
- ग्लेशियरों के पिघलने से ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF), भूस्खलन और जल संकट जैसी आपदाएं लगातार बढ़ रही हैं।
चरम मौसमी घटनाएं: मौत, नुकसान और विस्थापन
- नेपाल: सितंबर में भारी बारिश और बाढ़ से 246 मौतें और ₹94 करोड़ का नुकसान
- भारत (केरल): जुलाई में 48 घंटे में 500 मिमी बारिश से भूस्खलन और 350 से अधिक मौतें
- चीन: सूखे से 4.8 मिलियन लोग प्रभावित, ₹400 करोड़ से अधिक का नुकसान
- UAE: 24 घंटे में 259.5 मिमी बारिश, जो 1949 से अब तक की सबसे अधिक है
- कजाकिस्तान और दक्षिणी रूस: 70 वर्षों की सबसे भीषण बाढ़, 1.18 लाख लोगों का विस्थापन
- ट्रॉपिकल साइक्लोन Yagi: वियतनाम, म्यांमार, लाओस, थाईलैंड और चीन में तबाही
चेतावनी प्रणाली ने बचाईं जानें: एक उम्मीद की किरण
अब समय है निर्णायक कदमों का
यह वक्त है जब सरकारें, वैज्ञानिक संस्थाएं और स्थानीय समुदाय एकजुट होकर जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए रणनीतिक और ठोस कदम उठाएं।