गोवा की ‘वानरमारे’ जनजाति को मुख्यधारा में शामिल करने की ओर पहला कदम
गाँव कनेक्शन | Feb 13, 2017, 16:30 IST
पणजी (भाषा)। गोवा में चार फरवरी को हुए विधानसभा चुनाव में पहली बार यहां की ‘वानरमारे’ जनजाति ने मतदान कर मुख्यधारा में शामिल होने की तरफ अपना कदम आगे बढ़ाया है। अब तक यह जनजाति समाज की मुख्यधारा से अलग होकर रहती आई है।
वर्षों से इस जनजाति के लोग बिना किसी दस्तावेज के गोवा के जंगलों में रहते आए हैं और अब आखिरकार उन्होंने चुनाव के दौरान शिरोडा विधानसभा क्षेत्र में अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
चुनाव में मतदान करने के साथ ही मुख्यधारा में शमिल होने के लिए इनके दो वर्ष के लंबे संघर्ष का अंत हुआ। इस संघर्ष में इनका साथ देने वालों में कृषि विशेषज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता सचिन तेंदुलकर, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सचिन शिंदे और वकील वसुधा स्वैकर तथा अन्य लोग शामिल थे।
यह जनजाति गोवा-कर्नाटक और महाराष्ट्र के जंगलों में बंदरों का पीछा करने और उनका शिकार करने की अपनी सदियों पुरानी परंपरा के लिए जानी जाती है और इसलिए इस जनजाति का नाम वानरमारे पड़ा। अब इस जनजाति ने अपनी यह परंपरा छोड़ दी है और गोवा के संगुएम तालुका से लगे गन्ने के खेतों में काम करना शुरू कर दिया है।
वर्षों से इस जनजाति के लोग बिना किसी दस्तावेज के गोवा के जंगलों में रहते आए हैं और अब आखिरकार उन्होंने चुनाव के दौरान शिरोडा विधानसभा क्षेत्र में अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
चुनाव में मतदान करने के साथ ही मुख्यधारा में शमिल होने के लिए इनके दो वर्ष के लंबे संघर्ष का अंत हुआ। इस संघर्ष में इनका साथ देने वालों में कृषि विशेषज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता सचिन तेंदुलकर, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सचिन शिंदे और वकील वसुधा स्वैकर तथा अन्य लोग शामिल थे।
यह जनजाति गोवा-कर्नाटक और महाराष्ट्र के जंगलों में बंदरों का पीछा करने और उनका शिकार करने की अपनी सदियों पुरानी परंपरा के लिए जानी जाती है और इसलिए इस जनजाति का नाम वानरमारे पड़ा। अब इस जनजाति ने अपनी यह परंपरा छोड़ दी है और गोवा के संगुएम तालुका से लगे गन्ने के खेतों में काम करना शुरू कर दिया है।