मिट्टी को मार रही है पराली की आग: जानिए कैसे बचाएं अपनी ज़मीन की जान

Divendra Singh | Nov 13, 2025, 14:42 IST

मिट्टी सिर्फ धूल या रेत नहीं, बल्कि एक जीवित दुनिया है जहाँ अनगिनत सूक्ष्मजीव और केंचुए जीवन का चक्र चलाते हैं। लेकिन जब खेतों में पराली जलती है, तो यह जीवंत संसार धीरे-धीरे मरने लगता है। यह लेख बताता है कि मिट्टी कब “सजीव” होती है, कब “निर्जीव”, और किसान इसे कैसे पहचान सकते हैं और बचा सकते हैं।

सुबह की धूप जब खेत की मिट्टी को छूती है, तो किसान के चेहरे पर उम्मीद की चमक आ जाती है। वही मिट्टी उसकी रोटी है, उसका घर है, और उसकी मेहनत का परिणाम। लेकिन ज़रा सोचिए- अगर वही मिट्टी धीरे-धीरे मरने लगे, तो किसान की मेहनत, उसका भविष्य, सब खतरे में पड़ जाता है।

मिट्टी - एक जीवित संसार

मिट्टी केवल धूल, रेत या छोटे कणों का ढेर नहीं है। यह एक जीवित संसार है, जिसमें करोड़ों सूक्ष्मजीव, केंचुए, फफूंद और अन्य अदृश्य जीव लगातार सक्रिय रहते हैं। यही जीव मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं, पोषक तत्वों का चक्र चलाते हैं और पौधों को स्वस्थ रखते हैं। लेकिन जब मिट्टी में इनका जीवन कम होने लगता है, तो वह धीरे-धीरे निर्जीव और बंजर बनने लगती है।

पराली जलाने से रुक जाती है मिट्टी की साँस

धान की पराली को जलाने से मिट्टी की सतह पर बहुत अधिक गर्मी पैदा होती है।
यह ताप मिट्टी के सूक्ष्मजीवों को मार देता है, जैविक पदार्थ नष्ट हो जाते हैं, और मिट्टी की जीवंतता खत्म होने लगती है।
किसान ऐसा जानबूझकर नहीं करता - लेकिन जानकारी के अभाव में यह कदम उसकी मिट्टी की जीवनरेखा को धीरे-धीरे कमजोर कर देता है।

impact of crop residue burning on soil fertility (1)


कैसे जानें कि आपकी मिट्टी “सजीव” है?

मिट्टी की जीवंतता को समझने के कई संकेत हैं - जैविक, रासायनिक, भौतिक और पौधों से जुड़े हुए। आइए इन्हें एक-एक कर समझें।

1️⃣ जैविक संकेतक: मिट्टी का असली जीवन

(क) सूक्ष्मजीवों की उपस्थिति:

सजीव मिट्टी में बैक्टीरिया, फफूंद, नेमाटोड और प्रोटोजोआ जैसे जीव बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।
ये जीव मिट्टी के पोषक तत्वों को उपलब्ध कराते हैं और उसे उपजाऊ बनाए रखते हैं।
पराली जलाने से सबसे पहले यही सूक्ष्मजीव नष्ट होते हैं।

(ख) केंचुओं की उपस्थिति:

केंचुए “मिट्टी के डॉक्टर” कहलाते हैं।
उनकी उपस्थिति बताती है कि मिट्टी में जैविक पदार्थ भरपूर है, हवा का संचार अच्छा है और पोषक तत्व पर्याप्त हैं।
जहाँ केंचुए गायब होने लगें, समझिए मिट्टी बीमार हो रही है।

2️⃣ रासायनिक संकेतक: मिट्टी का अंदरूनी संतुलन

(क) पोषक तत्वों का स्तर:
सजीव मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम और सूक्ष्म पोषक तत्व संतुलित रहते हैं।
पराली जलाने से इन तत्वों का भारी नुकसान होता है —

नाइट्रोजन वाष्प बनकर उड़ जाती है,

जैविक कार्बन कम होता है,

और मिट्टी की उर्वरता घट जाती है।

(ख) कार्बनिक पदार्थ (Organic Matter):

मिट्टी का ऑर्गेनिक मैटर उसकी आत्मा है।
यह मिट्टी को ढीला रखता है, पानी रोकता है और सूक्ष्मजीवों को भोजन देता है।
अगर किसान पराली को जलाने की बजाय खेत में पलट दें या डी-कंपोजर का प्रयोग करें, तो यह पदार्थ बढ़ता है और मिट्टी लंबे समय तक “जिंदा” रहती है।

3️⃣ भौतिक संकेतक: मिट्टी की बनावट और संरचना

(क) मिट्टी की संरचना:

सजीव मिट्टी दानेदार और मुलायम होती है।
इसमें पानी आसानी से नीचे जाता है, जड़ें फैलती हैं, और हवा का आवागमन बना रहता है।
पराली जलाने से मिट्टी की सतह कठोर हो जाती है और ढेले बनने लगते हैं।

(ख) बनावट (Texture):
अगर मिट्टी बहुत चिपचिपी या संकुचित हो गई है, तो यह संकेत है कि उसमें जैविक हलचल कम हो रही है।

4️⃣ पौधों का स्वास्थ्य: मिट्टी का आईना

पौधे अपनी भाषा में मिट्टी की कहानी कहते हैं।

सजीव मिट्टी में पौधे गहरे हरे, मजबूत और रोगमुक्त होते हैं।

निर्जीव मिट्टी में पौधे पीले पड़ते हैं, कमजोर होते हैं और बीमारियों से घिर जाते हैं।

माइकोराइजा (एक लाभदायक फफूंद) का होना भी यह बताता है कि आपकी मिट्टी स्वस्थ और सक्रिय है।

5️⃣ मृदा श्वसन: मिट्टी की सांस

मिट्टी में सूक्ष्मजीव सक्रिय हों, तो वह सांस लेती है।
यह श्वसन मिट्टी से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड से मापा जाता है।

अधिक श्वसन दर = जीवंत मिट्टी

कम श्वसन दर = निर्जीव मिट्टी

अंत में.. मिट्टी के जीवित या निर्जीव होने का निर्धारण सिर्फ एक विज्ञान नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है। पराली जलाना उस मिट्टी को सबसे गहरा घाव देता है जो पीढ़ियों से हमें पाल रही है।

अगर किसान कुछ सरल कदम अपनाएं, तो यह धरती फिर से सांस लेने लगेगी:

पराली जलाने से बचें

जैविक खाद और कम्पोस्ट का उपयोग बढ़ाएं

फसल अवशेष प्रबंधन और डी-कंपोजर अपनाएं

मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार कदम उठाएं

मिट्टी का जीवन ही किसान की असली पूँजी है। अगर मिट्टी जिंदा है, तो खेती जिंदा है — और हमारा भविष्य भी।

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