सीआरपीएफ जवानों के बहादुरी की प्रेरणादायक कहानियां, जल्द ही The Slow App पर
Subha Rao | Jan 31, 2021, 14:28 IST
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) देश की सबसे पुरानी अर्धसैनिक इकाइयों में से एक है। सीआरपीएफ ने अब तक 2,112 वीरता के पदक जीते हैं और देश की सेवा में 2,224 जवानों ने बलिदान दिया है। नीलेश मिसरा और उनके द्वारा प्रशिक्षित कहानीकार अब 'दी स्लो ऐप' पर उनकी वीरता की कहानियां सुनाएंगे।
यदि आप भारतीय सुरक्षा बलों और उनके इतिहास में रुचि रखते हैं, तो आपको याद होगा कि कैसे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 35-बटालियन के जवान कॉन्स्टेबल थप्पन मोहन ने अपने साथियों और नागरिकों की रक्षा के लिए अपने जान की बाजी लगा दी थी। 15 अक्टूबर, 1987 को हुई इस घटना के दौरान वह भारतीय शांति सेना बल (IPKF) का हिस्सा होते हुए पड़ोसी मुल्क श्रीलंका में तैनात थे, जो उस समय गृहयुद्ध से जूझ रहा था। बाद में थप्पन मोहन को मरणोपरांत वीर चक्र से भी सम्मानित किया गया।
2001 में जब संसद पर हमला हुआ था तब सीआरपीएफ की कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी ने ही सबसे पहले अलार्म बजाकर इसकी सूचना दी थी। उन्हें 11 गोलियां लगी थीं। उनके सहयोगी, सूबेदार मेजर यम बहादुर थापा को भी गोली लगी थी, लेकिन उन्होंने इसके बाद भी अपना जज्बा दिखाते हुए आतंकवादियों पर निशाना साधा और उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया। बाद में उन्हें उनकी बहादुरी के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।
1939 में 'क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस' के रूप में स्थापित होने वाला सीआरपीएफ देश के सबसे पुराने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में से एक है और इनके पास अपने नायकों की बहादुरी की कई कहानियां हैं। सीआरपीएफ के अब तक 2,000 से अधिक जवान देश की सेवा में अपनी जान गवां चुके हैं, जबकि हजारों जवान उनकी बहादुरी के किस्सों के गवाह हैं।
नीलेश मिसरा की आवाज़ में एक अलग तरह का जादू है, जो कहानियों को आपके सामने जीवंत कर देता है। यदि आप मुंबई में रहते हैं और आपने उनका रेडियो शो 'यादों का इडियट बॉक्स' सुना है, तो आप इससे परिचित भी होंगे। महानगरों की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में यह आवाज आपको धीमेपन का एहसास कराता है।
अब नीलेश मिसरा आपको अपने नए वेंचर 'स्लो कंटेंट प्राइवेट लिमिटेड' (SCPL) के द्वारा सीआरपीएफ जवानों के बहादुरी की कहानियां भी सुनाएंगे, जो लोगों को अपने जीवन का हर पल जीने के लिए प्रोत्साहित करेगी। यह 'दी स्लो ऐप' के माध्यम से प्रसारित होगा, जो जल्द ही लॉन्च होकर गूगल प्लेस्टोर पर उपलब्ध होगा। इसके लिए एससीएपीएल ने सीआरपीएफ के साथ मिलकर एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया है।
29 जनवरी को लखनऊ में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम के दौरान इस एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ। इस दौरान सूबेदार मेजर यम बहादुर थापा को भी सम्मानित किया गया और कांस्टेबल थप्पन मोहन की बहादुरी की कहानी को नीलेश मिसरा की आवाज में सुनाया गया।
कार्यक्रम के दौरान, सीआरपीएफ के महानिदेशक डॉ. एपी माहेश्वरी ने कहा, "हमारा फोर्स 2,112 वीरता पदकों के साथ देश का सबसे सम्मानित पुलिस बल है। राष्ट्र की नि:स्वार्थ सेवा में अब तक हमारे 2,224 बहादुरों ने बलिदान दिया है। इन जवानों की प्रत्येक कहानी में त्याग, मानवता और साहस का पाठ है।"
माहेश्वरी ने कहा, "नीलेश मिसरा ना सिर्फ हमें बहादुर जवानों बल्कि उनके परिवारों की भी कहानियां सुनाएंगे। हमें खुशी है कि हम यह समझौता कर रहे हैं।"
इस अवसर पर नीलेश मिसरा ने कहा, "एक कंटेंट निर्माता के रूप में मैंने कई बार महसूस किया है कि इन जवानों की अनसुनी कहानियों को आवाज देने की जिम्मेदारी हमारी भी है। सुरक्षा हो या सेवा, सीआरपीएफ के जवान हमेशा आगे रहते हैं। उनकी हर कहानी प्रेरणादायक है और यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं।"
सीआरपीएफ का इतिहास शौर्य गाथाओं से भरा पड़ा है और उन्हें वीडियो व ऑडियो कंटेंट के रूप में स्लो ऐप पर लाया जाएगा। इस ऐप पर सीआरपीएफ के लिए एक अलग सेगमेंट होगा, जिसमें नीलेश मिसरा और उनके द्वारा प्रशिक्षित अन्य कहानीकारों द्वारा सीआरपीएफ जवानों के बहादुरी, बलिदान और विजयगाथा की कहानियां ऑडियो और वीडियो माध्यम में सुनाई जाएंगी। इसके अलावा सीआरपीएफ के अधिकारी और जवान भी वीडियो, ऑडियो और टेक्स्ट माध्यमों से अपनी प्रतिभा का परिचय देंगे।
आपको बता दें कि स्लो ऐप का उद्देश्य विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के लिए मनोरंजन का साधन और उभरती प्रतिभाओं को अवसर प्रदान करना है। यह ऐप एंड्रॉयड और आईफोन दोनों वर्जन में जल्द ही उपलब्ध होगा।
ये भी पढ़ें- स्लो प्रोडक्ट्स: शुद्ध शहद, बाजरे का बिस्कुट, पिघला हुआ गुड़ और कुछ सुनहरी मीठी यादें, उचित दाम के साथ किसानों को मुनाफे में भी 10 फीसदी की हिस्सेदारी
2001 में जब संसद पर हमला हुआ था तब सीआरपीएफ की कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी ने ही सबसे पहले अलार्म बजाकर इसकी सूचना दी थी। उन्हें 11 गोलियां लगी थीं। उनके सहयोगी, सूबेदार मेजर यम बहादुर थापा को भी गोली लगी थी, लेकिन उन्होंने इसके बाद भी अपना जज्बा दिखाते हुए आतंकवादियों पर निशाना साधा और उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया। बाद में उन्हें उनकी बहादुरी के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।
1939 में 'क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस' के रूप में स्थापित होने वाला सीआरपीएफ देश के सबसे पुराने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में से एक है और इनके पास अपने नायकों की बहादुरी की कई कहानियां हैं। सीआरपीएफ के अब तक 2,000 से अधिक जवान देश की सेवा में अपनी जान गवां चुके हैं, जबकि हजारों जवान उनकी बहादुरी के किस्सों के गवाह हैं।
नीलेश मिसरा की आवाज़ में एक अलग तरह का जादू है, जो कहानियों को आपके सामने जीवंत कर देता है। यदि आप मुंबई में रहते हैं और आपने उनका रेडियो शो 'यादों का इडियट बॉक्स' सुना है, तो आप इससे परिचित भी होंगे। महानगरों की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में यह आवाज आपको धीमेपन का एहसास कराता है।
अब नीलेश मिसरा आपको अपने नए वेंचर 'स्लो कंटेंट प्राइवेट लिमिटेड' (SCPL) के द्वारा सीआरपीएफ जवानों के बहादुरी की कहानियां भी सुनाएंगे, जो लोगों को अपने जीवन का हर पल जीने के लिए प्रोत्साहित करेगी। यह 'दी स्लो ऐप' के माध्यम से प्रसारित होगा, जो जल्द ही लॉन्च होकर गूगल प्लेस्टोर पर उपलब्ध होगा। इसके लिए एससीएपीएल ने सीआरपीएफ के साथ मिलकर एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया है।
29 जनवरी को लखनऊ में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम के दौरान इस एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ। इस दौरान सूबेदार मेजर यम बहादुर थापा को भी सम्मानित किया गया और कांस्टेबल थप्पन मोहन की बहादुरी की कहानी को नीलेश मिसरा की आवाज में सुनाया गया।
कार्यक्रम के दौरान, सीआरपीएफ के महानिदेशक डॉ. एपी माहेश्वरी ने कहा, "हमारा फोर्स 2,112 वीरता पदकों के साथ देश का सबसे सम्मानित पुलिस बल है। राष्ट्र की नि:स्वार्थ सेवा में अब तक हमारे 2,224 बहादुरों ने बलिदान दिया है। इन जवानों की प्रत्येक कहानी में त्याग, मानवता और साहस का पाठ है।"
माहेश्वरी ने कहा, "नीलेश मिसरा ना सिर्फ हमें बहादुर जवानों बल्कि उनके परिवारों की भी कहानियां सुनाएंगे। हमें खुशी है कि हम यह समझौता कर रहे हैं।"
इस अवसर पर नीलेश मिसरा ने कहा, "एक कंटेंट निर्माता के रूप में मैंने कई बार महसूस किया है कि इन जवानों की अनसुनी कहानियों को आवाज देने की जिम्मेदारी हमारी भी है। सुरक्षा हो या सेवा, सीआरपीएफ के जवान हमेशा आगे रहते हैं। उनकी हर कहानी प्रेरणादायक है और यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं।"
सीआरपीएफ का इतिहास शौर्य गाथाओं से भरा पड़ा है और उन्हें वीडियो व ऑडियो कंटेंट के रूप में स्लो ऐप पर लाया जाएगा। इस ऐप पर सीआरपीएफ के लिए एक अलग सेगमेंट होगा, जिसमें नीलेश मिसरा और उनके द्वारा प्रशिक्षित अन्य कहानीकारों द्वारा सीआरपीएफ जवानों के बहादुरी, बलिदान और विजयगाथा की कहानियां ऑडियो और वीडियो माध्यम में सुनाई जाएंगी। इसके अलावा सीआरपीएफ के अधिकारी और जवान भी वीडियो, ऑडियो और टेक्स्ट माध्यमों से अपनी प्रतिभा का परिचय देंगे।
आपको बता दें कि स्लो ऐप का उद्देश्य विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के लिए मनोरंजन का साधन और उभरती प्रतिभाओं को अवसर प्रदान करना है। यह ऐप एंड्रॉयड और आईफोन दोनों वर्जन में जल्द ही उपलब्ध होगा।
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