2030 से पाँच साल पहले ही भारत ने हासिल किया 50% अक्षय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य
Seema Javed | Jul 18, 2025, 17:02 IST
भारत ने 2030 से पांच साल पहले ही अपनी कुल ऊर्जा क्षमता का 50% अक्षय स्रोतों से हासिल कर लिया है। यह उपलब्धि स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में उसकी मजबूत प्रतिबद्धता और नीति-निर्माण की सफलता को दर्शाती है। सौर और पवन ऊर्जा जैसे स्रोतों पर बढ़ते निवेश, योजनाओं में जनभागीदारी और तेज़ी से बदलते ऊर्जा परिदृश्य ने भारत को वैश्विक मंच पर एक अग्रणी भूमिका में ला खड़ा किया है।
भारत ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए 2030 से पांच वर्ष पहले ही अपने 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म आधारित ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य को पार कर लिया है। यह उपलब्धि न केवल भारत की ऊर्जा नीति की दिशा में एक मजबूत संकेत है, बल्कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों में देश की अहम भूमिका को भी रेखांकित करती है।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के अनुसार, देश की कुल स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता अब 484.8 गीगावाट तक पहुँच गई है, जिसमें से 242.8 गीगावाट क्षमता अक्षय या कम कार्बन उत्सर्जन करने वाले स्रोतों से प्राप्त होती है। इसका मतलब यह है कि भारत की कुल ऊर्जा का लगभग 49.92 प्रतिशत हिस्सा अब स्वच्छ स्रोतों से आता है।
पेरिस समझौते से आगे की सोच
पेरिस जलवायु समझौते के तहत भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा था। अब यह लक्ष्य निर्धारित समय से पांच वर्ष पहले ही आधा पूरा कर लिया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत की सुधारात्मक नीतियों, समयबद्ध कार्ययोजनाओं और जनभागीदारी का परिणाम है।
क्लाइमेट ट्रेंड्स की संस्थापक और निदेशक आरती खोसला के अनुसार, “भारत ने अंतरराज्यीय पारेषण प्रणाली (ISTC) शुल्क को माफ करने, निरंतर नीलामी प्रक्रिया और राज्यों के सहयोग से अक्षय ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा दिया है। भारत आज सौर ऊर्जा उत्पादन में दुनिया में तीसरे स्थान पर है। 2014 से अब तक भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता तीन गुना हो चुकी है।”
नीतियों और योजनाओं का असर
भारत की इस उपलब्धि के पीछे कई योजनाओं की भूमिका रही है जैसे –
प्रधानमंत्री कुसुम योजना, जो किसानों को सौर ऊर्जा के ज़रिए अपनी आय बढ़ाने में मदद करती है।
प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना, जिसके तहत आम नागरिकों को मुफ्त बिजली उपलब्ध कराने की योजना है।
नेशनल विंड-सोलर हाइब्रिड नीति और सोलर पार्क डेवलपमेंट, जिससे बड़े पैमाने पर उत्पादन संभव हुआ है।
GEAPP के उपाध्यक्ष सौरभ कुमार का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 2021 में घोषित जलवायु लक्ष्यों ने एक दृढ़ नीति दृष्टिकोण दिया, जिससे निवेशकों का भरोसा बढ़ा और आम जनता की भागीदारी को बल मिला। वे कहते हैं, “भारत ने केवल अपने लिए नहीं, बल्कि ग्लोबल साउथ के अन्य विकासशील देशों के लिए भी एक उदाहरण पेश किया है।”
आगे की राह: ट्रांसमिशन और स्टोरेज
विशेषज्ञों का मानना है कि अब जब भारत ने यह लक्ष्य हासिल कर लिया है, तो अगला महत्वपूर्ण कदम होगा ऊर्जा के भंडारण और वितरण प्रणाली को मजबूत बनाना। इसके लिए बैटरी स्टोरेज, पंप हाइड्रो स्टोरेज और स्मार्ट ग्रिड जैसे समाधानों की ज़रूरत होगी।
एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के पूर्व सीईओ मोहित भार्गव के अनुसार, “भारत अब उन कुछ अग्रणी देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने अपने जलवायु लक्ष्यों को समय से पहले प्राप्त किया है। भारत ने नीति सुधारों, तकनीकी नवाचार और उद्यमिता की ताकत से यह मुमकिन किया है।”
वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका
भारत की कार्बन उत्सर्जन हिस्सेदारी वैश्विक औसत का केवल एक तिहाई है, फिर भी देश G20 के उन गिने-चुने देशों में शामिल है जो नेशनली डिटरमाइंड कंट्रीब्यूशन (NDC) के तहत किए गए वादों की ओर तेज़ी से बढ़ रहे हैं। यह साफ ऊर्जा की दिशा में भारत की वैश्विक नेतृत्वकारी भूमिका को साबित करता है।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के अनुसार, देश की कुल स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता अब 484.8 गीगावाट तक पहुँच गई है, जिसमें से 242.8 गीगावाट क्षमता अक्षय या कम कार्बन उत्सर्जन करने वाले स्रोतों से प्राप्त होती है। इसका मतलब यह है कि भारत की कुल ऊर्जा का लगभग 49.92 प्रतिशत हिस्सा अब स्वच्छ स्रोतों से आता है।
पेरिस समझौते से आगे की सोच
पेरिस जलवायु समझौते के तहत भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा था। अब यह लक्ष्य निर्धारित समय से पांच वर्ष पहले ही आधा पूरा कर लिया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत की सुधारात्मक नीतियों, समयबद्ध कार्ययोजनाओं और जनभागीदारी का परिणाम है।
renewable energy india 2025 (1)
नीतियों और योजनाओं का असर
भारत की इस उपलब्धि के पीछे कई योजनाओं की भूमिका रही है जैसे –
प्रधानमंत्री कुसुम योजना, जो किसानों को सौर ऊर्जा के ज़रिए अपनी आय बढ़ाने में मदद करती है।
प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना, जिसके तहत आम नागरिकों को मुफ्त बिजली उपलब्ध कराने की योजना है।
नेशनल विंड-सोलर हाइब्रिड नीति और सोलर पार्क डेवलपमेंट, जिससे बड़े पैमाने पर उत्पादन संभव हुआ है।
GEAPP के उपाध्यक्ष सौरभ कुमार का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 2021 में घोषित जलवायु लक्ष्यों ने एक दृढ़ नीति दृष्टिकोण दिया, जिससे निवेशकों का भरोसा बढ़ा और आम जनता की भागीदारी को बल मिला। वे कहते हैं, “भारत ने केवल अपने लिए नहीं, बल्कि ग्लोबल साउथ के अन्य विकासशील देशों के लिए भी एक उदाहरण पेश किया है।”
आगे की राह: ट्रांसमिशन और स्टोरेज
विशेषज्ञों का मानना है कि अब जब भारत ने यह लक्ष्य हासिल कर लिया है, तो अगला महत्वपूर्ण कदम होगा ऊर्जा के भंडारण और वितरण प्रणाली को मजबूत बनाना। इसके लिए बैटरी स्टोरेज, पंप हाइड्रो स्टोरेज और स्मार्ट ग्रिड जैसे समाधानों की ज़रूरत होगी।
एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के पूर्व सीईओ मोहित भार्गव के अनुसार, “भारत अब उन कुछ अग्रणी देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने अपने जलवायु लक्ष्यों को समय से पहले प्राप्त किया है। भारत ने नीति सुधारों, तकनीकी नवाचार और उद्यमिता की ताकत से यह मुमकिन किया है।”
वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका
भारत की कार्बन उत्सर्जन हिस्सेदारी वैश्विक औसत का केवल एक तिहाई है, फिर भी देश G20 के उन गिने-चुने देशों में शामिल है जो नेशनली डिटरमाइंड कंट्रीब्यूशन (NDC) के तहत किए गए वादों की ओर तेज़ी से बढ़ रहे हैं। यह साफ ऊर्जा की दिशा में भारत की वैश्विक नेतृत्वकारी भूमिका को साबित करता है।