झारखंड में जुटेंगी 150 से अधिक जनजातियाँ, आदिवासी स्वाभिमान का प्रतीक बनेगा ‘संवाद 2025’
Gaon Connection | Nov 04, 2025, 16:33 IST
संवाद (Samvaad) - पिछले 11 वर्षों में एक ऐसा अनोखा मंच बन गया है जो भारत और दुनिया की जनजातियों को संवाद, साझा सीख और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से जोड़ता है। इस वर्ष, संवाद 2025 का आयोजन 15 से 19 नवंबर तक जमशेदपुर में होगा।
झारखंड के जमशेदपुर की धरती पर हर साल एक अद्भुत संगम होता है - “संवाद” (Samvaad)। ये सिर्फ़ एक आयोजन नहीं, बल्कि जनजातीय पहचान, संवाद और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक बन चुका है। पिछले 11 वर्षों में संवाद ने 43,000 से अधिक लोगों और 333 जनजातियों को एक साथ लाकर ऐसा माहौल तैयार किया है, जहाँ परंपरा और आधुनिकता एक-दूसरे से टकराती नहीं, बल्कि मिलकर नई राह बनाती हैं।
संवाद 2025, जो 15 से 19 नवंबर को जमशेदपुर में आयोजित होगा, इस यात्रा का अगला बड़ा पड़ाव है। यह संस्करण इसलिए खास है क्योंकि यह धरती आबा बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती और झारखंड के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित हो रहा है। इस साल संवाद भारत की 378 जनजातियों को जोड़ने जा रहा है - यानी देश की आधी से अधिक जनजातियाँ अब इस साझा मंच का हिस्सा होंगी।
एक जीवंत जनजातीय पारिस्थितिकी तंत्र
संवाद ने पिछले दशक में खुद को एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystem) के रूप में विकसित किया है, जो जनजातीय विचार, कला, संगीत, साहित्य और पारंपरिक ज्ञान को एक साथ जोड़ता है। इस मंच ने न सिर्फ़ भारत की जनजातियों को जोड़ा है, बल्कि नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और अफ्रीका के जनजातीय प्रतिनिधियों को भी शामिल किया है।
अब तक संवाद के माध्यम से 43,500 से अधिक लोग, 333 अनुसूचित जनजातियाँ, और अनगिनत कलाकार, लेखक, लोककथाकार और संगीतकार एक साझा यात्रा का हिस्सा बने हैं। ‘Rhythms of the Earth’ जैसे प्रोजेक्ट्स ने जनजातीय संगीत को नई पहचान दी है — पहला एल्बम पहले ही सराहा जा चुका है, और इस साल दूसरा एल्बम लद्दाख के समूह Da Shugs के साथ प्रस्तुत होगा।
संवाद 2025: व्यापक संवाद, गहन विचार
संवाद 2025 सिर्फ़ उत्सव नहीं, बल्कि गंभीर चिंतन और संवाद का मंच है। अप्रैल 2025 से अब तक, संवाद की टीमों ने देशभर में 7,500 से अधिक जनजातीय लोगों से सीधी बातचीत की है। इन चर्चाओं में उनके वास्तविक अनुभव, उम्मीदें और चुनौतियाँ सामने आईं — मुख्यधारा में बेहतर प्रतिनिधित्व की ज़रूरत, बदलती दुनिया में अनिश्चितता और पारंपरिक ज्ञान के लिए shrinking space जैसी बातें प्रमुख रहीं।
इस साल संवाद का उद्देश्य यही रहेगा कि इन सच्ची आवाज़ों को एक साथ लाकर समाधान की दिशा में आगे बढ़ा जाए। साथ ही, यह भी देखा जा रहा है कि कैसे जनजातीय युवा पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक सोच के साथ जोड़कर एक नया संतुलन बना रहे हैं।
इस वर्ष की प्रमुख झलकियाँ
संवाद 2025 के कार्यक्रम को बड़ी सावधानी से तैयार किया गया है। इसमें बौद्धिक विमर्श और सांस्कृतिक उत्सव, दोनों का संतुलन रहेगा। इस वर्ष के कुछ प्रमुख आकर्षण होंगे:
25 नई रचनाएँ जनजातीय समुदायों की 25 मौलिक बौद्धिक संपत्तियाँ (किताबें, गीत और फिल्में) जारी की जाएँगी, जो जनजातीय शासन, विरासत और पारिस्थितिकी पर केंद्रित होंगी।
100 नए विचार संवाद मंच पर चर्चा के लिए 100 संभावित विचार जुटाए जाएंगे, और 50 नए जनजातीय उद्यमी (कला, संगीत, वन उत्पाद और भोजन क्षेत्र से) चयनित किए जाएँगे जिन्हें दीर्घकालिक सहायता दी जाएगी।
3 नई प्रकाशन पहलें पारंपरिक शासन, पारिस्थितिकीय सोच और विकास के बीच संबंधों पर आधारित प्रकाशन तैयार होंगे।
5 नए संवाद फेलो — देशभर से आए 450 आवेदकों में से 5 नए फेलो चुने जाएँगे — अब तक का सबसे बड़ा विस्तार।
Panel T का शुभारंभ — यह एक शोध मंच होगा जो जनजातीय बुद्धिमत्ता और पारिस्थितिकी के आधार पर ग्रह और जैव विविधता की समझ को आगे बढ़ाएगा।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग — ब्रिटिश म्यूज़ियम के “Endangered Material Knowledge Programme” और सीईपीटी यूनिवर्सिटी के साथ दीर्घकालिक सहयोग शुरू होंगे।
सिनेमा ट्रैक — पाँच नई जनजातीय कहानियों को फिल्मों में बदलने की दिशा में कार्य होगा।
संगीत और खानपान का उत्सव — 44 जनजातीय संगीतकारों का समूह ‘Rhythms of the Earth’ अपना दूसरा एल्बम लॉन्च करेगा, जबकि 60 जनजातीय गृह रसोइये भारत होटल्स कंपनी लिमिटेड के सहयोग से विशेष भोजन अनुभव प्रस्तुत करेंगे।
उत्सव, पहचान और भविष्य की दिशा
हर वर्ष की तरह, संवाद में इस बार भी जनजातीय शिल्प, हर्बल उपचार, व्यंजन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ शहर की धड़कन बनेंगी। इस वर्ष आयोजकों का लक्ष्य है कि ये गतिविधियाँ ₹1 करोड़ तक का राजस्व उत्पन्न करें, ताकि यह उत्सव आत्मनिर्भर बने और स्थानीय समुदायों को सीधा आर्थिक लाभ मिले।
संवाद 2025 यह याद दिलाता है कि जनजातीय परंपराएँ सिर्फ़ अतीत की धरोहर नहीं हैं, बल्कि भविष्य की दिशा देने वाली जीवनदृष्टि भी हैं — ऐसी दृष्टि जो धरती के साथ सामंजस्य में जीने का सबक देती है।
संवाद 2025, जो 15 से 19 नवंबर को जमशेदपुर में आयोजित होगा, इस यात्रा का अगला बड़ा पड़ाव है। यह संस्करण इसलिए खास है क्योंकि यह धरती आबा बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती और झारखंड के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित हो रहा है। इस साल संवाद भारत की 378 जनजातियों को जोड़ने जा रहा है - यानी देश की आधी से अधिक जनजातियाँ अब इस साझा मंच का हिस्सा होंगी।
एक जीवंत जनजातीय पारिस्थितिकी तंत्र
संवाद ने पिछले दशक में खुद को एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystem) के रूप में विकसित किया है, जो जनजातीय विचार, कला, संगीत, साहित्य और पारंपरिक ज्ञान को एक साथ जोड़ता है। इस मंच ने न सिर्फ़ भारत की जनजातियों को जोड़ा है, बल्कि नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और अफ्रीका के जनजातीय प्रतिनिधियों को भी शामिल किया है।
tata steel foundation samvaad 2025 (1)
अब तक संवाद के माध्यम से 43,500 से अधिक लोग, 333 अनुसूचित जनजातियाँ, और अनगिनत कलाकार, लेखक, लोककथाकार और संगीतकार एक साझा यात्रा का हिस्सा बने हैं। ‘Rhythms of the Earth’ जैसे प्रोजेक्ट्स ने जनजातीय संगीत को नई पहचान दी है — पहला एल्बम पहले ही सराहा जा चुका है, और इस साल दूसरा एल्बम लद्दाख के समूह Da Shugs के साथ प्रस्तुत होगा।
संवाद 2025: व्यापक संवाद, गहन विचार
संवाद 2025 सिर्फ़ उत्सव नहीं, बल्कि गंभीर चिंतन और संवाद का मंच है। अप्रैल 2025 से अब तक, संवाद की टीमों ने देशभर में 7,500 से अधिक जनजातीय लोगों से सीधी बातचीत की है। इन चर्चाओं में उनके वास्तविक अनुभव, उम्मीदें और चुनौतियाँ सामने आईं — मुख्यधारा में बेहतर प्रतिनिधित्व की ज़रूरत, बदलती दुनिया में अनिश्चितता और पारंपरिक ज्ञान के लिए shrinking space जैसी बातें प्रमुख रहीं।
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इस साल संवाद का उद्देश्य यही रहेगा कि इन सच्ची आवाज़ों को एक साथ लाकर समाधान की दिशा में आगे बढ़ा जाए। साथ ही, यह भी देखा जा रहा है कि कैसे जनजातीय युवा पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक सोच के साथ जोड़कर एक नया संतुलन बना रहे हैं।
इस वर्ष की प्रमुख झलकियाँ
संवाद 2025 के कार्यक्रम को बड़ी सावधानी से तैयार किया गया है। इसमें बौद्धिक विमर्श और सांस्कृतिक उत्सव, दोनों का संतुलन रहेगा। इस वर्ष के कुछ प्रमुख आकर्षण होंगे:
25 नई रचनाएँ जनजातीय समुदायों की 25 मौलिक बौद्धिक संपत्तियाँ (किताबें, गीत और फिल्में) जारी की जाएँगी, जो जनजातीय शासन, विरासत और पारिस्थितिकी पर केंद्रित होंगी।
100 नए विचार संवाद मंच पर चर्चा के लिए 100 संभावित विचार जुटाए जाएंगे, और 50 नए जनजातीय उद्यमी (कला, संगीत, वन उत्पाद और भोजन क्षेत्र से) चयनित किए जाएँगे जिन्हें दीर्घकालिक सहायता दी जाएगी।
3 नई प्रकाशन पहलें पारंपरिक शासन, पारिस्थितिकीय सोच और विकास के बीच संबंधों पर आधारित प्रकाशन तैयार होंगे।
5 नए संवाद फेलो — देशभर से आए 450 आवेदकों में से 5 नए फेलो चुने जाएँगे — अब तक का सबसे बड़ा विस्तार।
Panel T का शुभारंभ — यह एक शोध मंच होगा जो जनजातीय बुद्धिमत्ता और पारिस्थितिकी के आधार पर ग्रह और जैव विविधता की समझ को आगे बढ़ाएगा।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग — ब्रिटिश म्यूज़ियम के “Endangered Material Knowledge Programme” और सीईपीटी यूनिवर्सिटी के साथ दीर्घकालिक सहयोग शुरू होंगे।
सिनेमा ट्रैक — पाँच नई जनजातीय कहानियों को फिल्मों में बदलने की दिशा में कार्य होगा।
संगीत और खानपान का उत्सव — 44 जनजातीय संगीतकारों का समूह ‘Rhythms of the Earth’ अपना दूसरा एल्बम लॉन्च करेगा, जबकि 60 जनजातीय गृह रसोइये भारत होटल्स कंपनी लिमिटेड के सहयोग से विशेष भोजन अनुभव प्रस्तुत करेंगे।
उत्सव, पहचान और भविष्य की दिशा
हर वर्ष की तरह, संवाद में इस बार भी जनजातीय शिल्प, हर्बल उपचार, व्यंजन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ शहर की धड़कन बनेंगी। इस वर्ष आयोजकों का लक्ष्य है कि ये गतिविधियाँ ₹1 करोड़ तक का राजस्व उत्पन्न करें, ताकि यह उत्सव आत्मनिर्भर बने और स्थानीय समुदायों को सीधा आर्थिक लाभ मिले।
संवाद 2025 यह याद दिलाता है कि जनजातीय परंपराएँ सिर्फ़ अतीत की धरोहर नहीं हैं, बल्कि भविष्य की दिशा देने वाली जीवनदृष्टि भी हैं — ऐसी दृष्टि जो धरती के साथ सामंजस्य में जीने का सबक देती है।