'उत्तर प्रदेश में आज भी कृषि ही सबसे बड़ा रोज़गार देने वाला क्षेत्र'

Gaon Connection | Jul 22, 2025, 17:47 IST

उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) के 36वें स्थापना दिवस पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वैज्ञानिकों, विश्वविद्यालयों और नीति-निर्माताओं से विकसित कृषि के माध्यम से उत्तर प्रदेश को 2047 तक विकसित राज्य बनाने का आह्वान किया।

खेती-किसानी के क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया, साथ ही उत्तर प्रदेश में खेती से रोज़गार बढ़ाने की भी बात की गई है।

उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार), के 36वें स्थापना दिवस पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी और कृषि वैज्ञानिक सम्मान समारोह का आयोजन भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान में भव्य रूप से संपन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और कृषि विश्वविद्यालयों से उत्तर प्रदेश को ‘विकसित भारत 2047’ के विजन के अनुरूप एक कृषि-सशक्त राज्य बनाने का आह्वान किया।

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में उपकार को 36 वर्षों की उल्लेखनीय यात्रा के लिए बधाई दी और कहा कि, “उत्तर प्रदेश प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है। यहां 46% भूमि सिंचित है — यह आंकड़ा अपने आप में विश्व स्तर पर अद्वितीय है। इसके बावजूद सिर्फ 25% किसान ही वैज्ञानिक शोध का लाभ उठा पा रहे हैं।”

योगी ने यह भी रेखांकित किया कि राज्य में 4 कृषि विश्वविद्यालय संचालित हैं, पांचवां स्थापित किया जा रहा है और 15 से अधिक संस्थान कृषि अनुसंधान में कार्यरत हैं। 89 कृषि विज्ञान केंद्र किसानों तक तकनीकी जानकारी पहुंचा रहे हैं, परंतु इस नेटवर्क का अधिकतम उपयोग अभी बाकी है।

कृषि की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि उत्तर प्रदेश की उर्वर भूमि और जल संसाधनों को देखते हुए प्रदेश में तीन गुना अधिक उत्पादन की क्षमता है। इसके लिए शोध को और अधिक गति देनी होगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि, “दुनिया में वही देश आगे बढ़े हैं जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को प्राथमिकता दी — चाहे वह अंतरिक्ष विज्ञान हो, एटोमिक रिसर्च हो या आईटी।”

मुख्यमंत्री ने इजराइल की तकनीकी मदद से बने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का जिक्र करते हुए उनके विस्तार की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि “लकीर के फकीर बने रहकर कृषि का विकास संभव नहीं है।” उन्होंने कहा कि कृषि से जुड़ा हर क्षेत्र — बीज, सिंचाई, विपणन, प्रसंस्करण — शोध और योजना से जोड़ा जाना चाहिए।

किसान को बने कृषि नवाचार का भागीदार

मुख्यमंत्री योगी ने यह भी रेखांकित किया कि उत्तर प्रदेश देश का ऐसा राज्य है जहां तीन करोड़ किसान खेती पर निर्भर हैं और यह कृषि आधारित रोजगार देने में अग्रणी है। कृषि के बाद एमएसएमई ऐसा क्षेत्र है जहां 1.65 करोड़ लोग कार्यरत हैं।

उन्होंने कहा, “हमें कृषि को एक ऐसा क्षेत्र बनाना होगा जहां किसान पलायन करने की बजाय वापसी करें। इसके लिए क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर, प्राकृतिक खेती, नवीन बीज तकनीक और डिजिटल एग्री प्लेटफॉर्म्स की ज़रूरत है।”

तकनीकी सत्र में नवाचार पर चर्चा

संगोष्ठी के तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रमुख सचिव कृषि रविंद्र कुमार ने की। सह-अध्यक्ष डॉ. ए.के. सिंह (उपमहानिदेशक, ICAR) थे। सत्र में आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह के नेतृत्व में गठित समिति ने कृषि अनुसंधान को और प्रभावी बनाने के सुझाव रखे।

उत्पादन के नए कीर्तिमान और योजनाएं

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि 2024-25 के खरीफ सत्र में 725 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ, जो एक रिकॉर्ड है। त्वरित मक्का उत्पादन कार्यक्रम और गौ आधारित प्राकृतिक खेती जैसी योजनाओं को मुख्यमंत्री की प्राथमिकता बताया गया। उन्होंने कहा कि राज्य दलहन और तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है।

उपकार को मिले वैधानिक दर्जे की मांग

परिषद के अध्यक्ष कैप्टन विकास गुप्ता और महानिदेशक डॉ. संजय सिंह ने उपकार की गतिविधियों को विस्तार देने के लिए वैधानिक दर्जा या शासनादेश की मांग मुख्यमंत्री से की। इस अवसर पर कृषि वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया और उपकार की 35 वर्षों की यात्रा को साझा किया गया।

भारत में रागी (फिंगर मिलेट) उत्पादन और लाभ

मुख्यमंत्री योगी ने मोटे अनाजों विशेषकर रागी जैसे फसलों पर भी जोर दिया। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तराखंड जैसे राज्य रागी उत्पादन में अग्रणी हैं। रागी एक जलवायु सहनशील फसल है, जो कम पानी में भी उगाई जा सकती है। यह कुपोषण से लड़ने में सहायक है, क्योंकि इसमें कैल्शियम, फाइबर और आयरन प्रचुर मात्रा में होता है।

भारत सरकार के "श्री अन्न" अभियान के तहत मोटे अनाजों को वैश्विक पहचान दिलाने की योजना है, जिससे किसानों को नया बाजार और उपभोक्ताओं को पोषण मिलेगा।