अनोखो तरीके से पढ़ाते हैं गणित-विज्ञान; शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय पुरस्कार से राष्ट्रपति करेंगी सम्मानित

Akankhya Rout | Sep 02, 2024, 19:02 IST

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के प्राथमिक विद्याल, भगेसर की चर्चा इन दिनों प्रदेश ही नहीं पूरे देश में हो रही है, वजह है यहाँ के प्रधानाध्यापक रविकांत द्वीवेदी, जिनको शिक्षक दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित करेंगी।

यहाँ के बच्चे गणित के बगीचे में क्षेत्रफल निकालना सीखते हैं, तो कराटे में भी हाथ आजमाते हैं, यही नहीं अब तो यहाँ के बच्चे हर एक चीज में सबसे आगे हैं। इसका श्रेय जाता है यहाँ प्रधानाध्यापक रविकांत द्वीवेदी को, तभी तो उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है।

मिर्जापुर जिले के पहाड़ी ब्लॉक का प्राथमिक विद्यालय भगेसर के प्रधानाचार्य रविकांत द्वीवेदी गाँव कनेक्शन से बताते हैं, ""दो-तीन दिनों से मेल चेक कर रहा था, मुझे एहसास था कि मुझे मिलेगा। 27 अगस्त शाम को जब मैंने मेल चेक किया, अचानक से ही मुझे मेल आया। मैंने सूची देखी तो मेरा नाम 20 नंबर पर था कि मैं सिलेक्ट हो गया हूँ। तब मेरे हाथ कांपने लगे और उसी दिन रात भर मुझे नींद नहीं आई।"

वो आगे कहते हैं, "बहुत खुशी भी हुई कि जितना मेहनत हमने किया आज उसे सराहा भी गया। यही नहीं, इन सबके बाद मुझे प्रेरणा भी मिलेगी और अच्छे से काम करने के लिए।"

रविकांत के साथ ही पूरे देश भर में 50 शिक्षक इस पुरस्कार के लिए चयनित हुए हैं।

उनकी पढ़ाने की नई विधि और समझाने का अनोखा तरीका पढ़ाई को रुचिकर बना रहा है। इसी कारण से वे आज इस मुकाम तक पहुँचे हैं, न सिर्फ रविकांत बल्कि उनके पढ़ाए बच्चे भी आगे बढ़ रहे हैं। इस सबकी शुरुआत हुई अक्टूबर 2016 को जब रविकांत पहली बार इस स्कूल में आए।

national teachers awards 2024 ravikant dwivedi government primary school bageshwar mirzapur (2)
शुरूआत में मुश्किलें भी आईं, क्योंकि कोई बदलाव के लिए तैयार नहीं था। लेकिन रविकांत भी कहाँ हार मानने वाले थे। "मैंने भी गरीबी देखी है और जब मुझे जॉब मिली तब से ही मैं चाहता था कि मैं अपना काम पूरी ईमानदारी से करूँ। हमेशा से मुझे सबसे अलग करना था और बच्चों के लिए भी कुछ करना था, "रविकांत ने आगे जोड़ा।

इन सबके चलते रविकांत जी को आईसीटी अवार्ड के साथ ही उत्कृष्ट विद्यालय पुरस्कार भी मिल चुका है। वे अभी One Class and One Channel में भी पढ़ाते हैं। रविकांत बताते हैं, "जब मेरा पोस्टिंग हुई थी तब यहाँ करीब 40 बच्चे स्कूल में थे। आज वो धीरे-धीरे बढ़कर 160 से भी ज्यादा बच्चे हो गए हैं; क्लास में अटेंडेंस 95% रहता है।

रविकांत की इस उपलब्धि से उनके बच्चे भी बहुत खुश हैं, पाँचवीं कक्षा में पढ़ने वाली कृष्णा भी उन्हीं में से एक हैं, कृष्णा गाँव कनेक्शन से कहती हैं, "मुझे बहुत खुशी हो रही है और बहुत अच्छा लग रहा है कि सर को राष्ट्रीय पुरस्कार मिल रहा है। सर ऐसा पढ़ाते हैं जिससे पढ़ाई में मन लगा रहता है। वे जो कुछ भी समझाते हैं, हम लोग आसानी से समझ जाते हैं। कभी अगर हम क्षेत्रफल न निकाल पाए तो सर हमें गणित के बगीचे में ले जाते हैं और समझाते हैं, और हम लोग आसानी से समझ जाते हैं।"

रविकांत ने बच्चों को गणित समझाने के लिए बगीचा भी बनाया है, जहाँ बच्चे क्षेत्रफल और बाकी चीजें आसानी से समझ लेते हैं। यही नहीं उन्होंने तो एआई का कोर्स भी किया है।

national teachers awards 2024 ravikant dwivedi government primary school bageshwar mirzapur (1)
रविकांत कहते हैं, “सरकारी योजनाओं का सही से उपयोग किया जाए। आजकल एआई का प्रचलन ज्यादा है, इसलिए मैंने एआई का कोर्स भी कर लिया ताकि बच्चों को पढ़ने में आसानी हो।"

"एक शिक्षक को हमेशा समझना चाहिए कि बच्चों को पढ़ाने से पहले उन्हें खुद पढ़कर समझना चाहिए कि कैसे पढ़ाने से सही होगा। मैं खुद पढ़ता हूँ, समझता हूँ ताकि बच्चों को यह ज्ञान दे सकूँ। यह सबको भी करना चाहिए," रविकांत सलाह देते हुए कहा।

"हमेशा से यह सोच बदलनी थी कि प्राइवेट स्कूल ही सिर्फ बेहतर नहीं होते, सरकारी स्कूल में भी अच्छी पढ़ाई होती है। उनके माता-पिता को भी ऐसा नहीं लगे कि उनके बच्चों को सही शिक्षा नहीं मिल रही है। हमेशा मैं पांच साल के लिए प्लान करके रखता हूँ कि मुझे क्या-क्या करना है। हमारे विद्यालय के पास प्राइवेट स्कूल्स हैं, पर मुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि मेरे बच्चे वहाँ जाएँगे, "रविकांत ने आगे क्या करने का प्लान है, बताते हुए कहा।

पुरातन छात्रों की भागीदारी

"जो पुरातन छात्र हैं, उनका भी योगदान बहुत है। जब कोविड चल रहा था तब माहौल में जाकर पढ़ाते थे, तब भी पुरातन छात्र हमारी मदद करते थे और स्कूल के लिए उन्होंने बहुत कुछ मदद की है, जैसे स्मार्ट क्लासरूम के लिए टीवी की व्यवस्था, "रविकांत ने गाँव कनेक्शन को बताया।

"सर जैसे पढ़ाते हैं, हमें समझने में आसानी होती है। और हमारे गणित के बगीचे में जाकर कुछ आकृतियों के क्षेत्रफल निकालने में आसानी होती है," चौथी कक्षा की वैष्णवी ने बताया।

घंटी बजाओ, बच्चे बुलाओ

"पहले बच्चे बहुत कम आते थे। उनकी तबीयत खराब रहती थी या कभी कोई गलत अफवाह भी फैलती थी कि आज स्कूल छुट्टी है, तो बच्चे नहीं आते थे। तब मैंने शुरू किया 'घंटी बजाओ, बच्चे बुलाओ’। मैं आधा घंटे पहले जाकर घंटी बजाता हूँ, जो पूरे गाँव तक सुनाई देती है ताकि बच्चे और उनके अभिभावकों को पता चले कि स्कूल खुल चुका है और सबके ज़ेहन में आ जाए कि स्कूल छुट्टी नहीं है।"

"इन ग्रुप से लीडर प्रधानाचार्य को बताते थे कि आज कौन बच्चा हमारे ग्रुप से नहीं आया है, जिसके बाद मैं फोन के माध्यम से अभिभावकों से संपर्क करता था और जानकारी लेता था। बच्चों के घर जाता था और विद्यालय आने के लिए प्रेरित करता था। इसी वजह से हमारे विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति बढ़ी थी, "द्विवेदी ने आगे समझाया।

हर शनिवार को होता है नो बैग डे

"इसका मतलब है कि स्पीच, आर्ट, क्विज और स्पोर्ट्स जैसे प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। महीने के आखिरी दिन में किसी एक बच्चे को 'स्टार ऑफ द मंथ' मिलता है, जिसने पूरे महीने पढ़ाई से लेकर हर चीज में अनुशासन बनाए रखी होता है।"

अभिभावक सुनील कुमार ने कहा, "अच्छा लग रहा है सुनकर कि सर को अवार्ड मिल रही है। हमारे घर जितने भी बच्चे यहाँ पढ़ते हैं, उनके अच्छे मार्क्स आए हैं। बच्चे हमारे घर पर रुकते नहीं, हमेशा बोलते हैं कि स्कूल आना है।"

इससे अभिभावकों का रुझान बढ़ भी रहा है क्योंकि यहाँ स्कूल में बच्चों के लिए सारी सुविधाए हैं।

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