गाँव के लोगों का दम घोट रहा दमा

Darakhshan Quadir Siddiqui | Feb 06, 2017, 19:09 IST

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। मोहनलालगंज के जबरौली गांव निवासी रामवती अपने पति रामप्रकाश (50) और बेटे राजू (12) की दवा लेने सिविल अस्पताल आयी मंगलवार को सिविल अस्पताल आईं। उन्होंने बताया कि दोनों को सांस की परेशानी है। राजू को बचपन से सांस फूलती है और ठण्ड में यह समस्या ज्यादा बढ़ जाती है। जिस वजह से यहां इलाज कराने आना पड़ता है। यह हाल सिर्फ रामप्रकाश और राजू का ही नहीं है, बल्कि दमे की बीमारी के कई मामले गाँवों से सामने आ रहे हैं।

वहीं मोहना हिम्मतपुर गांव के जसवंत सिंह को सांस लेने मे तकलीफ हो रही थी। उनकी पत्नी रुचि ने बताया कि जसवंत को बीड़ी पीने की आदत है। जिस वजह से इनकी सांस फूलती है और ठण्ड में यह समस्यां ज्यादा बढ़ जाती है। अब तक यह बीमारी सिर्फ शहरी बीमारी मानी जाती थी, लेकिन अब इसने गाँव के लोगों को भी अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। केजीएमयू में सांस के मरीजों में करीब 70 फीसदी मरीज गांव के आ रहे हैं। इनमें भी बच्चों को संख्या ज्यादा है।पल्मोनरी विभाग के विभागाध्यक्ष सूर्यकांत बताते हैं कि गांव में यह रोग तेजी से पैर पसार रहा है।

यहां आने वाले 70 फीसदी मरीज गांव से हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा मरीज न्यूमोनिया के आ रहे हैं। सिविल अस्पताल में हर रोज सैकड़ों की संख्या में सांस के मरीज आ रहे हैं। जिनमें आधे से ज्यादा मरीज राजधानी से सटे गांव के हैं। वहीं, अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आशुतोष दुबे बतातें है कि ठण्ड के कारण सांस के मरीजो में बढ़ोतरी हुई है। जहां आम दिनों में 100 मरीज आते थे तो आजकल हजारों की संख्या में मरीज आ रहे हैं। इन मरीजों मे आधे से ज्यादा मरीज गांव के है।

सूर्यकांत, विभागाध्यक्ष, पल्मोनरी विभाग, केजीएमयू।

हर वर्ष सात फीसदी सांस के मरीज बढ़े

इंडिया हेल्थ रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल 7 फीसदी सांस के मरीजों में इजाफा हो रहा है। इस रिपोर्ट के अनुसार, हर साल देश में 10 लाख से ज्यादा बच्चे विभिन्न सांस संबंधी रोगों से मर जाते हैं और दिल दहलाने वाले आंकड़े यह हैं कि शहरों से अपेक्षाकृत गांव में दमे से बड़े पैमाने पर बच्चे और वयस्क तथा बूढ़े मर रहे हैं। वहीं, फेमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक, देश की प्रति एक लाख आबादी में लगभग 2500 लोग दमे से पीड़ित थे और अनुमान है कि अब यह आंकड़ा 3000 के ऊपर पहुंच चुका है। एलर्जी के 60 फीसदी मामले सही इलाज न मिल पाने के कारण दमे में तब्दील हो जाते हैं और 80 फीसदी दमे के मरीजों में एलर्जी की शिकायत पायी जाती है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

Tags:
  • lucknow
  • Kgmu
  • Pulmonary Department
  • KGMU
  • India Health Report
  • Medical Superintendent Dr. Ashutosh Dubey