नोट बंदी ने महंगा कर दिया इलाज, लोग हो रहे परेशान

गाँव कनेक्शन | Nov 14, 2016, 14:00 IST

लखनऊ। देश में पांच सौ और हजार रुपए के नोट बंद होने से मरीजों को भी काफी परेशानी हो रही है, हालांकि अब सरकारी अस्पतालों में 24 नंवबर तक छूट दी गयी है कि यहां पर ये नोट चल जाएंगे।

नोट बंदी का असर सीधे मरीजों के इलाज पर पड़ रहा है। इससे मरीजों का इलाज और महंगा हो गया है। अस्पतालों में आए मरीज और तीमारदारों पर नोट बंदी की डबल मार पड़ रही है। सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए पैसा राउण्ड फिगर में वसूला जा रहा है। यानी तीन सौ की दवा या जांच के लिए मरीजों को उसके पांच सौ रुपए चुकाने पड़ रहे हैं।

एक तो नोट बंदी का दर्द दूसरा महंगे इलाज का झटका मरीज बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं, जिसकी वजह से ट्रामा सेन्टर से लेकर लोहिया, बलरामपुर, सिविल सभी सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या आधी हो गयी है। ट्रामा सेंन्टर में भर्ती शिवकांत के पिता रमाकांत ने बताया, “सीटी स्कैन कराने के लिए जब उन्होने पांच सौ का नोट दिया तो उनको काउण्टर से पर्चे पर बचे पैसे लिखकर दे दिए गए, लेकिन जब पैसा लेने जाते हैं तो पैसा नहीं मिलता। कभी ड्यूटी चेंज हो जाती है।” वहीं लारी में इलाज के लिए आए आरसी चौधरी ने बताया है, “नोट बदलने से मरीजों का इलाज कराना महंगा हो गया है। कोई भी काम हो यहां छोटी से छोटी जांच के लिए पांच सौ रुपए पूरे देने पड़ रहे हैं। नोट बंदी का असर सीधे मरीज के इलाज पर पड़ा है।”

चन्दे से चल रहा है इलाज

लोहिया अस्पताल में आए इलाज के लिए मरीज पैसे न होने की वजह से इधर-उधर से मांग कर मरीजों का इलाज करा रहे हैं। इनमें से सबसे खराब हालत उनकी है। जो मरीज राजधानी के बाहर से आए हैं। वह खाने-पीने से लेकर जरूरी समान तक नहीं खरीद पा रहे हैं।

राममनोहर लोहिया अस्पताल में अमेठी निवासी राजकिशोर अपने भाई शहेजराम का बीते तीन दिन से इलाज करा रहे हैं। उन्होंने बताया, “पैसों को लेकर बहुत दिक्कत आ रही है। दवा लेने जाओ तो दवा नहीं मिलती। चार सौ की दवा लो तो पूरे पांच सौ रुपए दुकानदार रख लेता है और यह कहकर टरका देता है कि छुट्टा नहीं है। दवा लेनी है तो लो वरना आगे बढ़ो। सबसे ज्यादा तो यहां के सफाई कर्मचारियों ने तंग कर रखा है। मरीज को वार्ड में शिफ्ट करने तक का पैसा मांगते हैं।”

सुधीर कुमार सिंह कल्याणपुर निवासी को पित्त में पथरी है। इनकी मां ने बताया, “जब से नोट बन्द हुए हैं तब से खाने तक को तरस गए हैं। खाने के लाले पड़ गए हैं जो आता है। उससे पैसे मांगने पड़ते हैं। 60 हज़ार रुपए इलाज में लग गए हैं। कहां से लाएं अब पैसे, कुछ समझ नहीं आता। एटीएम बन्द पड़ा है।”

Tags:
  • lucknow
  • cash ban
  • 500 and 1
  • 000 rupee Note ban
  • cash shortage problem
  • Ram Manohar Lohia Hospital lucknow