By Akash Deep Mishra
जो अनाज कभी गाँव की थालियों में होते थे आज उनको फिर से खानपान की मुख्यधारा में लाने के लिए सभी को कोशिश करनी होगी। किसानों को यकीन दिलाना होगा कि जो वो फसल उगाएंगे बिकेगी। खरीददार और बाजार दोनों की जरुरत है।
जो अनाज कभी गाँव की थालियों में होते थे आज उनको फिर से खानपान की मुख्यधारा में लाने के लिए सभी को कोशिश करनी होगी। किसानों को यकीन दिलाना होगा कि जो वो फसल उगाएंगे बिकेगी। खरीददार और बाजार दोनों की जरुरत है।
By Akash Deep Mishra
क्या हम इतनी फीस दे सकते हैं? नौकरी तुरंत नहीं लगी तो क्या होगा? इतने पैसे कहाँ से आएंगे? सारे पैसे पढ़ाई में लगा दिए तो घर के खर्च? क्या इसी संस्थान में पढ़ना ज़रूरी है? क्या बाद में नहीं पढ़ सकते? ऐसे तमाम सवालों के जवाब आज बात पते की में।
क्या हम इतनी फीस दे सकते हैं? नौकरी तुरंत नहीं लगी तो क्या होगा? इतने पैसे कहाँ से आएंगे? सारे पैसे पढ़ाई में लगा दिए तो घर के खर्च? क्या इसी संस्थान में पढ़ना ज़रूरी है? क्या बाद में नहीं पढ़ सकते? ऐसे तमाम सवालों के जवाब आज बात पते की में।
By Akash Deep Mishra
जैसे कि एक अच्छी सड़क होना किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए ज़रूरी है, उसी प्रकार समय समय पर नयी तकनीकी का व्यवस्था में जुड़ना भी विकास के लिए ज़रूरी है। कोरोना काल में डिजिटल पेमेंट ने बहुत सुविधा प्रदान की थी और इस महामारी को फैलने से रोकने में भी भूमिका निभाई थी।
जैसे कि एक अच्छी सड़क होना किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए ज़रूरी है, उसी प्रकार समय समय पर नयी तकनीकी का व्यवस्था में जुड़ना भी विकास के लिए ज़रूरी है। कोरोना काल में डिजिटल पेमेंट ने बहुत सुविधा प्रदान की थी और इस महामारी को फैलने से रोकने में भी भूमिका निभाई थी।
By Akash Deep Mishra
एक महीने में दोगुना, तीन महीने में तीन गुना ऐसे ही कई भ्रामक विज्ञापनों की तरफ लोग खींचे चले जाते हैं और जब तक उन्हें समझ में आता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। जबकि आपकी अपनी बैंक में कई ऐसी स्कीम हैं, जिनमें आप निवेश कर सकते हैं, बात पते की में आज आपको ऐसी ही जरूरी जानकारी दी जा रही है।
एक महीने में दोगुना, तीन महीने में तीन गुना ऐसे ही कई भ्रामक विज्ञापनों की तरफ लोग खींचे चले जाते हैं और जब तक उन्हें समझ में आता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। जबकि आपकी अपनी बैंक में कई ऐसी स्कीम हैं, जिनमें आप निवेश कर सकते हैं, बात पते की में आज आपको ऐसी ही जरूरी जानकारी दी जा रही है।
By Akash Deep Mishra
सिबिल स्कोर आपके वित्तीय लेन देन का रिपोर्ट कार्ड है। उसमें विभिन्न मानक हैं, जिनसे आपकी वित्तीय जोखिम लेने की क्षमता, वित्तीय व्यवहारों को लेकर आपकी आदतें या आपके पिछले व्यवहारों के बारे में जानकारी मिल जाती है।
सिबिल स्कोर आपके वित्तीय लेन देन का रिपोर्ट कार्ड है। उसमें विभिन्न मानक हैं, जिनसे आपकी वित्तीय जोखिम लेने की क्षमता, वित्तीय व्यवहारों को लेकर आपकी आदतें या आपके पिछले व्यवहारों के बारे में जानकारी मिल जाती है।
By Akash Deep Mishra
वृद्धावस्था में आय के निश्चित स्त्रोत नहीं होते, एक बेहतर जिंदगी के लिए यह जरूरी है कि हम अपनी युवावस्था में ही कुछ ऐसे हल निकाल लें जिससे कि हमारी बाद की ज़रूरतें किसी की मदद की मोहताज़ न हों। बात पते की इस भाग में आज ऐसी ही एक योजना के बारे में बता रहे हैं।
वृद्धावस्था में आय के निश्चित स्त्रोत नहीं होते, एक बेहतर जिंदगी के लिए यह जरूरी है कि हम अपनी युवावस्था में ही कुछ ऐसे हल निकाल लें जिससे कि हमारी बाद की ज़रूरतें किसी की मदद की मोहताज़ न हों। बात पते की इस भाग में आज ऐसी ही एक योजना के बारे में बता रहे हैं।
By Akash Deep Mishra
आप भी बचत के बारे में सोच रहे हैं, लेकिन समझ नहीं पा रहे हैं कि कहां और कैसे निवेश करें। बात पते की में आज ऐसी जरूरी जानकारी दे रहे हैं।
आप भी बचत के बारे में सोच रहे हैं, लेकिन समझ नहीं पा रहे हैं कि कहां और कैसे निवेश करें। बात पते की में आज ऐसी जरूरी जानकारी दे रहे हैं।
By Akash Deep Mishra
बचत करना जरूरी है, ये तो सबको पता है, लेकिन कैसे करना है, इसको लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल होते हैं। जैसे कि लोगों को बचत और चालू खाता के बीच का अंतर नहीं पता होता है, खासकर के ग्रामीण भारत में, बात पते की आज आपको ऐसी जरूरी जानकारी दी जा रही है।
बचत करना जरूरी है, ये तो सबको पता है, लेकिन कैसे करना है, इसको लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल होते हैं। जैसे कि लोगों को बचत और चालू खाता के बीच का अंतर नहीं पता होता है, खासकर के ग्रामीण भारत में, बात पते की आज आपको ऐसी जरूरी जानकारी दी जा रही है।
By Akash Deep Mishra
एक समय था जब महिलाएं कहीं गुल्लक में तो कहीं चावल के कनस्तर में पैसे जमा करती थीं, लेकिन अब उनके लिए बचत करना आसान हो गया है। ऐसी ही एक योजना के बारे में आज आपको बता रहे हैं।
एक समय था जब महिलाएं कहीं गुल्लक में तो कहीं चावल के कनस्तर में पैसे जमा करती थीं, लेकिन अब उनके लिए बचत करना आसान हो गया है। ऐसी ही एक योजना के बारे में आज आपको बता रहे हैं।
By Akash Deep Mishra
कई बार स्वयं सहायता समूह जुड़ी महिलाओं को ये नहीं पता होता है कि बैंक से मिले लोन को वो किस तरह इस्तेमाल कर सकती हैं, वो जो खर्च कर रहीं क्या वो तरीका सही है, ऐसे ही कई मुद्दों पर उन्हें जागरूक करने की जरूरत है।
कई बार स्वयं सहायता समूह जुड़ी महिलाओं को ये नहीं पता होता है कि बैंक से मिले लोन को वो किस तरह इस्तेमाल कर सकती हैं, वो जो खर्च कर रहीं क्या वो तरीका सही है, ऐसे ही कई मुद्दों पर उन्हें जागरूक करने की जरूरत है।