By Anand kumar
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में लकड़ी के खिलौने बनाने का हुनर पुरुषों के साथ अब महिलाएं सीख रही हैं। महिलाओं को प्रशिक्षण के साथ प्रतिदिन 300 रूपये भी दिए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में लकड़ी के खिलौने बनाने का हुनर पुरुषों के साथ अब महिलाएं सीख रही हैं। महिलाओं को प्रशिक्षण के साथ प्रतिदिन 300 रूपये भी दिए जा रहे हैं।
By Anand kumar
बिहार बोर्ड द्वारा STET-2019 की परीक्षा फिर से लिए जाने के फैसले को लेकर राज्य में हंगामा शुरू हो गया है। STET-2019 के अभ्यर्थी 9 सितंबर से होने वाली परीक्षा का विरोध कर रहे हैं। अभ्यर्थियों की मांग है कि 28 जनवरी को हुई परीक्षा का रिजल्ट जारी हो और उसी आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए। कोरोना और बाढ़ के बीच में 9 सितंबर से आयोजित होने वाली STET-2019 की परीक्षा अभ्यर्थियों के सामने कई मुश्किलें खड़ी कर रही है।
बिहार बोर्ड द्वारा STET-2019 की परीक्षा फिर से लिए जाने के फैसले को लेकर राज्य में हंगामा शुरू हो गया है। STET-2019 के अभ्यर्थी 9 सितंबर से होने वाली परीक्षा का विरोध कर रहे हैं। अभ्यर्थियों की मांग है कि 28 जनवरी को हुई परीक्षा का रिजल्ट जारी हो और उसी आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए। कोरोना और बाढ़ के बीच में 9 सितंबर से आयोजित होने वाली STET-2019 की परीक्षा अभ्यर्थियों के सामने कई मुश्किलें खड़ी कर रही है।
By Anand kumar
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में लकड़ी के खिलौनों के कारीगरों की आर्थिक स्थिति कोरोना वायरस को रोकने के लिए लगे लॉकडाउन की वजह से काफी बिगड़ गई है। कारीगर अब उधारी लेकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। चीनी खिलौनों के कारण पहले से ही डूब रहे इस उद्योग को कोरोना महामारी से बड़ा झटका लगा है। वाराणसी से आनंद कुमार की जमीनी रिपोर्ट-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में लकड़ी के खिलौनों के कारीगरों की आर्थिक स्थिति कोरोना वायरस को रोकने के लिए लगे लॉकडाउन की वजह से काफी बिगड़ गई है। कारीगर अब उधारी लेकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। चीनी खिलौनों के कारण पहले से ही डूब रहे इस उद्योग को कोरोना महामारी से बड़ा झटका लगा है। वाराणसी से आनंद कुमार की जमीनी रिपोर्ट-
By Anand kumar
महामना मोबाइल ऑक्सीजन पॉइंट पर उन मरीजों को नि:शुल्क ऑक्सीजन दिया जा रहा है, जो बीएचयू कोविड अस्पताल में भर्ती नहीं हो पा रहे हैं या उन्हें भर्ती होने का इंतजार करना पड़ रहा है।
महामना मोबाइल ऑक्सीजन पॉइंट पर उन मरीजों को नि:शुल्क ऑक्सीजन दिया जा रहा है, जो बीएचयू कोविड अस्पताल में भर्ती नहीं हो पा रहे हैं या उन्हें भर्ती होने का इंतजार करना पड़ रहा है।
By Anand kumar
कोरोना के चलते देश के कुछ हिस्सों में दोबारा लॉकडाउन लग गया है। देश के ज्यादातर हिस्सों में एहतियात के साथ सभी काम जारी है लेकिन कई सेक्टर का कामकाज ढर्रे पिछले लॉकडाउन के बाद से ही ढर्रे पर नहीं आ पाया है, इन्हीं में एक हैं वो नाविक जो बनरास के घाटों पर नाव चलाकर अपनी आजीविका चलाते थे।
कोरोना के चलते देश के कुछ हिस्सों में दोबारा लॉकडाउन लग गया है। देश के ज्यादातर हिस्सों में एहतियात के साथ सभी काम जारी है लेकिन कई सेक्टर का कामकाज ढर्रे पिछले लॉकडाउन के बाद से ही ढर्रे पर नहीं आ पाया है, इन्हीं में एक हैं वो नाविक जो बनरास के घाटों पर नाव चलाकर अपनी आजीविका चलाते थे।
By Anand kumar
गरीबों व जरूरतमंदों के लिए देवदूत साबित हुए अमन। कोरोना काल में वे इंसानियत को बचाने के लिए लोगों को ऑक्सीजन दिलाने से लेकर कोरोना से मरने वालों का खुद अंतिम संस्कार कराते हैं। पिछले साल लगे लॉकडाउन के बाद से लगातार चल रही उनकी मदद करने की मुहिम।
गरीबों व जरूरतमंदों के लिए देवदूत साबित हुए अमन। कोरोना काल में वे इंसानियत को बचाने के लिए लोगों को ऑक्सीजन दिलाने से लेकर कोरोना से मरने वालों का खुद अंतिम संस्कार कराते हैं। पिछले साल लगे लॉकडाउन के बाद से लगातार चल रही उनकी मदद करने की मुहिम।
By Anand kumar
कोरोना महामारी को रोकना है तो टीकाकरण ही एक उपाय बताया जा रहा। सरकार लोगों को आगे आकर टीका लगवाने के लिए प्रेरित भी कर रही है, लेकिन पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के विधवाश्रमों में रहने वाली बहुत सारी महिलाओं को टीके नहीं लग पा रहे क्योंकि उनके पास आधार या कोई पहचान पत्र नहीं है।
कोरोना महामारी को रोकना है तो टीकाकरण ही एक उपाय बताया जा रहा। सरकार लोगों को आगे आकर टीका लगवाने के लिए प्रेरित भी कर रही है, लेकिन पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के विधवाश्रमों में रहने वाली बहुत सारी महिलाओं को टीके नहीं लग पा रहे क्योंकि उनके पास आधार या कोई पहचान पत्र नहीं है।
By Anand kumar
ये लगातार दूसरा साल है जब फूल के कारोबार से जुड़े किसान, कारोबारी से लेकर माली तक सबके चेहरे मुरझाए हुए हैं। मंदिरों और घाटों के शहर वाराणसी में हजारों लोगों की कमाई फूलों से चलती थी, लेकिन आजकल मुश्किल से 2 वक्त की रोटी का इंतजाम हो पा रहा।
ये लगातार दूसरा साल है जब फूल के कारोबार से जुड़े किसान, कारोबारी से लेकर माली तक सबके चेहरे मुरझाए हुए हैं। मंदिरों और घाटों के शहर वाराणसी में हजारों लोगों की कमाई फूलों से चलती थी, लेकिन आजकल मुश्किल से 2 वक्त की रोटी का इंतजाम हो पा रहा।