By Dr Rajaram Tripathi
चुनावी मौसम के बीच पेश होने वाले इस बजट में किसानों के लिए कुछ बड़े ऐलान की उम्मीद की जा रही है। उम्मीद की जाती है कि अबकी बार पीएम किसान योजना के दायरे को बढ़ाकर लघु, मध्यम, बड़े, भूमिहीन, काबिज काश्त और बटाईदार किसानों को भी इसके दायरे में लाया जाएगा। खाद बीज दवाई तथा डीजल के दाम बढ़ने के बाद तथा खेती में बढ़ते घाटे को देखते हुए इसकी सालाना राशि भी बढ़ाकर 16 हजार से 20 हजार तक करते हुए किसानों को वास्तविक राहत प्रदान किया जा सकता है।
चुनावी मौसम के बीच पेश होने वाले इस बजट में किसानों के लिए कुछ बड़े ऐलान की उम्मीद की जा रही है। उम्मीद की जाती है कि अबकी बार पीएम किसान योजना के दायरे को बढ़ाकर लघु, मध्यम, बड़े, भूमिहीन, काबिज काश्त और बटाईदार किसानों को भी इसके दायरे में लाया जाएगा। खाद बीज दवाई तथा डीजल के दाम बढ़ने के बाद तथा खेती में बढ़ते घाटे को देखते हुए इसकी सालाना राशि भी बढ़ाकर 16 हजार से 20 हजार तक करते हुए किसानों को वास्तविक राहत प्रदान किया जा सकता है।
By Dr Rajaram Tripathi
जब बीज भरोसे से बोया जाए और खाद सरकारी प्रमाणित हो, फिर भी फसल नष्ट हो जाए तो सवाल केवल खेती का नहीं, व्यवस्था की सच्चाई का बन जाता है।
जब बीज भरोसे से बोया जाए और खाद सरकारी प्रमाणित हो, फिर भी फसल नष्ट हो जाए तो सवाल केवल खेती का नहीं, व्यवस्था की सच्चाई का बन जाता है।
By Dr Rajaram Tripathi
देश में दशकों की वृक्षारोपण नौटंकी के बावजूद प्रति व्यक्ति सिर्फ 28 पेड़ बचे हैं, जबकि विश्व में सबसे गरीब देशों में शुमार इथोपिया हरित-संपदा के मामले में प्रति व्यक्ति 143 पेड़ों के साथ हमसे 5 गुना अधिक समृद्ध है। आजादी के बाद से अब तक हमने देश में जितने भी पौधे लगाए ,अगर उनमें से 50 फीसदी भी जिंदा होते और जंगल बचाए जाते तो हरित संपदा में हम दुनिया में नंबर एक होते।
देश में दशकों की वृक्षारोपण नौटंकी के बावजूद प्रति व्यक्ति सिर्फ 28 पेड़ बचे हैं, जबकि विश्व में सबसे गरीब देशों में शुमार इथोपिया हरित-संपदा के मामले में प्रति व्यक्ति 143 पेड़ों के साथ हमसे 5 गुना अधिक समृद्ध है। आजादी के बाद से अब तक हमने देश में जितने भी पौधे लगाए ,अगर उनमें से 50 फीसदी भी जिंदा होते और जंगल बचाए जाते तो हरित संपदा में हम दुनिया में नंबर एक होते।
By Dr Rajaram Tripathi
20 फरवरी-'विश्व सामाजिक न्याय दिवस' के रूप जाना जाता है; देश में आज 250 जिलों में केवल 400 वृद्धाश्रम संचालित हैं, जबकि लगभग 4000 वृद्धाश्रमों की तुरंत ज़रूरत है।
20 फरवरी-'विश्व सामाजिक न्याय दिवस' के रूप जाना जाता है; देश में आज 250 जिलों में केवल 400 वृद्धाश्रम संचालित हैं, जबकि लगभग 4000 वृद्धाश्रमों की तुरंत ज़रूरत है।
By Dr Rajaram Tripathi
किसान ज़्यादा इसलिए आशावान भी थे, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री होते हुए स्वयं किसानों के लिए 'एमएसपी गारंटी कानून' की अनिवार्यता की लगातार वकालत तत्कालीन केंद्र सरकार के सामने करते रहे हैं।
किसान ज़्यादा इसलिए आशावान भी थे, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री होते हुए स्वयं किसानों के लिए 'एमएसपी गारंटी कानून' की अनिवार्यता की लगातार वकालत तत्कालीन केंद्र सरकार के सामने करते रहे हैं।