विश्व शिक्षक दिवस: पढ़िए उन शिक्षकों की कहानी जो बेहतर भारत के लिए कार्यरत हैं
विश्व शिक्षक दिवस: पढ़िए उन शिक्षकों की कहानी जो बेहतर भारत के लिए कार्यरत हैं

By Jigyasa Mishra

विश्व शिक्षक दिवस पर गाँव कनेक्शन अपने फील्ड रिपोर्ट्स के दौरान मिले ऐसे कुछ शिक्षकों के कहानी आपसे साँझा कर रहा है जो बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए कार्यरत हैं।

विश्व शिक्षक दिवस पर गाँव कनेक्शन अपने फील्ड रिपोर्ट्स के दौरान मिले ऐसे कुछ शिक्षकों के कहानी आपसे साँझा कर रहा है जो बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए कार्यरत हैं।

बिचौलियों का लालच मधुबनी कला को तो जिंदा रखेगा पर शायद कलाकार को खत्म कर देगा
बिचौलियों का लालच मधुबनी कला को तो जिंदा रखेगा पर शायद कलाकार को खत्म कर देगा

By Jigyasa Mishra

बिहार की मधुबनी लोककला दुनिया भर में मशहूर हो गई हो लेकिन यह आज भी अपने चित्रकारों को बिचौलियों से बचाने में कामयाब नहीं हो पाई है। अफसोस की बात है कि सरकार से भी इन चित्रकारों को कोई समर्थन नहीं मिल पा रहा है।

बिहार की मधुबनी लोककला दुनिया भर में मशहूर हो गई हो लेकिन यह आज भी अपने चित्रकारों को बिचौलियों से बचाने में कामयाब नहीं हो पाई है। अफसोस की बात है कि सरकार से भी इन चित्रकारों को कोई समर्थन नहीं मिल पा रहा है।

बिहार से दिल्ली, उत्तर प्रदेश और विदेशों तक जाता है यहाँ का सरौता
बिहार से दिल्ली, उत्तर प्रदेश और विदेशों तक जाता है यहाँ का सरौता

By Jigyasa Mishra

मधुबनी जिले में आनेवाला गाँव सरसब पाही, सरौतों के लिए राज्य ही नहीं, देश भर में विख्यात है। पान और सुपाड़ी का शौक रखने वालों के एक बेहद पसंदीदा चीज़ होते हैं यहाँ के सरौते।

मधुबनी जिले में आनेवाला गाँव सरसब पाही, सरौतों के लिए राज्य ही नहीं, देश भर में विख्यात है। पान और सुपाड़ी का शौक रखने वालों के एक बेहद पसंदीदा चीज़ होते हैं यहाँ के सरौते।

क्यों प्रसिद्ध है सहारनपुर की दस्तकारी
क्यों प्रसिद्ध है सहारनपुर की दस्तकारी

By Jigyasa Mishra

मुगलों के आगमन के साथ शुरू हुई काष्ठ कला, सहारनपुर की पहचान बन चुकी है और देश, विदेश तक लोकप्रिय है। आज भी सहारनपुर में कई परिवार सिर्फ़ इसी काम के भरोसे अपना जीवन यापन कर रहे हैं।

मुगलों के आगमन के साथ शुरू हुई काष्ठ कला, सहारनपुर की पहचान बन चुकी है और देश, विदेश तक लोकप्रिय है। आज भी सहारनपुर में कई परिवार सिर्फ़ इसी काम के भरोसे अपना जीवन यापन कर रहे हैं।

"A toilet? There are no toilets here. We go out in the open."
"A toilet? There are no toilets here. We go out in the open."

By Jigyasa Mishra

It’s not that finding a decent toilet in cities is a cakewalk, but it’s a challenge of a different kind when you are in a village and have to find one on a simmering hot day. Most of them in Lokhariya village drew a blank when I asked them about a toilet. For me it was a day-long ordeal, but for women living in many villages in Bundelkhand, ‘no toilet’ is a way of life.

It’s not that finding a decent toilet in cities is a cakewalk, but it’s a challenge of a different kind when you are in a village and have to find one on a simmering hot day. Most of them in Lokhariya village drew a blank when I asked them about a toilet. For me it was a day-long ordeal, but for women living in many villages in Bundelkhand, ‘no toilet’ is a way of life.

"I request the government to build toilets in my village"
"I request the government to build toilets in my village"

By Jigyasa Mishra

When we were travelling across Bundelkhand on our bike, the election fever was at its peak. We met many first-time voters, who had so many hopes and aspirations. They also had many grievances, which they shared with us. They were so keen to vote, but I kept wondering if their voices would ever reach those who matter.

When we were travelling across Bundelkhand on our bike, the election fever was at its peak. We met many first-time voters, who had so many hopes and aspirations. They also had many grievances, which they shared with us. They were so keen to vote, but I kept wondering if their voices would ever reach those who matter.

"ये तो मेरे लिए स्वर्ग और बैकुंठ है, यहां से मेरी लाश निकलेगी अब"
"ये तो मेरे लिए स्वर्ग और बैकुंठ है, यहां से मेरी लाश निकलेगी अब"

By Jigyasa Mishra

ओडिशा, महाराष्टृ, बिहार, उत्तर प्रदेश के अलावा कई और राज्यों से, अपनी कई पीढ़ियां देख चुकी, विषम परिस्थितियों से त्रस्त होकर आश्रम में आई ढेरों महिलाएं आज फिर नए दोस्त बना रही हैं और खुशी के गीत गा कर एक नए जीवन की ओर अग्रसर हैं।

ओडिशा, महाराष्टृ, बिहार, उत्तर प्रदेश के अलावा कई और राज्यों से, अपनी कई पीढ़ियां देख चुकी, विषम परिस्थितियों से त्रस्त होकर आश्रम में आई ढेरों महिलाएं आज फिर नए दोस्त बना रही हैं और खुशी के गीत गा कर एक नए जीवन की ओर अग्रसर हैं।

कश्मीरी कालीन बुनकर ने कहा, 'यही हाल रहा तो मैं ख़ुदकुशी कर लूँगा'
कश्मीरी कालीन बुनकर ने कहा, 'यही हाल रहा तो मैं ख़ुदकुशी कर लूँगा'

By Jigyasa Mishra

"एक दिन में 150 रुपये मिलते हैं हमको, दस से बारह घंटे काम करने के। पिछले सालों में तो हमारी दिन भर की कमाई भी काम हो गई है। अगर सरकार अपने दरवाज़े हमारे लिए खोलती तो कुछ उम्मीद थी," परवेज़ कहते हैं।

"एक दिन में 150 रुपये मिलते हैं हमको, दस से बारह घंटे काम करने के। पिछले सालों में तो हमारी दिन भर की कमाई भी काम हो गई है। अगर सरकार अपने दरवाज़े हमारे लिए खोलती तो कुछ उम्मीद थी," परवेज़ कहते हैं।

"नब्बे प्रतिशत हो मतदान, बने बांदा भारत की शान"
"नब्बे प्रतिशत हो मतदान, बने बांदा भारत की शान"

By Jigyasa Mishra

मतदाताओं को जागरूक करने के लिए बांदा के ब्रैंड ऐम्बेस्डर की अनोखी अपील

मतदाताओं को जागरूक करने के लिए बांदा के ब्रैंड ऐम्बेस्डर की अनोखी अपील

कश्मीरी कालीन उद्योग पर हावी हो रही मशीन निर्मित, ईरानी, चीनी और अफ़गानी कालीनें
कश्मीरी कालीन उद्योग पर हावी हो रही मशीन निर्मित, ईरानी, चीनी और अफ़गानी कालीनें

By Jigyasa Mishra

रफ़ीक ने बताया कि किस तरह कम समय और लागत से बनने वाली विदेशी कालीनें भारत में धड़ल्ले से न सिर्फ बिक रही हैं बल्कि कश्मीरी कालीनों का व्यापार भी तेज़ी से कम कर रही हैं।

रफ़ीक ने बताया कि किस तरह कम समय और लागत से बनने वाली विदेशी कालीनें भारत में धड़ल्ले से न सिर्फ बिक रही हैं बल्कि कश्मीरी कालीनों का व्यापार भी तेज़ी से कम कर रही हैं।

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