बिहार बाढ़: न पेट भर खाना, न स्वास्थ्य देखभाल और न ही शौचालय, एक महीने से शरणार्थियों की जिंदगी जी रहे बाढ़ पीड़ित
बिहार बाढ़: न पेट भर खाना, न स्वास्थ्य देखभाल और न ही शौचालय, एक महीने से शरणार्थियों की जिंदगी जी रहे बाढ़ पीड़ित

By Rohin Kumar

दरभंगा के प्रखंड-कुशेश्वरस्थान पूर्वी के 200 परिवार पिछले एक महीने से अधिक समय से बाढ़ के कारण अपने घर से विस्थापित हो गए हैं। वे कोसी के पूर्वी तटबंध और रेलवे पटरियों पर अस्थायी झोपड़ियां बनाकर रह रहे हैं।

दरभंगा के प्रखंड-कुशेश्वरस्थान पूर्वी के 200 परिवार पिछले एक महीने से अधिक समय से बाढ़ के कारण अपने घर से विस्थापित हो गए हैं। वे कोसी के पूर्वी तटबंध और रेलवे पटरियों पर अस्थायी झोपड़ियां बनाकर रह रहे हैं।

बाघजान विस्फोट: ऑयल इंडिया लिमिटेड ने छह महीने पहले ही माना था, 'देश तेल व गैस हादसों से निपटने के लिए नहीं है तैयार'
बाघजान विस्फोट: ऑयल इंडिया लिमिटेड ने छह महीने पहले ही माना था, 'देश तेल व गैस हादसों से निपटने के लिए नहीं है तैयार'

By Rohin Kumar

पर्यावरणविदों की चिंता है कि बाघजान और मागुरी मोटापुंग बील जैसे अति संवेदनशील क्षेत्र में पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई शायद कभी न हो पाए।

पर्यावरणविदों की चिंता है कि बाघजान और मागुरी मोटापुंग बील जैसे अति संवेदनशील क्षेत्र में पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई शायद कभी न हो पाए।

बदहाल स्वास्थ्य कर्मचारियों के भरोसे बिहार में कोविड-19 से लड़ाई
बदहाल स्वास्थ्य कर्मचारियों के भरोसे बिहार में कोविड-19 से लड़ाई

By Rohin Kumar

कोरोना मामलों में तेज़ी, कम टेस्टिंग, थके-मांदे और कम वेतन पाने से नाराज़ स्वास्थ्य कर्मियों के साथ बिहार अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली का पतन देख रहा है।

कोरोना मामलों में तेज़ी, कम टेस्टिंग, थके-मांदे और कम वेतन पाने से नाराज़ स्वास्थ्य कर्मियों के साथ बिहार अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली का पतन देख रहा है।

बिहार के कोविड 19 डेडिकेटेड अस्पताल से लाइव: चिंता, निराशा और हताशा की अंतहीन कहानी
बिहार के कोविड 19 डेडिकेटेड अस्पताल से लाइव: चिंता, निराशा और हताशा की अंतहीन कहानी

By Rohin Kumar

बिहार में चार कोविड डेडिकेटेड अस्पताल हैं। यह आंखों-देखा हाल उन्हीं में से एक अनुग्रह नारायण मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल (एएनएमसीएच), गया का है।

बिहार में चार कोविड डेडिकेटेड अस्पताल हैं। यह आंखों-देखा हाल उन्हीं में से एक अनुग्रह नारायण मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल (एएनएमसीएच), गया का है।

बिहार: मिड डे मील के अभाव में रोटी-प्याज़ और भात-अचार खाकर जीने को मज़बूर मुसहर बच्चे
बिहार: मिड डे मील के अभाव में रोटी-प्याज़ और भात-अचार खाकर जीने को मज़बूर मुसहर बच्चे

By Rohin Kumar

COVID-19 के कारण मार्च के मध्य से ही देश भर में स्कूल बंद हैं। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को यह निर्देश दिया था कि वे बच्चों को मध्यान्ह भोजन सुनिश्चित करें। गाँव कनेक्शन ने बिहार के गया में इसकी पड़ताल की और पाया कि बच्चे केवल रोटी-प्याज, चावल-अचार या माड़-भात खा रहे हैं।

COVID-19 के कारण मार्च के मध्य से ही देश भर में स्कूल बंद हैं। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को यह निर्देश दिया था कि वे बच्चों को मध्यान्ह भोजन सुनिश्चित करें। गाँव कनेक्शन ने बिहार के गया में इसकी पड़ताल की और पाया कि बच्चे केवल रोटी-प्याज, चावल-अचार या माड़-भात खा रहे हैं।

गंगा उद्भव योजना: मगध की जलसंचयन प्रणाली को क्यों नहीं मजबूत कर रही सरकार
गंगा उद्भव योजना: मगध की जलसंचयन प्रणाली को क्यों नहीं मजबूत कर रही सरकार

By Rohin Kumar

पेयजल की समस्या को खत्म करने के लिए बिहार सरकार ने मोकामा के पास से गंगा का पानी 190 किलोमीटर दूर नालंदा और गया ले जाने का निर्णय लिया है, लेकिन इस पर कई सवाल भी उठ रहे हैं। जानकार इस प्रोजेक्ट को अव्यावहारिक मान रहे हैं, तो दूसरी तरफ इससे गंगा की परिस्थितिकी और डाल्फिन पर भी खतरे की आशंका है।

पेयजल की समस्या को खत्म करने के लिए बिहार सरकार ने मोकामा के पास से गंगा का पानी 190 किलोमीटर दूर नालंदा और गया ले जाने का निर्णय लिया है, लेकिन इस पर कई सवाल भी उठ रहे हैं। जानकार इस प्रोजेक्ट को अव्यावहारिक मान रहे हैं, तो दूसरी तरफ इससे गंगा की परिस्थितिकी और डाल्फिन पर भी खतरे की आशंका है।

लौंगी मांझी के तीन दशकों का परिश्रम, सरकारों की नाकामी का जीता-जागता उदाहरण है
लौंगी मांझी के तीन दशकों का परिश्रम, सरकारों की नाकामी का जीता-जागता उदाहरण है

By Rohin Kumar

बिहार के गया में 30 साल तक अकेले नहर खोदने वाले लौंगी मांझी की कहानी बहुत ही अनूठी है। दूसरा दशरथ मांझी कहे जा रहे लौंगी को उनके परिवार सहित सभी गांव वालों ने पागल कहना शुरू कर दिया था। कई बार लौंगी का भी खुद पर से विश्वास डिगा लेकिन अंत में वह जो करना चाहते थे, उसमें वह सफल हुए। लौंगी मांझी की पूरी कहानी-

बिहार के गया में 30 साल तक अकेले नहर खोदने वाले लौंगी मांझी की कहानी बहुत ही अनूठी है। दूसरा दशरथ मांझी कहे जा रहे लौंगी को उनके परिवार सहित सभी गांव वालों ने पागल कहना शुरू कर दिया था। कई बार लौंगी का भी खुद पर से विश्वास डिगा लेकिन अंत में वह जो करना चाहते थे, उसमें वह सफल हुए। लौंगी मांझी की पूरी कहानी-

कोयला आवंटन: पर्यावरण और विस्थापन की कीमत पर आत्मनिर्भरता?
कोयला आवंटन: पर्यावरण और विस्थापन की कीमत पर आत्मनिर्भरता?

By Rohin Kumar

यह पहला मौका है जब भारत में कोयला खदानों को कॉमर्शियल माइनिंग (वाणिज्यिक खनन) के लिए खोला जा रहा है। नीलामी प्रक्रिया को लॉन्च करने के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि कोयला खनन आदिवासी बहुल क्षेत्रों में विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा। लेकिन कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल कोयले का निर्यात नहीं बल्कि प्राकृतिक आपदाओं, विस्थापन और प्रदूषण का आयात है।

यह पहला मौका है जब भारत में कोयला खदानों को कॉमर्शियल माइनिंग (वाणिज्यिक खनन) के लिए खोला जा रहा है। नीलामी प्रक्रिया को लॉन्च करने के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि कोयला खनन आदिवासी बहुल क्षेत्रों में विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा। लेकिन कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल कोयले का निर्यात नहीं बल्कि प्राकृतिक आपदाओं, विस्थापन और प्रदूषण का आयात है।

असम में पर्यावरण प्रभाव आकलन मसौदे (EIA 2020) का विरोध, बाघजान और डेहिंग पटकई से सीख लेने की अपील
असम में पर्यावरण प्रभाव आकलन मसौदे (EIA 2020) का विरोध, बाघजान और डेहिंग पटकई से सीख लेने की अपील

By Rohin Kumar

नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) और सिटिजनशिप एमेंडमेंट एक्ट (सीएए), 2019 के बाद अब विवादित पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना (ईआईए), 2020 के खिलाफ़ पूर्वोत्तर राज्यों खासकर असम में आंदोलन आकार लेता दिख रहा है।

नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) और सिटिजनशिप एमेंडमेंट एक्ट (सीएए), 2019 के बाद अब विवादित पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना (ईआईए), 2020 के खिलाफ़ पूर्वोत्तर राज्यों खासकर असम में आंदोलन आकार लेता दिख रहा है।

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.