वो आइडिया जो बदल सकता है अफ़्रीकी किसानों की क़िस्मत
वो आइडिया जो बदल सकता है अफ़्रीकी किसानों की क़िस्मत

By Sarvesh Tiwari

स्मार्ट कृषि तकनीकों और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का बढ़ता इस्तेमाल अफ्रीका के कृषि क्षेत्र को न सिर्फ जलवायु परिवर्तन से बचा सकता है, बल्कि यह खाद्य सुरक्षा और समृद्धि के लिए एक मजबूत आधार साबित हो सकता है।

स्मार्ट कृषि तकनीकों और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का बढ़ता इस्तेमाल अफ्रीका के कृषि क्षेत्र को न सिर्फ जलवायु परिवर्तन से बचा सकता है, बल्कि यह खाद्य सुरक्षा और समृद्धि के लिए एक मजबूत आधार साबित हो सकता है।

मॉरीशस के गाँवों में अचानक जश्न के माहौल की ये है बड़ी वजह
मॉरीशस के गाँवों में अचानक जश्न के माहौल की ये है बड़ी वजह

By Sarvesh Tiwari

मॉरीशस में आम चुनाव की घोषणा से चंद रोज पहले चागोस द्वीप को ब्रिटेन द्वारा मॉरीशस को वापस देने की ख़बर से पूरे देश में जश्न का माहौल है, लेकिन सबसे अधिक ख़ुशी गाँव के लोगों में है। वजह है चागोस से बेघर हुए लोगों में जगी वापसी की उम्मीद।

मॉरीशस में आम चुनाव की घोषणा से चंद रोज पहले चागोस द्वीप को ब्रिटेन द्वारा मॉरीशस को वापस देने की ख़बर से पूरे देश में जश्न का माहौल है, लेकिन सबसे अधिक ख़ुशी गाँव के लोगों में है। वजह है चागोस से बेघर हुए लोगों में जगी वापसी की उम्मीद।

मलेशिया में प्रवासी भारतीय सम्मेलन में किसानों की भागीदारी का क्या मायने हैं?
मलेशिया में प्रवासी भारतीय सम्मेलन में किसानों की भागीदारी का क्या मायने हैं?

By Sarvesh Tiwari

प्रवासी भारतीयों के संगठन 'गोपियो' (ग्लोबल आर्गेनाइजेशन ऑफ़ पीपल ऑफ़ इंडियन ओरिजिन) के मंच पर जहाँ देश के आर्थिक विकास में प्रवासी भारतीयों के योगदान पर चर्चा हुई वहीं खेती किसानी में कमाल कर रहे किसान भाई बहनों को भी इसका श्रेय दिया गया।

प्रवासी भारतीयों के संगठन 'गोपियो' (ग्लोबल आर्गेनाइजेशन ऑफ़ पीपल ऑफ़ इंडियन ओरिजिन) के मंच पर जहाँ देश के आर्थिक विकास में प्रवासी भारतीयों के योगदान पर चर्चा हुई वहीं खेती किसानी में कमाल कर रहे किसान भाई बहनों को भी इसका श्रेय दिया गया।

मॉरीशस के दादासाहब फाल्के: छोटे गाँव से पूरा किया बड़े पर्दे का सपना
मॉरीशस के दादासाहब फाल्के: छोटे गाँव से पूरा किया बड़े पर्दे का सपना

By Sarvesh Tiwari

फ्रेंच भाषी मॉरीशस में बड़े पर्दे की पहली हिंदी फिल्म बनाने वाले सुरेंद्र बृजमोहन अब विदेशी फिल्मकारों के अनुभवी उस्ताद हैं। फिल्म ‘गाइड ‘की सफलता के बाद मॉरीशस पहुंचे देव आनंद ने छोटे से गाँव के बृजमोहन से मिलने के बाद कहा था- सुना है पर अब यकीन हो गया है, मॉरीशस के लोगों की जुबान पर ही नहीं, दिलों में भी बॉलीवुड राज करता है। सुरेंद्र बृजमोहन देश विदेश के कई सम्मान से नवाजे गए हैं।

फ्रेंच भाषी मॉरीशस में बड़े पर्दे की पहली हिंदी फिल्म बनाने वाले सुरेंद्र बृजमोहन अब विदेशी फिल्मकारों के अनुभवी उस्ताद हैं। फिल्म ‘गाइड ‘की सफलता के बाद मॉरीशस पहुंचे देव आनंद ने छोटे से गाँव के बृजमोहन से मिलने के बाद कहा था- सुना है पर अब यकीन हो गया है, मॉरीशस के लोगों की जुबान पर ही नहीं, दिलों में भी बॉलीवुड राज करता है। सुरेंद्र बृजमोहन देश विदेश के कई सम्मान से नवाजे गए हैं।

हुनरमंद बनाने की नायाब कोशिश
हुनरमंद बनाने की नायाब कोशिश

By Sarvesh Tiwari

शिक्षा तभी सार्थक होती है जब विपरीत परिस्थिति में भी उसका सही प्रयोग करके सफलता हासिल की जाए। व्यक्ति शिक्षा का सदुपयोग कर न केवल अपना और अपने परिवार का, बल्कि पूरे देश का भला कर सकता है। ऐसे ही कई शिक्षकों पर आधारित है टीचर कनेक्शन ई-मैगजीन का मई अंक।

शिक्षा तभी सार्थक होती है जब विपरीत परिस्थिति में भी उसका सही प्रयोग करके सफलता हासिल की जाए। व्यक्ति शिक्षा का सदुपयोग कर न केवल अपना और अपने परिवार का, बल्कि पूरे देश का भला कर सकता है। ऐसे ही कई शिक्षकों पर आधारित है टीचर कनेक्शन ई-मैगजीन का मई अंक।

परदेस के इस गाँव से एक शख्स कैसे जगा रहा है हिंदी शिक्षा की अलख
परदेस के इस गाँव से एक शख्स कैसे जगा रहा है हिंदी शिक्षा की अलख

By Sarvesh Tiwari

मॉरीशस के गाँव त्रियोले में रहने वाले चंद्रप्रकाश विनय दसोय आज पूरी दुनिया में फैले भारतीय मूल के लोगों के लिए खास हैं। वजह है उनका हिंदी और अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम। शिक्षा विभाग में आला अधिकारी के पद से रिटायर होने के बाद भी उन्होंने हिंदी शिक्षा की अलख जगाने का काम बंद नहीं किया है। बच्चों को जहाँ हिंदी में बात के लिए वे प्रोत्साहित करते हैं, युवाओं को हिंदी नाटकों से जोड़ कर उन्हें विदेशों में मंच साझा करने का मौका भी दे रहे हैं ।

मॉरीशस के गाँव त्रियोले में रहने वाले चंद्रप्रकाश विनय दसोय आज पूरी दुनिया में फैले भारतीय मूल के लोगों के लिए खास हैं। वजह है उनका हिंदी और अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम। शिक्षा विभाग में आला अधिकारी के पद से रिटायर होने के बाद भी उन्होंने हिंदी शिक्षा की अलख जगाने का काम बंद नहीं किया है। बच्चों को जहाँ हिंदी में बात के लिए वे प्रोत्साहित करते हैं, युवाओं को हिंदी नाटकों से जोड़ कर उन्हें विदेशों में मंच साझा करने का मौका भी दे रहे हैं ।

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