ये बोल नहीं सकते…. मगर हम आपको बताते हैं कि इन पर कितना जुल्म होता है...

Kushal Mishra | Mar 25, 2018, 18:40 IST
horse
हो सकता है कि कभी आपने घोड़े की सवारी की हो और आपको बहुत मजा भी आया हो, मगर आज हम आपको इन घोड़ों के पीछे छिपी वो दर्द भरी तस्वीर दिखा रहे हैं, जो आपको इन बेजुबान जानवरों के बारे में सोचने पर जरूर मजबूर कर देगी।

जम्मू में वैष्णो देवी की यात्रा के दौरान इन घोड़ों से किए जाने वाले बुरे बर्ताव के बारे में हाल में हरियाणा के शिवम राय ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। उन्होंने इस पोस्ट के जरिए बताया कि इन घोड़ों के साथ कैसे-कैसे जुल्म किया जा रहे हैं।

शिवम ने अपनी पोस्ट में बताया, “दर्शन कर लौटते समय एक घोड़े का मालिक अपने घोड़े को जानबूझकर चलने के लिए मजबूर कर रहा था, जबकि मैंने देखा कि पीठ पर भारी-भरकम सामान होने की वजह से घोड़े के दाहिने पैर का टखना टूट चुका था।“

आगे बताया, “दर्द की वजह से घोड़ा सड़क पर पैर भी नहीं रख पा रहा था। इसके बावजूद भी उसका मालिक घोड़े को चलने के लिए जोर दे रहा था। अंत में अपना ही वजन न उठा पाने की स्थिति में बीच सड़क पर ही वह घोड़ा बदहवास होकर लेट गया। तब भी उस घायल घोड़े की पूंछ खींचकर उसे दबाया गया ताकि तेज दर्द होने पर घोड़ा खड़ा हो सके और मालिक का आदेश मानें।“

सिर्फ लाठी की मार से ही नहीं, इन घोड़ों को जानबूझ कर दर्द पहुंचाया जाता है, ताकि वे मजबूर होकर मालिक का आदेश मानें। ये बोल नहीं सकते, इसलिए इन जानवरों से सिर्फ दर्द की ‘भाषा’ में ही बात की जाती है।

इस बारे में शिवम ने आगे बताया, “यहां लाठी की मार से कई घोड़ों के शरीर में कई जगह जख्म हैं और इसके बावजूद इन घोड़ों से लगातार सवारी कराई जा रही है। इतना ही नहीं, सड़क पर फिसलन और घोड़ों पर भारी वजन ढोने के कारण न सिर्फ घोड़ों के खुर खराब हो चुके हैं, बल्कि उनके पैरों के टखने भी कमजोर स्थिति में हैं।“

सड़क पर बदहवास पड़े घोड़े के बारे में अपनी पोस्ट में शिवम ने आगे बताया, “घोड़े की ऐसी स्थिति देखकर मैंने वैष्णो देवी मंदिर बोर्ड के आपातकालीन नंबर पर फोन किया, जो तीन बार फोन करने के बाद उठाया गया। मैंने घायल घोड़े के लिए बोर्ड अधिकारियों से मदद मांगी, मगर उन अधिकारियों ने भी ज्यादा सहयोग नहीं किया।“

खुद जंगली जानवरों के लिए काम कर रही संस्था वाइल्ड लाइफ से जुड़े शिवम ने बताया, “ढाई घंटे संघर्ष करने के बाद भी बोर्ड की ओर से कोई मदद नहीं मिली। इसके बाद मैं वहां मौजूद एक सुरक्षा अधिकारी के साथ पशु चिकित्सक को लाने के लिए नीचे की ओर चल पड़ा।“



पहाड़ में फेंक देते हैं मृत शरीर

इस बीच सुरक्षा अधिकारी ने बातचीत में यहां पर घोड़ों की दशा के बारे में जो जानकारी शिवम को दी, वे हैरान करने वाली थी। शिवम ने अपनी पोस्ट में अधिकारी का नाम न लेते हुए आगे बताया, “मुझे उसने बताया कि घोड़े की सवारी के लिए यहां 3,000 घोड़े पंजीकृत हैं, मगर अवैध रूप से करीब 10,000 से ज्यादा घोड़े सवारी के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं। बड़ी बात यह है कि इन घोड़ों की देखभाल करने के लिए एक भी पशु चिकित्सा अधिकारी नहीं था।“

आगे बताया, “इतना ही नहीं, यहां तक कि जब घोड़ों के पैरों में गंभीर चोट लग जाती है तो इलाज की कमी के कारण घोड़े मर जाते हैं और घोड़े के मालिक उसके मृत शरीर को पहाड़ में फेंक देते हैं।“ शिवम ने बताया, “अधिकारी ने यह भी बताया कि वैष्णो देवी की यात्रा के लिए ये घोड़े दिन में कितनी बार दौरा कर सकते हैं, इस पर भी कोई नियम नहीं है। यानि इन घोड़ों से लगातार काम लिया जाता है। इसके बावजूद भी घोड़ों के स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए एक भी अफसर मौजूद नहीं है।“

कैसे जारी हो गया स्वास्थ्य प्रमाणपत्र ?

पोस्ट में शिवम ने बताया, “एक वरिष्ठ अधिकारी मुझे उस जगह भी ले गया जहां पंजीकृत घोड़े मौजूद थे और जिनके मालिकों के पास लाइसेंस भी था। मैंने उस समय वहां पांच से छह घोड़ों का हाल देखा और पाया कि इनमें से ही एक अनिधकृत व्यक्ति एक घोड़े का इस्तेमाल कर रहा था। इतना ही नहीं, इन्हीं घोड़ों में से उस घोड़े का भी स्वास्थ्य प्रमाणपत्र बना था, जो किसी तरह मुश्किल से चल पा रहा था।“

90 से 100 किलो तक लादा जा रहा वजन

शिवम ने यह भी बताया कि सबसे बुरी स्थिति यह है कि कुल 24 किलोमीटर की इस यात्रा में घोड़ों की पीठ पर 90 से 100 किलो तक वजन लादा जा रहा है, जो कि उनकी क्षमता से बिल्कुल विपरीत है। मुख्यत: घोड़े समतल सड़क पर पीठ पर भारी भार न लेते हुए चलने के सक्षम होते हैं।

हालांकि इस बारे में घोड़ों पर काम करने वाली गैर सरकारी संस्था ब्रुक्स इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने जल्द ही जम्मू के घोड़ों की देखभाल के लिए एक आशा किरण जगाई है। संस्था के सीईओ डॉ. एमएल शर्मा ‘गाँव कनेक्शन’ से फोन पर बातचीत में बताते हैं, “घोड़ों की दशा सुधरे इसलिए हमारी संस्था जम्मू में घोड़ों के लिए सरकार के साथ मिलकर पहल कर रही है और जल्द ही एक पॉलिसी बनाने जा रही है। जम्मू में पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए घोड़ों की मांग रहती है, मगर घोड़ों की पूरी देखभाल भी जरूरी है।“

आगे बताया, “इस पॉलिसी से हम घोड़ों की देखभाल के लिए न सिर्फ वरिष्ठ वेटेनरी डॉक्टर को तरजीह दे रहे हैं, बल्कि घोड़ों की बीमारियों को लेकर उचित प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराएंगे, जिससे इस क्षेत्र में भी घोड़ों की बेहतर हो सकेगी।“

दूसरी ओर जम्मू में ब्रुक्स इंडिया के ही डॉ. हिमांशु बताते हैं, “पंजीकृत घोड़े ही सवारी के लिए स्वीकृत किए जाएं, इसके लिए हमने सरकार के साथ मिलकर कार्ड प्रणाली शुरू की है। यह व्यवस्था जल्द ही लागू की गई है, पहले ऐसा नहीं था। अनधिकृत रूप से सवारी ले जाने पर जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है।“

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