दूध में विटामिन ए और डी की खुराक मिलाएंगी कंपनियां, जानिए क्या है इसका मकसद

Diti Bajpai | Oct 18, 2019, 13:12 IST
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लखनऊ । "विटामिन ए और डी की कमी से लोगों में ह्दय रोग, हड्डी और मांसपेशी संबंधी कई बीमारियां हो रही हैं। इस कमी को दूध से पूरा किया जा सकता है। हम दूध प्रोसेसिंग (प्रस्संकरण) करने वाली कंपनियों को सलाह दे रहे हैं कि वे दूध में इन पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए उसे फोर्टिफाइड करें।" खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन में अपर मुख्य सचिव डॉ अनिता भटनागर जैन ने प्रदेश भर से आए मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट के अधिकारियों से यह बात कही।

भोजन के साथ-साथ हमारे शरीर को प्राकृतिक रूप से विटामिन और मिनिरल की जरूरत होती है लेकिन बदलते खान-पान के दौर में शरीर में पोषक तत्वों ( विटामिन और मिनिरल) की कमी बढ़ गई है। इस कमी को दूर करने के लिए कंपनियों के बनाए विटामिन और मिनरल को खाद्य पदार्थों में प्रोसेसिंग के समय मिलाया जाता है। इससे खाद्य पदार्थों के पोषण स्तर में वृद्धि होती है। इस पूरी प्रक्रिया को ही फोर्टिफिकेशन कहा जाता है।

लखनऊ में 30 मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट के अधिकारियों को दूध फोर्टिफाइड करने के लिए तकनीकी कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में डॉ जैन ने कहा कि, "एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण) की तरफ से दूध में इनको मिलाने के लिए मानक भी तैयार किए गए है। गाय और फुल क्रीम दूध को हटाकर टोंड दूध, डबल टोंड दूध और स्किम्ड दूध को फोर्टिफाइड किया जाए। प्रदेश में दूध और तेल की कई कंपनियों ने इसकी शुरूआत भी की है लेकिन विभाग चाहता हैं कि यूपी के 71 प्रोसेसिंग मिल्क यूनिट इसका इस्तेमाल करें।

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कार्यशाला में आए सीपी मिल्क एंड फूड प्रोडक्ट कंपनी मे जर्नल मैनेजर एम. गुप्ता पिछले आठ महीनों से दूध को फोर्टिफाइड कर रहे हैं। कार्यशाला में अपने अनुभव को साझा करते हुए डॉ गुप्ता ने बताया, "हमारी यूनिट में रोजाना 2.5 लाख लीटर दूध का प्रोसेसिंग हो रहा है, जिसमें से 1.2 लाख लीटर दूध को फोर्टिफाइड किया जा रहा है। इसमें कोई खतरा भी नहीं है। एफएसएसएआई ने जितना मानक तय किया है हम उतनी मात्रा में मिला रहे हैं।"

डॉ गुप्ता की तरह प्रदेशभर से आए मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट के अधिकारियों ने दूध फोर्टिफाइड को लेकर अपने अनुभव साझा किए। इंडियन हेल्थ एक्शन ट्रस्ट में फोर्टिफिकेशन सलाहकार जया त्रिपाठी ने बताया, "पराग, नमस्ते इंडिया समेत कई छोटी-बड़ी कंपनियां दूध फोर्टिफाइड कर रही है। जिन कंपनियों ने इसको शुरू नहीं किया है उनको शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है साथ उनके लिए जल्द ही प्रशिक्षण भी कराया जाएगा।

एफएसएसएआई ने अगस्त 2018 में शुरू किया नियम

लोगों में पोषक तत्वों की कमी को गंभीरता लेते हुए भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने अगस्त 2018 में फूड फोर्टिफिकेशन के लिए नियम जारी किए थे। इस नियम में कंपनियों को गेहूं के आटे, चावल, दूध, नमक और खाने के तेल में फोर्टिफिकेशन के निर्देश दिए गए। कंपनियों को इसके तहत खाने के तेल और दूध में सिंथेटिक विटामिन ए और डी मिलाना होगा।

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गेहूं के आटे और चावल में सिंथेटिक बी-12, फोलिक एसिड मिलाना होगा। नमक में सिंथेटिक आयोडीन के साथ-साथ आयरन तय मानकों के अनुसार मिलाना होगा। हालांकि कई कंपनियां ऐसा कर रही है। एफएसएसएआइ के अनुसार संगठित क्षेत्र में देश में मिलने वाला खाने का तेल 50 फीसदी और पैकेज्ड दूध में 35 फीसदी उत्पाद फोर्टिफाइड हो चुके हैं।

70 प्रतिशत लोगों में पोषक तत्वों की कमी

फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआइ) के मुताबिक भारत में 70 प्रतिशत लोग विटामिन और मिनिरल जैसे सूक्ष्म पोषक तत्त्वों का पर्याप्त उपभोग नहीं करते हैं। राष्ट्रीय पोषण संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार देश के 40 फीसदी घरों में बच्चों को मिलने वाला भोजन असंतुलित है। पांच साल से कम उम्र के 55 फीसदी बच्चों का वजन सामान्य से कम है। वहीं, 52 फीसदी बच्चों की लंबाई सामान्य से कम है। इसी तरह पांच साल की उम्र तक के बच्चों में विटामिन ए की मात्रा सामान्य से कम है। इसके अलावा लोगों को भोजन में प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, थियामीन की मात्रा लगातार घटती जा रही है। इन सभी स्थिति को देखते हुए एफएसएसएआई फूड फोर्टिफिकेशन पर जोर दे रही है।

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