भांग के मैटेरियल से बनेंगे घर, प्रधानमंत्री मोदी ने लाइट हाउस प्रोजेक्ट में उत्तराखंड की युवती के Startup को किया शामिल

Divendra Singh | Jan 04, 2021, 08:31 IST
भांग पर रिसर्च अभी तक सिर्फ विदेशों में ही होती रही है, लेकिन बदलते दौर के साथ अब उत्तराखंड के युवा भी भांग की उपयोगिता को समझने लगे हैं।
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अगर आप के नए घर को बनाने में भांग से बने बिल्डिंग मैटेरियल का इस्तेमाल होता है तो हैरान मत होइएगा, क्योंकि उत्तराखंड की नम्रता कंडवाल और उनकी टीम ने आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज में शीर्ष पांच में जगह बनायी है, जिसका शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स के साथ किया है।

उत्तराखंड के पौड़ी जिले में यमकेश्वर ब्लॉक के कंडवाल गाँव की नम्रता कंडवाल दिल्ली में आर्किटेक्ट की पढ़ाई के बाद अपने गाँव वापस लौट आयीं और अपने पति गौरव दीक्षित और भाई दीपक कंडपाल के साथ मिलकर इंडस्ट्रियल हेम्प पर रिसर्च करने वाले स्टार्टअप गोहेम्प एग्रोवेंचर्स की शुरूआत की। वे भांग के के बीज और रेशे से दैनिक उपयोग की वस्तुएं तैयार कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाइट ">हाउस प्रोजेक्ट की शुरूआत की है, जिसमें ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज-इंडिया जिसमें दुनियाभर की 50 से ज्यादा इनोवेटिव कंस्ट्रक्शन टेक्नॉलॉजी ने हिस्सा लिया, नम्रता कंडवाल के स्टार्टअप को टॉप पांच में जगह मिली है।

नम्रता गाँव कनेक्शन को बताती हैं, "भांग का पूरा पौधा बड़े काम का होता है। इसके बीज से निकलने वाले तेल से औषधियां बनती हैं। इसके अलावा इससे बहुत सारे उपयोगी सामान भी बनते हैं। लेकिन इसके साथ ही हमारा पूरा फोकस इससे बिल्डिंग मटेरियल बनाने का था।"

वो आगे कहती हैं, "भांग के पौधे से बिल्डिंग मटेरियल बनाने पर हम रिसर्च कर रहे थे। भांग की लकड़ी, चूने और कई तरह के मिनरल्स के मिश्रण से बिल्डिंग इंसुलेशन मटेरियल तैयार किया है। यह टेक्नोलॉजी प्राचीन भारत में भी प्रयोग की जाती थी और इसका उपयोग एलोरा की गुफाओं में भी देखने मिला है।"

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नम्रता कंडवाल, गौरव दीक्षित और उनकी टीम ने आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज के शीर्ष पांच में जगह बनायी है। कार्यक्रम में शामिल आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी। फोटो: ट्वीटर

नम्रता के इस स्टार्टअप में उनके पति आर्किटेक्ट गौरव दीक्षित ने भी पूरा साथ दिया है। पहले गौरव और नम्रता पहले दिल्ली में रहते थे। नम्रता उत्तराखंड के यमकेश्वर और गौरव भोपाल के रहने वाले हैं। काफी शोध के बाद उन्होंने पहाड़ पर बहुतायत में उगने वाले भांग के पौधों को सकारात्मक रूप से रोजगार का जरिया बनाने का निर्णय लिया। इससे न सिर्फ भांग के प्रति लोगों का नजरिया बदलेगा बल्कि पहाड़ के गांवों से होने वाले पलायन पर भी रोक लग सकेगी।

नम्रता आगे कहती हैं, "उत्तराखंड हेम्प की फसल के वेस्ट से भवन निर्माण सामग्री बनाकर, दूसरे राज्यों पर अपनी निर्भरता कम कर सकता है। यह इनोवेटिव मटेरियल हल्का है, कमरे को गर्मी में ठंडा और ठंड में गरम रखता है, चूने के उपयोग से यह अग्नि रोधक है और एंटीबैक्टीरियल व एन्टीफंगल भी है।"

भांग पर रिसर्च अभी तक सिर्फ विदेशों में ही होती रही है लेकिन बदलते दौर के साथ अब उत्तराखंड के युवा भी भांग की उपयोगिता को समझने लगे हैं। यही कारण है कि अब इसे लेकर लोगों में जागरुकता बढ़ने लगी है। वे उत्पादों की ऑनलाइन मार्केटिंग भी करते हैं।

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नम्रता के इस स्टार्टअप से उनके गाँव के लोगों को भी रोजगार मिल रहा है। फोटो: नम्रता कंडवाल

"यह मटेरियल मॉइस्चर रेगुलेटर होता है जिससे इसमें सीलन जैसी समस्या कम आती है और सबसे खास बात है कि चूने का उपयोग होने से इसकी उम्र कई सौ साल है और सीमेंट टेक्नोलॉजी से उलट इससे बनाई गई इमारतें समय के साथ कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित कर मज़बूत होती जाती हैं। इससे भवन के अंदर की एयर क्वालिटी बेहतर बनती है, नम्रता ने आगे कहा।

गोहेम्प एग्रोवेंचर्स स्टार्टअप से स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिला है। इनकी कोशिश है कि इनकी इस पहल से लोगों को यही पर रोजगार मिले, जिससे पलायन को रोका जा सके।

नम्रता आगे बताती हैं, "हेंप से उत्तराखंड में भवन निर्माण किया जाना चाहिए जिससे आने वाले समय में हेम्प के किसानों की आय बढ़ेगी, उनके वेस्ट का समुचित मैनेजमेंट होगा और प्रदेश का पैसा प्रदेश में रहेगा। इस टेक्नोलॉजी में रॉ मटेरियल को उगाया जा सकता है जिससे भवन निर्माण में खपने वाले नॉन रिन्यूएबल प्राकृतिक संसाधनों जैसे नदी की रेत, उपजाऊ मिट्टी, पानी के संरक्षण में बल मिलेगा और निर्माण सेक्टर से होने वाले प्रदूषण पर रोक लगेगी।

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नम्रता और उनके साथियों ने भांग से ऐसा ही बिल्डिंग मैटेरियल तैयार किया है, जिससे पहला घर उनके गाँव में बनाया जा रहा है। फोटो: नम्रता कंडवाल

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी न केवल इनके काम की तारीफ की, साथ ही स्टार्टअप शुरू करने के लिए इनकी मदद भी की है। नम्रता के इस स्टार्टअप को नेपाल में आयोजित एशियन हेंप समिट-2020 में बेस्ट उद्यमी का भी पुरस्कार भी मिला है, इस समिट में विश्व के हेंप पर आधारित 35 अलग-अलग स्टार्टअप ने हिस्सा लिया था। इन सबके बीच हेम्प एग्रोवेंचर्स स्टार्टअप्स को बेस्ट उद्यमी का पुरस्कार मिला।

क्या है लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए साल के पहले दिन छह राज्यों में लाइट हाउस प्रोजेक्ट की नींव रखी। उन्होंने ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज-इंडिया के तहत अगरतला (त्रिपुरा), रांची (झारखंड), लखनऊ (उत्तर प्रदेश), इंदौर (मध्य प्रदेश), राजकोट (गुजरात) और चेन्नई (तमिलनाडु) में लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स की आधारशिला रखी। इसके तहत हर शहर में इस तरह के एक हजार आवासों का निर्माण किया जाना है जिसे एक साल के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाइट हाउस प्रोजेक्ट की शुरूआत करते हुआ कहा, "हमारे यहां ऐसी कई चीजें हैं जो प्रक्रिया में बदलाव किए बिना ऐसे ही निरंतर चलती जाती हैं। हाउसिंग से जुड़ा मामला भी बिल्कुल ऐसा ही रहा है। हमने इसको बदलने की ठानी। हमारे देश को बेहतर टेक्नॉलॉजी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? हमारे गरीब को लंबे समय तक ठीक रहने वाले घर क्यों नहीं मिलने चाहिए? हम जो घर बनाते हैं वो तेज़ी से पूरे क्यों ना हों? सरकार के मंत्रालयों के लिए ये ज़रूरी है कि वो बड़े और सुस्त स्ट्रक्चर जैसे ना हों, बल्कि स्टार्ट अप्स की तरह चुस्त भी हो और दुरुस्त भी होने चाहिए। इसलिए हमने ग्लोबन हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज का आयोजन किया और दुनियाभर की अग्रणी कंपनियों को हिन्दुस्तान में निमंत्रित किया। मुझे खुशी है कि दुनिया भर की 50 से ज्यादा इनोवेटिव कंस्ट्रक्शन टेक्नॉलॉजी ने इस समारोह में हिस्सा लिया, स्पर्धा में हिस्सा लिया। इस ग्लोबल चैलेंज से हमें नई टेक्नॉलॉजी को लेकर इनोवेट और इन्क्यूबेट करने का स्कोप मिला है। इसी प्रक्रिया के अगले चरण में अब आज से अलग-अलग साइट्स पर 6 लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स का काम शुरू हो रहा है। ये लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स आधुनिक टेक्नॉलॉजी और Innovative Processes से बनेंगे।"

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