क्या चिकन और अंडा खाने से इंसानों में फैल सकता है बर्ड फ्लू?

Divendra Singh | Jan 08, 2021, 08:31 IST
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अच्छी तरह से पका हुआ चिकन और अंडा खाना पूरी तरह से सुरक्षित होता है, इससे बर्ड फ्लू इंसानों में नहीं फैलता है।
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कई राज्यों में बर्ड फ्लू से पक्षियों की मौत के बाद लोगों में डर बढ़ गया है कि क्या ये इंसानों में भी फैल सकता है?

पिछले कुछ दिनों में बर्ड फ्लू से हजारों की संख्या में पक्षियों की मौत हो गई है, इसका असर सीधे पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े लोगों पर पड़ने वाला है, कोरोना वायरस के अफवाहों के चलते पहले से नुकसान झेल रही पोल्ट्री इंड्रस्ट्री एक बार फिर नुकसान झेलने के लिए कितना तैयार है। ऐसे में लोगों को जागरूक होने की जरूरत है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार H5N1 एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा वायरस है जो एवियन इन्फ्लूएंजा (या "बर्ड फ्लू") नामक पक्षियों में एक अत्यधिक संक्रामक, गंभीर श्वसन रोग का कारण बनता है। H5N1 एवियन इन्फ्लूएंजा से इंसानों में संक्रमण के मामले कभी-कभी होते हैं, लेकिन एक इंसान से दूसरे इंसान में संक्रमण मुश्किल होता है। अगर कोई इंसान एवियन इन्फ्लूएंजा सें संक्रमित हो गया तो मृत्यु दर लगभग 60% होती है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अच्छी तरह पकाया हुआ चिकन पूरी तरह से सुरक्षित होता है। क्योंकि ये वायरस ताप के प्रति संवेदनशील होता है और ज्यादा गर्मी से नष्ट हो जाता है।

मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री गिरीराज सिंह ने ट्वीट के माध्यम से लोगों को अफवाहों से बचने की अपील की है। उन्होंने लिखा है, "कुछ जगहों पर बर्ड फ़्लू से ज़्यादातर प्रवासी और जंगली पक्षियों के मरने की रिपोर्ट आयी है। मीट और अंडे को पूरी तरह पका कर खाएँ। घबराने की कोई बात नहीं है। राज्यों को सतर्क कर हर सम्भव मदद की जा रही है।

यह वायरस प्रवासी पक्षियों के जरिए दूसरे पक्षियों में भी फैलता है। ये पक्षी हजारों किमी उड़कर दूसरे देश में जाते हैं, अगर इनमें से कोई भी पक्षी संक्रमित होता है तो दूसरे पक्षियों को भी संक्रमित कर देते हैं।

पोल्ट्री फार्मर्स (ब्रॉयलर) वेलफेयर फेडरेशन के सचिव संजय शर्मा गाँव कनेक्शन से कहते हैं, "पहले कोरोना के अफवाहों के चलते पूरे देश में पोल्ट्री से जुड़े लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था, जबकि चिकन और अंडे से कोरोना कुछ लेना देना नहीं था। इसी तरह अभी कहीं भी पोल्ट्री में बर्ड फ्लू का संक्रमण नहीं देखा गया है, इसलिए लोग अभी से डरें नहीं, इससे लाखों लोगों का रोजगार जुड़ा है। वैसे भी अपने यहां चिकन और अंडे को अच्छी तरह से पकाकर खाया जाता है, इसलिए अफवाहों पर ध्यान न दें।"

पिछले कुछ दिनों में मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, केरल, कर्नाटक, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे प्रदेशों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। मध्य प्रदेश के इंदौर और नीमच में मुर्गियों में भी जांच के बाद बर्ड फ्लू की पुष्टि हो गई है।

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने 06, जनवरी को एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिए अभी तक हुई पक्षियों के मौत के आंकड़ें दिए हैं। जिसके अनुसार अलाप्‍पुझा जिले के एपिसेंटरों में कुल 17,326 पक्षियों (9,066 पल्लीपड में, 8,260 करुवट्टेन में) को मारा जा चुका है और कुल मिलाकर 1,570 किलोग्राम चारे को नष्ट किया गया है। कोट्टायम जिले में एपिसेंटर में 4,229 पक्षियों को मार दिया गया है और 6.01.2021 को कुल 8 किलोग्राम चारे और 42 अंडों को नष्ट कर दिया गया।

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इसके अलावा, राजस्थान में जयपुर के काले हनुमानजी फॉरेस्‍ट नाका से कौवों के कुछ नमूनों में एच5एन8 एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस के संक्रमण पाए गए हैं। तदनुसार, राज्यों को सलाह जारी की गई है ताकि पोल्ट्री तक इस बीमारी के प्रसार को रोका जा सके। आज हरियाणा में 7,111 घरेलू पक्षियों, मध्य प्रदेश में 150 जंगली पक्षियों, गुजरात में 10 कौवों और हिमाचल प्रदेश में 336 प्रवासी पक्षियों में असामान्य मृत्‍यु पाई गई।

हरियाणा से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पिछले 25 दिनों में बरवाला, पंचकूला में कुल 4,30,267 पक्षियों की मौत हुई है। जांच के लिए इनके नमूनों को निर्धारित प्रयोगशाला में भेजा गया है जिनके परिणाम आना अभी बाकी है। राज्‍य ने इस बीमारी की रोकथाम और नियंत्रण के लिए 59 आरआरटी का गठन किया है।

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने इस बीमारी की स्थिति पर पैनी नजर बनाए रखने और मनुष्‍यों में इसके फैलने की आशंकाओं को टालने के लिए राज्‍य पशुपालन विभागों से नमूनों को एकत्र करने और उन्‍हें समय पर निर्धारित प्रयोगशालाओं (आरडीडीएल/सीडीडीएल/आईसीएआर-एनआईएचएसएडी) में जमा कराने के अलावा स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारियों के साथ प्रभावी सम्‍पर्क और तालमेल सुनिश्चित करने का भी अनुरोध किया गया है। वन क्षेत्रों और जलाशयों के आसपास पाए जाने वाले प्रवासी पक्षियों की असामान्य मौतों के बारे में तत्‍काल जानकारी देने के लिए राज्‍य वन विभाग के साथ प्रभावीसमन्वय स्‍थापित करने पर भी बल दिया गया है।

जंगली/प्रवासी पक्षियों सहित पक्षियों की असामान्‍य मौतों के लिए निगरानी को बढ़ाने तथा उसे और गहन किए जाने के लिए प्रभावित राज्‍यों को परामर्श जारी करने के अलावा विभाग ने इस बीमारी के प्रकोप के प्रबंधन, रोग नियंत्रण और इसकी रोकथाम के लिए कार्यनीति तैयार करने, तालमेल बनाने तथा राज्‍य सरकारों की सहायता करने के लिए एक केंद्रीय नियंत्रण कक्ष भी स्‍थापित किया है। इतना ही नहीं,दो केंद्रीय टीमों को निगरानी तथा महामारी संबंधी जांच के लिए प्रभावित राज्‍यों केरल, हरियाणा,राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश का दौरा करने के लिए तैनात किया गया है।

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