30 पशु चिकित्सकों की हो चुकी है मौत, कोविड ड्यूटी करने के बाद भी न बीमा मिला है न वैक्सीन लग रही- पशु चिकित्सा संघ

पशुपालन विभाग में चिकित्सकों और कर्मचारियों के संघठन के मुताबिक कोरोना से 30 पशु चिकित्सकों को मिलाकर 70 ज्यादा कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। उन्हें ना प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन लग रही हैं न कोविड बीमा का फायदा मिल रहा है।

Arvind ShuklaArvind Shukla   26 May 2021 11:30 AM GMT

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30 पशु चिकित्सकों की हो चुकी है मौत, कोविड ड्यूटी करने के बाद भी न बीमा मिला है न वैक्सीन लग रही- पशु चिकित्सा संघ

उत्तर प्रदेश में पशु चिकित्सकों की ड्यूटी कोविड में लगाई गई है, कोरोना से कर्मचारियों की मौत के बाद संघटन ने कोरोना वॉरियर्स घोषित करने की मांग की है।

लखनऊ ( उत्तर प्रदेश)। 22 मई को गोरखपुर में तैनात अपर निदेशक पशुपालन डॉ. टी. पी मिश्रा की कोरोना से मौत हो गई। इससे पहले 18 मई को प्रदेश के पशुपालन विभाग के मुख्यालय में तैनात संयुक्त निदेशक नियोजन डॉ. सतीश चंद्र की कोविड से मौत हो गई थी। पशु चिकित्सा संघ के मुताबिक प्रदेश में कोविड से अब 30 पशु चिकित्सक की मौत हो चुकी है। सैकड़ों बीमार हैं, जिनका इलाज जारी है। बावजूद न टीका लग रहा है न बीमा का फायदा मिल रहा है।

कोरोना 30 पशु चिकित्सकों, 13 पशुधन प्रसार अधिकारी, 10 फार्मासिस्ट (वेटनरी) और 20 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की मौत हो चुकी है।- डॉ. राकेश कुमार, अध्यक्ष. पशु चिकित्सा संघ, यूपी

उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सा संघ के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने गांव कनेक्शन को बताया, " कोरोना की दूसरी लहर में 24 मई तक 30 पशु चिकित्सकों, 13 पशुधन प्रसार अधिकारी, 10 फार्मासिस्ट (वेटनरी) और 20 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की मौत कोरोना से हो चुकी है। जबकि 300 से ज्यादा पशुपालन विभाग के कर्मी (चिकित्सक व अन्य) जीवन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।"

मृत कर्मियों के नाम गिनाते हुए डॉ. राकेश गांव कनेक्शन को बताते हैं, "हम लोगों की ड्यूटी कोविड में लगाई गई है, लेकिन न कोरोना वॉरियर्स घोषित किया गया, न बीमा मिला और ना ही टीका (वैक्सीन) लग रहा है।"

चिकित्सा संघ के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 2000 पशु चिकित्सक, 800 फार्मासिस्ट और 3000 पशुधन प्रसार अधिकारियों को मिलाकर कुल 11800 के आसपास कर्मचारी और अधिकारी हैं। इनमें से ज्यादातर की कोविड और चुनाव में लगाई गई थी।


कई तरह की ड्यूटी निभा रहे हैं पशु चिकित्सक

चिकित्सा संघ के अध्यक्ष डॉ. कुमार कहते हैं, "पशु चिकित्सक कोरोना महामारी के बावजूद ओपीडी चिकित्सा, इमरजेंसी सेवा, गोवंश चिकित्सा, निगरानी के साथ कोविड मरीजों के इलाज, खोज, टीकाकरण हेतु मजिस्ट्रेट ड्यूटी कर रहे हैं। फिर भी पशु चिकित्सकों को फ्रंट लाइन वर्कर नहीं माना गया है। हमें तो वैक्सीनेशन की प्राथमिकता सूची से भी बाहर रखा गया। ये रवैया सौतेला और भेदभाव पूर्ण है। इधर ब्लैक फंगस से भी मौतें हुई हैं।"

गांव कनेक्शन ने इस संबंध में पशुपालन विभाग में निदेशक डॉ. एस. के. मलिक (प्रशासन और विकास) से इस संबंध में बात की। उन्होंने कहा, "जिन पशु चिकित्सकों और कर्मचारियों की कोविड से मौत हुई है। उनके क्लेम तुरंत निकलवा जा रहे हैं। इसके साथ ही उनके परिवार के एक सदस्य को योग्यता के आधार पर नौकरी दिलाई जाएगी।"

पशु चिकित्सक पिछले साल भी कोविड नियंत्रण में थे और इस बार उनकी ड्यूटी लगाई गई है। कई लोगों की जान जा चुकी है। चिकित्सा संघ कोरोना वॉरियर्स की तरह सुविधाएं देने की मांग कर रहा है। इस पर डॉक्टर मलिक ने कहा, कोरोना वॉरियर्स घोषित करने और कोविड-19 बीमा को लेकर हमने शासन को लिखा है। जैसे ही जवाब आएगा कार्यवाही आगे बढ़ाएंगे।"

पशुपालन विभाग से कोविड से अब तक कोविड से हुई मौतों के आंकड़ों पर डॉ. मलिक ने कई लोगों की मौत हुई है। शासन के निर्देश पर इस संबंध में जिलों से जानकारी मांगी गई है।

डॉ. राकेश कुमार के मुताबिक, जो पशु चिकित्सक बीमार हुए या जिनकी मौत हुई उनमें से ज्यादातर को निशुल्क इलाज का लाभ नहीं मिल पाया। कई परिजनों ने लाखों रुपये निजी अस्पतालों में खर्च किए हैं। इसमें कई ऐसे कर्मचारी भी हैं, जो उधार लेकर इलाज करा रहे हैं।

गांव कनेक्शन से बात करते हुए डॉ. सतीश चंद्र के बेटे शुभम ने फोन पर कहा कि 15 अप्रैल को पापा कोविड पॉजिटिव हुए। फिर दिक्कत बढ़ने पर हमने लखनऊ में ही उन्हें निजी अस्पताल (मिडवेल) में भर्ती कराया, वहां से हमने उन्हें 14 मई को विवेकानंद पॉली क्लीनिक में भर्ती कराया। जहां इलाज के दौरान उनकी 18 मई को मौत हो गई।"

शुभम के मुताबिक पॉजिटिव होने से पहले वो ऑफिस जा रहे थे। उनकी सेवानिवृत्ति में एक साल अभी बाकी था, परिवार में मेरे अलावा मां, 2 बहनें और एक भाई है। एक बहन की शादी हो गई है।

शुभम बताते हैं, " पेंशन और दूसरे काम समय पर चल रहे हैं। बाकी कोविड से जुड़ी कोई सुविधा है या नहीं, विभाग क्या कर रहा है, मुझे उसकी जानकारी नहीं। उन्हें कोविड की वैक्सीन भी नहीं लगी थी।"

ब्लैक फंगस से भी हो चुकी है एक मौत

डॉ. राकेश कुमार कहते हैं, "सिर्फ कोरोना ही नहीं ब्लैक फंगस भी जान ले रहा है। गोरखपुर में तैनात अपर निदेशक टी. पी. मिश्रा कोरोना से ठीक हो गए थे। बाद में ब्लैक फंगस हुआ, जिससे उनकी मौत हुई। पशुपालन विभाग में ही संयुक्त निदेशक डॉ. सुरेंद्र लाल को ब्लैक फंगस हुआ। उनका ऋषिकेश के एम्स में इलाज चल रहा है। ऊपरी जबड़े का बाया हिस्सा निकाला जा चुका है। इन जानलेवा बीमारियों में आप (शासन) काम ले रहे हैं तो कुछ जिम्मेदारियां भी उठानी चाहिए।"

गाय-भैंस ऊंट से लेकर चींटी तक सभी पशु चिकित्सकों के कार्यक्षेत्र में आते हैं। कोविड के दौरान पशु चिकित्सक गाय-भैंस में खुरपका मुंहपका और घोड़ों में होने वाले ग्लैंडर्स बीमारी के लिए उनके खून के सैंपल ले रहे हैं। इसके अलावा उनका अहम कार्य निराश्रित गोवंश स्थलों (आवारा पशुओं को रखने की जगह) में गायों की चिकित्सा का भी है।

डॉ. राकेश कहते हैं, "गोवंश से जुड़े कार्यों के अलावा बाकी सारे कार्य हो रहे हैं। गोवंश संरक्षण पर सिर्फ बातें होती है। गौ आश्रय स्थलों पर ऑक्सीमीटर, थर्मल स्कैनर लगाने की बात हुई थी, लेकिन वो व्यावहारिक रूप में कहां संभव है।"

कोरोना वॉरियर्स घोषित करने की मांग

वो आगे कहते हैं, " हमारा संबंध तो यूपी के सभी 2 करोड़ 30 लाख से ज्यादा किसानों से है। गांव में हमारा काम तो जारी है। खुरपका, मुंहपका के टीके लगाने से पहले खून के सैंपल लेने होते हैं वो हम कर ही रहे हैं। लोगों के बीच जाना है ही। कोविड ड्यूटी भी कर रहे हैं तो हमें वो सुविधाएं मिलनी चाहिए।"

वहीं, पैरा वेटनरी वर्कर संघ, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष राम किशोर यादव ने भी सीएम को पत्र लिखकर मांग करते हुए कहा, "कोरोना से मरने वाले हमारे पैरापेट साथियों के आश्रितों को 50,00000 रुपये की अनुग्रह राशि दी जाए। इसके अलावा सभी पैरापेट व पशुमित्र साथियों को फ्रंटलाईन वर्कर घोषित कर 50,00000 रुपये का बीमा कवर दिया जाए।"

इस बीच, यूपी पशु चिकित्सा संघ के महामंत्री डॉ. संजीव सिंह ने अपने बयान में ब्लैक फंगस से संक्रमित डॉ. सुरेंद्र लाल और दूसरे संबंधित रोगियों को नियमित अम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन दिलवाने की मांग की है।

कोविड के चलते इन 13 पशु प्रसार अधिकारियों की जान गई

(1) नीरज चाहर, पशुधन प्रसार अधिकारी जनपद आगरा। (मृत्यु माह अप्रैल 2020)

(2). राज सिंह, पशुधन प्रसार अधिकारी जनपद मुरादाबाद। (मृत्यु माह अप्रैल 2020)

(3). राम सेवक चौधरी, पशुधन प्रसार अधिकारी जनपद कौशांबी। (मृत्यु माह अप्रैल 2020)

(4). सुनील कुमार, पशुधन प्रसार अधिकारी जनपद मेरठ। (मृत्यु माह मई 2020)

(5). नरेंद्र कुमार, पशुधन प्रसार अधिकारी जनपद लखनऊ। (मृत्यु माह अक्टूबर 2020)

(6) राजेंद्र गिरी, पशुधन प्रसार अधिकारी जनपद गाजियाबाद। (मृत्यु माह अक्टूबर 2020)

(7). प्रदीप कुमार, पशुधन प्रसार अधिकारी जनपद वाराणसी। (मृत्यु माह अप्रैल 2021)

(8). अनूप कुमार, पशुधन प्रसार अधिकारी जनपद फैजाबाद। (मृत्यु माह अप्रैल 2021)

(9). भूपेंद्र सिंह बरोलिया, पशुधन प्रसार अधिकारी जनपद झांसी। (मृत्यु माह अप्रैल 2021).

(10). अरुण कुमार सोनकर, पशुधन प्रसार अधिकारी जनपद गाजीपुर। (मृत्यु माह अप्रैल 2021)

(11). रामबदन सिंह, पशुधन प्रसार अधिकारी जनपद गाजीपुर। (मृत्यु माह अप्रैल 2021)

(12). नितिन मलिक, पशुधन प्रसार अधिकारी जनपद शामली। (मृत्यु माह अप्रैल 2021)

(13). स्वतंत्र कुमार, पशुधन प्रसार अधिकारी जनपद बरेली। (मृत्यु माह मई 2021)

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