HomeGUESTDr Rajaram TripathiList Viewविश्व आदिवासी दिवस: विश्व में क्यों अव्वल है बस्तरिया शिल्प कलाBy Dr Rajaram Tripathiबस्तर का बुनकर, घड़वा, वादक समुदाय (मुख्य रूप से गांडा समुदाय) और लौह कला से संबद्ध लोहार आजादी के पूर्व तक आदिम जनजातीय समुदायों में ही गिने जाते थे। लेकिन वैधानिक सर्वेक्षण की गलतियों के कारण गांडा और लोहार को आदिम जनजातीय समुदायों से अलग मान कर अनुसूचित जाति/ अन्य पिछड़ा वर्ग में वर्गीकृत कर दिया गया है। इससे दोनों ही समुदाय जल जंगल जमीन से अपने नैसर्गिक अधिकारों से वंचित हो गए हैं। बस्तर का बुनकर, घड़वा, वादक समुदाय (मुख्य रूप से गांडा समुदाय) और लौह कला से संबद्ध लोहार आजादी के पूर्व तक आदिम जनजातीय समुदायों में ही गिने जाते थे। लेकिन वैधानिक सर्वेक्षण की गलतियों के कारण गांडा और लोहार को आदिम जनजातीय समुदायों से अलग मान कर अनुसूचित जाति/ अन्य पिछड़ा वर्ग में वर्गीकृत कर दिया गया है। इससे दोनों ही समुदाय जल जंगल जमीन से अपने नैसर्गिक अधिकारों से वंचित हो गए हैं। Related News