By Dr.Vikas Sharma
हरतालिका तीज को हम प्रकृति की मेंहदी रस्म भी कह सकते हैं, एक ओर जहां प्रकृति भौंर माल, करियाली, कलिहारी, तिवाड़िया, काँस आदि रंग बिरंगे फूलों से सज जाती है, वहीं महिलाएं इस दिन अपने हाथों और पैरों में मेंहदी, आलता लगाती हैं।
हरतालिका तीज को हम प्रकृति की मेंहदी रस्म भी कह सकते हैं, एक ओर जहां प्रकृति भौंर माल, करियाली, कलिहारी, तिवाड़िया, काँस आदि रंग बिरंगे फूलों से सज जाती है, वहीं महिलाएं इस दिन अपने हाथों और पैरों में मेंहदी, आलता लगाती हैं।
By Dr.Vikas Sharma
छींद का पेड़ कितना उपयोगी होता है, ये छिंदवाड़ा के आदिवासियों से बेहतर कौन बता सकता है। इसके फल पोषण से भरपूर होते हैं तो पत्तियां, झाड़ू से लेकर झोपड़ी तक बनाने में काम आती हैं। इसकी जड़े जमीन में भूजल की मात्रा बढ़ाती है। आदिवासी तो शादियों में इसकी पत्तियों का मुकुट तक पहनते हैं।
छींद का पेड़ कितना उपयोगी होता है, ये छिंदवाड़ा के आदिवासियों से बेहतर कौन बता सकता है। इसके फल पोषण से भरपूर होते हैं तो पत्तियां, झाड़ू से लेकर झोपड़ी तक बनाने में काम आती हैं। इसकी जड़े जमीन में भूजल की मात्रा बढ़ाती है। आदिवासी तो शादियों में इसकी पत्तियों का मुकुट तक पहनते हैं।
By Dr.Vikas Sharma
बरगद को अक्षय वट भी कहा जाता है। कोलकाता के "द ग्रेट बेनयान ट्र" को सबसे बड़े वट वृक्ष का दर्जा हासिल है जो 14500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के साथ जगदीश चंद्र बोस बॉटनिकल गार्डन में स्थित है।
बरगद को अक्षय वट भी कहा जाता है। कोलकाता के "द ग्रेट बेनयान ट्र" को सबसे बड़े वट वृक्ष का दर्जा हासिल है जो 14500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के साथ जगदीश चंद्र बोस बॉटनिकल गार्डन में स्थित है।