टीकाकरण नहीं तो राशन नहीं: मध्य प्रदेश में टीकाकरण अभियान को 'बढ़ावा'?

Shivani Gupta | Nov 20, 2021, 15:12 IST
मध्य प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है कि कोविड-19 वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने वाले लोगों को ही राशन दिया जाएगा। नए साल से यह आदेश लागू हो जाएगा। खाद्य अधिकार विशेषज्ञों का मानना ​​है कि ये फैसला गरीबों को उनके अधिकारों से वंचित कर रहा है।
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मध्य प्रदेश में उन लोंगों को राशन नहीं मिलेगा जिन्होंने कोविड-19 टीके की अब तक दोनों खुराक नहीं ली हैं। 17 नवंबर को एक कोविड-19 समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस आशय की घोषणा की।

इस संबंध में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग, मध्य प्रदेश सरकार ने 8 नवंबर को एक आदेश भी जारी किया है। प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई ने अपने इस हस्ताक्षरित आदेश में कहा है कि पीडीएस दुकानदार राज्य में एक करोड़ 15 लाख परिवारों के सभी योग्य सदस्यों का टीकाकरण सुनिश्चित करें।

किदवई ने गांव कनेक्शन को बताया, "लोगों को दिसंबर के अंत तक अपनी दूसरी खुराक लेनी होगी। यह उनकी सुरक्षा के लिए ही है। जितनी जल्दी हो सके वे टीका लगवा लें। "

खाद्य अधिकार विशेषज्ञ सरकार के इस फैसले से खुश नहीं हैं। उनके अनुसार, इस तरह की पहल से लाभार्थियों को उनके भोजन के अधिकार से वंचित किया जा रहा है।

अंजलि आचार्य ने गांव कनेक्शन से कहा, "उन्हें उनके अधिकारों का लाभ उठाने से रोकना गलत है। टीकाकरण कराना या ना कराना, उनका अपना फैसला है। खाद्य सुरक्षा उनका अधिकार है। " भोपाल में रहने वाली अंजलि भोजन का अधिकार अभियान, मध्य प्रदेश की प्रमुख सदस्य हैं।

मध्य प्रदेश में, 4 करोड़ 90 लाख से ज्यादा लोग सरकार से मिलने वाले मासिक राशन पर निर्भर हैं।

'जरूरत पड़ने पर बढ़ाएंगे डेडलाइन'

खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव के अनुसार, इस साल 31 दिसंबर के बाद से यह आदेश लागू हो जाएगा।

किदवई कहते हैं, "अगर कोई अभी अपनी पहली डोज ले रहा है, तो उसके पास दूसरी डोज लेने के लिए काफी समय है।" यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पहली और दूसरी खुराक के बीच का अंतर कोविशील्ड के लिए 12 सप्ताह, कोवैक्सिन के लिए चार सप्ताह और स्पुतनिक वी के लिए तीन सप्ताह है।

खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारी ने आश्वासन देते हुए कहा, "देरी होने पर हम मामले को देखेंगे। अगर ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा हुई जिन्हें दिसंबर तक दूसरी डोज नहीं लग पाई तो हम इसे (समय सीमा) एक या दो महीने के लिए बढ़ा सकते हैं। "

वह आगे कहते हैं, "लोगों को वायरस से बचाना ही हमारा एकमात्र उद्देश्य है। हम किसी को अधिकारों से वंचित नहीं करना चाहते हैं।"

खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के अनुसार मध्य प्रदेश में 22,000 से ज्यादा छोटी राशन की दुकानें (Fair price shop) हैं। जिनमें से 18,000 ग्रामीण इलाकों में हैं। राशन की दुकान के इन कर्मचारियों को, अभी तक जिन लाभार्थियों ने टीका नहीं लगवाया है उनका डाटा इक्ट्ठा करने की जिम्मेदारी दी गयी है।

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आदेश के अनुसार राशन का लाभ लेने वाले लोगों के नाम पात्रता परची में लिखे हैं। जो भी लोग दुकान पर राशन लेने के लिए आए, दुकानदार को उनसे टीके को लेकर जानकारी लेनी होगी। अगर उन्होंने अभी तक टीका नहीं लगवाया है, तो उन्हें इसके बारे में जागरूक करना होगा और टीकाकरण के लिए नजदीकी अस्पताल में भेजना होगा।

आदेश में यह भी कहा गया है कि जिन लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ है, उनके नाम, पता और मोबाइल नंबर के साथ एक लिस्ट तैयार की जाए। इस लिस्ट की कॉपी हर हफ्ते पास के अस्पताल में जारी की जानी चाहिए। राशन लेने वाले लोगों को इस बात की जानकारी भी दी जानी चाहिए कि दोनों डोज लगने के बाद ही उन्हें राशन दिया जाएगा।

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इस पहल की जरूरत क्यों पड़ी?

किदवई इस सवाल का जवाब देते हुए कहते हैं, "समस्या ये है कि बहुत से लोग दूसरी खुराक नहीं ले रहे हैं। इसे लेकर लोग लापरवाह होते जा रहे हैं। अब जब मामले कम हो रहे हैं तो लोगों का डर भी (कोरोनावायरस को लेकर) कम होता जा रहा हैं। "

उन्होंने कहा, "ये राशन लेने वाले और राशन बांटने वाले, दोनों के लिए एक जोखिम है। पहली और दूसरी लहर के बीच कई दुकानदारों की मौत भी हुई थी। उन्हें रोजाना कई लोगों का सामना करना पड़ता है। वे बहुत कम वेतन पाने वाले कर्मचारी हैं (6,000 रुपये प्रति माह तक कमाते हैं)। मुझे लगता है कि ये सभी की जिम्मेदारी है।"

हालांकि, खाद्य अधिकार विशेषज्ञों का मानना ​​है कि ग्रामीणों के सामने कई चुनौतियां हैं। खाद्य अधिकार विशेषज्ञ पूछते हैं, "पहले, ग्रामीणों में टीकाकरण को लेकर हिचकिचाहट थी। लेकिन अब वे खुद टीकाकरण कराने के लिए आगे आ रहे हैं। लेकिन टीकाकरण के बाद कई तरह के साइड इफेक्ट होते हैं। अगर ऐसे में उन लोगों की देखभाल करने वाला कोई नहीं है, तो वे कैसे संभालेंगे?"

आचार्य कहती हैं, "गांवों में, डॉक्टर भी आसानी से उपलब्ध नहीं होते हैं। लोगों के मन में अगर टीकाकरण को लेकर गलतफहमी या भ्रम की स्थिति है तो ऐसे आदेश जारी करने के बजाय उन्हें दूर किया जाना चाहिए। "

मध्य प्रदेश सरकार ने, केंद्र सरकार की तरह, 31 दिसंबर तक सौ प्रतिशत कोविड टीकाकरण का लक्ष्य रखा है। राज्य में 5 करोड़ 40 लाख योग्य आबादी में से 2 करोड़ 87 लाख से ज्यादा लोगों को दोनों डोज लग चुकी हैं। बाकी 2 करोड़ 53 लाख लोगों को 41 दिनों के अंदर टीकाकरण करना होगा। दूसरे शब्दों में, राज्य को इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रोजाना 600,000 से ज्यादा डोज का प्रबंध करना होगा

क्या कहते हैं लाभार्थी

PDS का लाभ लेने वाले मुरैना जिले के हातीपुरा गांव के निवासी सतेंद्र सिंह शिकारवार ने गांव कनेक्शन से कहा, "सरकार किसी भी तरह से अपने लक्ष्य को पूरा करना चाहती है। लोगों को यह बताना कि उन्हें राशन नहीं मिलेगा, उन्हें डरा रहा है। ऐसे कितने लोग थे जिनकी पहली डोज लेने के बाद मौत हो गई। लोगों में अभी भी टीकाकरण को लेकर डर है।" उनके परिवार को हर महीने 40 किलो गेहूं, 10 किलो चावल, मिट्टी का तेल और नमक मिलता है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत इस योजना में प्रत्येक लाभार्थी को पर महीने पांच किलो अनाज दिया जाता है। एक रुपये किलो गेहूं और चावल, एक रुपये किलो नमक और 13.50 पैसे किलो चीनी दी जाती है। मिट्टी का तेल 16 रुपये प्रति लीटर दिया जाता है।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत, लाभार्थी को इस साल नवंबर तक पांच किलो अतिरिक्त मुफ्त अनाज दिया जा रहा है। कुल मिलाकर नवंबर तक प्रत्येक लाभार्थी को हर महीने 10 किलो अनाज मुफ्त दिया जा रहा है।

टीकाकरण को बढ़ावा देना

स्वास्थ्य सेवा निदेशालय, मध्य प्रदेश ने कहा कि राज्य टीकाकरण में 'तेजी से' आगे बढ़ रहा है। 18 नवंबर को ट्वीट किया गया था "आधी आबादी को लगे वैक्सीन के दोनों डोज।"

8 नवंबर को जब आदेश जारी किया गया था, उस समय कुल 395,365 लोगों को टीके की दूसरी डोज लगाई गई थीं। उसके बाद, 19 नवंबर तक 361,771 लोगों को टीके की दूसरी डोज दी गई। सबसे ज्यादा टीकारण 17 नवंबर को देखा गया था, जब राज्य के मेगा टीकाकरण अभियान के हिस्से के रूप में 1,620,939 लोगों को दूसरी डोज दी गई थी।

शिकारवार को अभी तक पहला टीका भी नहीं लगा है लेकिन उन्हें पूर्ण टीकाकरण के लिए प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया है। वह कहते हैं, "लक्ष्य पूरा करने के लिए, स्वास्थ्य कार्यकर्ता झूठ बोल रहे हैं कि हमें टीका लगाया गया है। मेरे चाचा चंद्र प्रकाश शिकारवार ने सिर्फ पहली डोज लगवाई है, लेकिन उन्हें एक मैसेज मिला है जिसमें उनके दोनों डोज लगवाने की बात कही गई है। मेरे गांव में कागजों पर टीकाकरण किया गया है।"

ग्रामीणों के ये आरोप, लोगों को घातक वायरस से बचाने के राज्य सरकार के प्रयासों पर सवाल खड़े कर रहे है।

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