वर्मी कम्पोस्ट ही नहीं केंचुए से भी हो सकती है कमाई, इस मह‍िला क‍िसान से सीखिए

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दि‍नेश साहू, कम्युनिस्ट जर्नलिस्ट

राजनांदगांव (छत्तीसगढ़)। छह किलो केंचुओं से वर्मी कम्पोस्ट बनाने की शुरूआत करने वाली सुशीला आज एक कुंतल से अधिक केंचुए बेच चुकी हैं, अब उन्हें वर्मी कम्पोस्ट से मुनाफा हो ही रहा है, केंचुओं से भी अच्छा मुनाफा हो जाता है।

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिला मुख्यालय से करीब से 40 किमी दूरी पर खैरागढ़ ब्लॉक के अकरजन ग्राम पंचायत की सुशीला साहू अपने घर पर शेड बना कर केंचुआ खाद का निर्माण कर रही हैं। सुशीला साहू बताते हैं, "2016 से केंचुआ खाद बनाने की शुरुआत की थी। शुरुआत में मैंने अपने शेड पर 6 किलो केंचुए डाले थे। जो अभी लगातार बढ़ रहे हैं। अभी तक लगभग एक कुंतल केंचुआ 800 रुपए प्रति किलो बिक चुका है।"

छोटे से जगह पर शेड बनाकर केंचुआ खाद का निर्माण कर सुशीला बाई अपना घर परिवार भी चला रही हैं। सुशीला बाई अपने गांव में सबसे पहले स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया। वो बताती हैं, "समूह की महिलाएं आपस में हर सप्ताह 20 रुपये जमा भी करती हैं। उसी जमा पूंजी से लोन लेकर मैंने केंचुआ खाद निर्माण के लिए खाद निर्माण के लिए शेड तैयार किया।"

सुशीला बाई के पति सुरेश कुमार साहू सुशीला के काम को भरपूर सहयोग करते हैं। सुशीला बाई ने केचुए से निकलने वाले वर्मी कंपोस्ट के बारे में भी बताया। इसके अलावा केंचुए से ही वर्मी वाश भी बनाती हैं। कम जगह पर छोटा सा व्यापार करने के बाद भी काफी खुश नजर आ रही हैं।

इसके अलावा सुशीलाबाई बताती हैं, "अभी केंचुए की इतना डिमांड बढ़ गई है कि सप्लाई करना मुश्किल हो गया है। इधर वर्मी कंपोस्ट को 20 रुपए प्रति किलो और वर्मी वाश को 15 रुपए लीटर के हिसाब से बेचते हैं। साथ ही अलग अलग पेड़ पौधों के पत्ते से कीटनाशक भी तैयार कर रहे हैं। जिसका छिड़काव खुद अपने घर के किचन गार्डन में करते हैं। इसके अलावा 25 रुपए लीटर के हिसाब से कीटनाशक को भी बेचते हैं।"

वर्मी कम्पोस्ट से लाभ

वर्मी कम्पोस्ट, सामान्य कम्पोस्टिंग विधि से एक तिहाई समय (दो से तीन महीने) में ही तैयार हो जाता है। वर्मी कम्पोस्ट में गोबर की खाद की अपेक्षा नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और अन्य सूक्ष्म तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। केंचुआ द्वारा निर्मित खाद को मिट्टी में मिलाने से मिट्टी की उपजाऊ और उर्वरा शक्ति बढ़ती है, जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव पौधों की वृद्धि पर पड़ता है। वर्मी कम्पोस्ट वाली मिट्टी में भू-क्षरण कम होता है और मिट्टी की जलधारण क्षमता में सुधार होता है। खेतों में केंचुओं द्वारा निर्मित खाद के उपयोग से खरपतवार व कीड़ो का प्रकोप कम होता है और पौधों की रोग रोधक क्षमता भी बढ़ती है।

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