गन्ने के साथ केले और पपीते की सहफसली खेती करता है यह किसान

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आशीष कुमार, कम्युनिटी जर्नलिस्ट

मुजफ्फरनगर(उत्तर प्रदेश)। गन्ने की खेती के लिए मशहूर मुजफ्फरनगर के किसान कुछ न कुछ प्रयोग कर अपनी फसल का उत्पादन बढ़ाते रहते हैं। ऐसे ही एक किसान है उमेश जो गन्ने के साथ पपीता और केले की सहफसली खेती करते हैं।

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के तितावी गाँव के प्रगतिशील किसान उमेश कुमार ने गन्ने के साथ केले और पपीते की खेती कर दूसरे किसानों के लिए एक मिसाल पेश की है। अकेले गन्ने से किसान 20 से 30 हजार रूपए बीघा की फसल ही पैदा कर पाता है, उमेश ने सहफसली के रूप में पपीता और केला उगाकर 75 हजार रुपए बीघा की आय कर दूसरे किसानों को रास्ता दिखा दिया है। बीते वर्ष उमेश ने एक एकड में सहफसली खेती की थी, इस बार वह दो एकड़ में यह खेती कर रहे हैं।

बीते वर्ष उमेश ने एक एकड़ में सहफसली खेती की थी, इस बार वह दो एकड़ में यह खेती कर रहा है। उमेश बताते हैं, "केले की पौध उसने महाराष्ट्र के जलगांव से और पपीते की पौध मध्यप्रदेश के इंदौर से मंगाई है। एक बीघा में वह गन्ने के साथ 200 केले और पपीते के पेड़ लगा रहा है। उसे फसल बेचने में भी कोई परेशानी नहीं हुई है। केले से एक पेड़ पर 25 किलो और पपीते से 20 किलो उत्पादन का औसत आ रहा है।"

जिला गन्ना अधिकारी डॉ आरडी द्विवेदी बताते हैं, "किसानों की आय दोगुनी करने में यह प्रयास सार्थक होगा। उमेश कुमार गन्ने के साथ-साथ सहफसली की रूप में केले और पपीते की पिछले साल से की जा रही है और इनको गन्ने के अतिरिक्त केले और पपीते दोनों से मिलाकर एक बीघे में लगभग एक लाख रुपए आमदनी प्राप्त हुई है यह नया विषय है अन्य किसानों के लिए भी देखकर और समझ गए गन्ने की साथ में सहफसली के रुप में केले और पपीते को लेकर अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं।"

उमेश आगे बताते हैं, "जिस खेत पर हम खड़े हैं मई में हमने गन्ना लगाया था पांच फीट की दूरी पर हमने फिर केले के प्लांटेशन प्लांट कर दिए हमें लगता है कि इन दोनों को मिलाकर हमको एक लाख प्रति बीघा की आमदनी हो जाएगी गन्ने लगाने में ज्यादा से ज्यादा 20 25 हजार रुपए प्रति बीघा की आमदनी हो रही है किसानों के लिए कहना चाहूंगा कि गन्ने में पपीते और केले की खेती को सहफसली के रूप में दें जिससे उनकी आमदनी बढ़ें।"

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