मुख्यमंत्री के नाम गांव से चिट्ठी
गाँव कनेक्शन | Mar 21, 2017, 12:52 IST
स्वयं प्रोजेक्ट टीम
लखनऊ। यूपी में भाजपा की सरकार बन चुकी है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने शपथ ग्रहण के बाद ही स्पष्ट कर दिया था कि सरकार सुनिश्चित करेगी कि कृषि ही यूपी के विकास का आधार बने। ऐसे में प्रदेश के किसानों को योगी सरकार से काफी आस है।
कन्नौज के भवानीपुर गाँव निवासी किसान सुधीर राजपूत (35 वर्ष) का कहना है, “नई सरकार की ओर से किसानों की समस्याओं पर विशेष ध्यान दिया जाए। दैवीय आपदा से किसान साल दर साल बर्बाद हो रहा है। फसल बीमे व अन्य योजनाओं का लाभ कागजों में दिखाकर धरातल पर उतारा जाए। समय से योजनाओं का लाभ मिले, जिससे किसान परेशान होने से बच सकें।” उन्नाव जिले के भतावां गाँव के रहने वाले किसान सरजू लोधी (48 वर्ष) बताते हैं, “हम लोगों को सबसे ज्यादा सिंचाई की समस्या होती है। नहरें और बंबी तो हैं लेकिन पानी कभी नहीं आता, ऐसे में हम अपने खेतों में सिंचाई भगवान भरोसे करते हैं। सरकार से यही उम्मीद है कि बस सिंचाई के लिए समय पर पानी मिल जाए।”
करीब 55 लाख लघु और सीमांत किसानों को अपने अच्छे दिनों के लिए प्रदेश की भावी भाजपा सरकार की पहली कैबिनेट बैठक का इंतजार है। बहराइच के बलहा ब्लॉक के भवनियापुर निवासी 45 वर्षीय अनिरुद्ध लाल ने कहा, “पहले तो किसानों का कर्ज माफ हो और इसके साथ ही किसानों को ब्याजमुक्त ऋण उपलब्ध कराये क्योंकि आज जो किसानों की हालात है, वह कभी सुख से दो रोटी नहीं खा पा रहा है।”यूपी के 55 लाख किसानों पर 92121 करोड़ रुपये का फसली ऋण है जो किसानों के लिए दिन रात की चिंता का सबब है। सोनभद्र के दुद्धी ब्लॉक के रजखड़ गाँव के किसान रामकुमार कुशवाहा (61 वर्ष) ने बताया, “पहले छोटे किसान का कर्ज माफ कर और छोटे किसानों को समय के अनुसार लोन देकर किसानों का मदद करें।”
सामाजिक आर्थिक एवं जातीय जगगणना-2011 के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश की ग्रामीण आबादी का करीब 40 प्रतिशत कृषि कार्य में लगे हुए हैं। वहीं 2010-11 की कृषि जनगणना के अनुसार राज्य में कृषि भूमि रखने वालों में 92 प्रतिशत छोटे या सीमांत किसान हैं। ललितपुर जनपद से 22 किमी बिरधा ब्लाँक कि छिल्ला ग्राम पंचायत मुकेश परिहार बताते है कि भले योगी सरकार कृषि को विकास का आधार बनाने की बात कर रही हो, कृषि विभाग से खरीब के समय कुंवार के माह में उरद व रवि में गेहूं का बीज उठाया था।
आज तक सब्सिडी का पैसा नहीं मिला। मैनपुरी के किशनी के किसान राजेंद्र बताते हैं कि अगर हमारी फसलों का सही समय पर सही दाम मिल जाए तो हमें बेमतलब का कर्जा न लेना पड़े। कानपुर देहात के अकबरपुर निवासी शौकत खां बताते हैं कि क्रय केंद्रों पर हमें सबसे अधिक दिक्कत का सामना करना पड़ता है। उपज में कमी बताकर अधिकारी हमारे सामान को रिजेक्ट कर देते हैं। अमेठी के गौतमपुर गाँव के निवासी राजमोहन त्रिपाठी बताते हैं कि फसल बीमा का लाभ उठाने के लिए हमें कई बार चक्कर काटना पड़ता है। अधिकारी से लेकर बैंक कर्मचारी तक कोई भी सही सुझाव नहीं देता जिससे हम अभी तक योजना से वंचित हैं।
किसानों को उनके फसलों के सही दाम नहीं मिल पाते। कहीं क्रय केंद्र में हीलाहवाली होती तो कहीं तौल कम करने के मामले सामने आते रहते हैं। रायबरेली जिले के सतांव ब्लॉक के नगदिलपुर ग्रामसभा के निवासी किसान राम लखन वर्मा (51 वर्ष) बताते हैं,’’ सरकार को हर साल की तरह गेहूं और धान के न्यूनतम समर्थन में मूल्य में मात्र 50-50 रुपए ना बढ़ाकर एक निश्चित एमएसपी बनानर चाहिए जिससे किसानों को अपनी उपज बेचने में संतुष्टि रहे।” सुल्तानपुर के लंभुआ गाँव के किसान अशोक वर्मा (48 वर्ष) का कहना है, “योगी जी धान, गेहूं की खरीदारी क्रय केंद में सही से होने लगे तो हम लोगों को बहुत ही फायदा होगा।” बाराबंकी जिला के सूरतगंज ब्लॉक पल्हरी निवासी दीपेंद्र शुक्ला (47 वर्ष) बताते हैं, “किसानों को उन्हीं के उगाये हुए आनाज के अच्छे दाम न मिलने से फांसी न लगानी पडे़, इसके लिए फसलों के दामों में निर्धारण किया जाए।”
मुन्ना कश्यप, दुडौली, चिनहट ब्लॉक, लखनऊ
रामवीर सूरी, शीतलपुर, एटा
कमलेश, धौरहरा, सीतापुर
अरुण शुक्ला, किसान, बेलहरा गाँव, बाराबंकी
सरोज सिंह, मजदूर, सुल्तानपुर
रामकुमार कुशवाहा, रजखड़ गाँव, दुद्धी ब्लॉक सोनभद्र
राम बहादुर, गंगागंज, रायबरेली
ज्ञानेंद्र सिंह, किसान, मऊ ब्लॉक, चित्रकूट
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लखनऊ। यूपी में भाजपा की सरकार बन चुकी है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने शपथ ग्रहण के बाद ही स्पष्ट कर दिया था कि सरकार सुनिश्चित करेगी कि कृषि ही यूपी के विकास का आधार बने। ऐसे में प्रदेश के किसानों को योगी सरकार से काफी आस है।
कन्नौज के भवानीपुर गाँव निवासी किसान सुधीर राजपूत (35 वर्ष) का कहना है, “नई सरकार की ओर से किसानों की समस्याओं पर विशेष ध्यान दिया जाए। दैवीय आपदा से किसान साल दर साल बर्बाद हो रहा है। फसल बीमे व अन्य योजनाओं का लाभ कागजों में दिखाकर धरातल पर उतारा जाए। समय से योजनाओं का लाभ मिले, जिससे किसान परेशान होने से बच सकें।” उन्नाव जिले के भतावां गाँव के रहने वाले किसान सरजू लोधी (48 वर्ष) बताते हैं, “हम लोगों को सबसे ज्यादा सिंचाई की समस्या होती है। नहरें और बंबी तो हैं लेकिन पानी कभी नहीं आता, ऐसे में हम अपने खेतों में सिंचाई भगवान भरोसे करते हैं। सरकार से यही उम्मीद है कि बस सिंचाई के लिए समय पर पानी मिल जाए।”
करीब 55 लाख लघु और सीमांत किसानों को अपने अच्छे दिनों के लिए प्रदेश की भावी भाजपा सरकार की पहली कैबिनेट बैठक का इंतजार है। बहराइच के बलहा ब्लॉक के भवनियापुर निवासी 45 वर्षीय अनिरुद्ध लाल ने कहा, “पहले तो किसानों का कर्ज माफ हो और इसके साथ ही किसानों को ब्याजमुक्त ऋण उपलब्ध कराये क्योंकि आज जो किसानों की हालात है, वह कभी सुख से दो रोटी नहीं खा पा रहा है।”यूपी के 55 लाख किसानों पर 92121 करोड़ रुपये का फसली ऋण है जो किसानों के लिए दिन रात की चिंता का सबब है। सोनभद्र के दुद्धी ब्लॉक के रजखड़ गाँव के किसान रामकुमार कुशवाहा (61 वर्ष) ने बताया, “पहले छोटे किसान का कर्ज माफ कर और छोटे किसानों को समय के अनुसार लोन देकर किसानों का मदद करें।”
सामाजिक आर्थिक एवं जातीय जगगणना-2011 के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश की ग्रामीण आबादी का करीब 40 प्रतिशत कृषि कार्य में लगे हुए हैं। वहीं 2010-11 की कृषि जनगणना के अनुसार राज्य में कृषि भूमि रखने वालों में 92 प्रतिशत छोटे या सीमांत किसान हैं। ललितपुर जनपद से 22 किमी बिरधा ब्लाँक कि छिल्ला ग्राम पंचायत मुकेश परिहार बताते है कि भले योगी सरकार कृषि को विकास का आधार बनाने की बात कर रही हो, कृषि विभाग से खरीब के समय कुंवार के माह में उरद व रवि में गेहूं का बीज उठाया था।
आज तक सब्सिडी का पैसा नहीं मिला। मैनपुरी के किशनी के किसान राजेंद्र बताते हैं कि अगर हमारी फसलों का सही समय पर सही दाम मिल जाए तो हमें बेमतलब का कर्जा न लेना पड़े। कानपुर देहात के अकबरपुर निवासी शौकत खां बताते हैं कि क्रय केंद्रों पर हमें सबसे अधिक दिक्कत का सामना करना पड़ता है। उपज में कमी बताकर अधिकारी हमारे सामान को रिजेक्ट कर देते हैं। अमेठी के गौतमपुर गाँव के निवासी राजमोहन त्रिपाठी बताते हैं कि फसल बीमा का लाभ उठाने के लिए हमें कई बार चक्कर काटना पड़ता है। अधिकारी से लेकर बैंक कर्मचारी तक कोई भी सही सुझाव नहीं देता जिससे हम अभी तक योजना से वंचित हैं।
फसलों के दाम निर्धारित हों
मुन्ना कश्यप, दुडौली, चिनहट ब्लॉक, लखनऊ
रामवीर सूरी, शीतलपुर, एटा
कमलेश, धौरहरा, सीतापुर
अरुण शुक्ला, किसान, बेलहरा गाँव, बाराबंकी
सरोज सिंह, मजदूर, सुल्तानपुर
रामकुमार कुशवाहा, रजखड़ गाँव, दुद्धी ब्लॉक सोनभद्र
राम बहादुर, गंगागंज, रायबरेली
ज्ञानेंद्र सिंह, किसान, मऊ ब्लॉक, चित्रकूट
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