ऐसी प्रथा जिसमें रोपनी, कटनी से लेकर शादी-ब्याह में करते हैं मदद
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By गाँव कनेक्शन

"हमारे बारे में कोई जानने की कोशिश ही नहीं करता, इसलिए अब हम खुद बनेंगे अपने समुदाय की आवाज"
"हमारे बारे में कोई जानने की कोशिश ही नहीं करता, इसलिए अब हम खुद बनेंगे अपने समुदाय की आवाज"

By Neetu Singh

एलजीबीटी समुदाय के पास अपनी तमाम कहानियाँ हैं जिन्हें अब तक मीडिया में प्रमुखता से जगह नहीं मिली है। सामुदायिक पत्रकारिता के प्रशिक्षण के दौरान इस समुदाय ने समाज और पत्रकारों के दोहरे रवैये का जिक्र करते हुए नाराजगी जताई।

एलजीबीटी समुदाय के पास अपनी तमाम कहानियाँ हैं जिन्हें अब तक मीडिया में प्रमुखता से जगह नहीं मिली है। सामुदायिक पत्रकारिता के प्रशिक्षण के दौरान इस समुदाय ने समाज और पत्रकारों के दोहरे रवैये का जिक्र करते हुए नाराजगी जताई।

इनके पास हैं हजारों खबरें जो कभी मीडिया तक नहीं पहुंच पाईं
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By Neetu Singh

भारत के गाँव किस तरह की समस्या से जूझ रहे हैं, वो कौन लोग हैं जो वर्षों से गुमनाम होकर बदलाव की कहानियाँ गढ़ रहे हैं। इन अनकही कहानियों को मीडिया प्लेटफार्म पर लाने के लिए गाँव कनेक्शन के स्वयं प्रोजेक्ट के तहत पांच राज्यों में सामुदायिक पत्रकार तैयार किये जा रहे हैं।

भारत के गाँव किस तरह की समस्या से जूझ रहे हैं, वो कौन लोग हैं जो वर्षों से गुमनाम होकर बदलाव की कहानियाँ गढ़ रहे हैं। इन अनकही कहानियों को मीडिया प्लेटफार्म पर लाने के लिए गाँव कनेक्शन के स्वयं प्रोजेक्ट के तहत पांच राज्यों में सामुदायिक पत्रकार तैयार किये जा रहे हैं।

आश्रम की महिलाओं की ज़िंदगी में ख़ुशबू बिखेर रही अगरबत्ती
आश्रम की महिलाओं की ज़िंदगी में ख़ुशबू बिखेर रही अगरबत्ती

By Jigyasa Mishra

मथुरा जिले के वृन्दावन में स्थित बृज गंधा प्रसार समिति 120 निराश्रित महिलाओं का बसेरा है जिसमें ज़्यादातर विधवा महिलाएं अपनी छोटी, अलग सी दुनिया में रहती हैं और उनसे बात करके मालूम होता है मानो इतनी खुश वो इससे पहले कभी थी ही नहीं।

मथुरा जिले के वृन्दावन में स्थित बृज गंधा प्रसार समिति 120 निराश्रित महिलाओं का बसेरा है जिसमें ज़्यादातर विधवा महिलाएं अपनी छोटी, अलग सी दुनिया में रहती हैं और उनसे बात करके मालूम होता है मानो इतनी खुश वो इससे पहले कभी थी ही नहीं।

पीरियड: इन लड़कियों के लिए कितना मुश्किल, कितना आसान
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By Jigyasa Mishra

निशा एक साल से उन्ही चार कपड़े के टुकड़ों से ही अपना गुज़ारा कर रही हैं जो उसकी मां ने उसे पहली बार माहवारी होने पर दिए थे और आज तक उसने सैनिटरी नैपकिन देखा भी नहीं। पूछे जाने पर कि वो नैपकिन इस्तेमाल करती हैं या नहीं, पहले निशा कुछ देर अपने दोस्तों का चेहरा देखती रही फिर बोली, "नेपकिन, वो क्या होता है?"

निशा एक साल से उन्ही चार कपड़े के टुकड़ों से ही अपना गुज़ारा कर रही हैं जो उसकी मां ने उसे पहली बार माहवारी होने पर दिए थे और आज तक उसने सैनिटरी नैपकिन देखा भी नहीं। पूछे जाने पर कि वो नैपकिन इस्तेमाल करती हैं या नहीं, पहले निशा कुछ देर अपने दोस्तों का चेहरा देखती रही फिर बोली, "नेपकिन, वो क्या होता है?"

आपको ये जानकार हैरानी होगी की देश में सिर्फ मुट्ठी भर वकील बचे हैं!
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By Ashwani Kumar Dwivedi

क्या आप जानते हैं कि बैरिस्टर, एडवोकेट, लॉयर, अटॉर्नी जनरल, सालिसिटर जनरल, स्टैंडिंग कौंसिल, लोक अभियोजक और वकील में क्या अंतर होता है?

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खुद कभी स्कूल का मुंह नहीं देखा था, लेकिन अब पूरे गांव को सिखा रही ककहरा
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By Neetu Singh

महाराष्ट्र का ये किसान तीन महीने में शरीफे की खेती से कमा रहा लाखों रुपए
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By Divendra Singh

नौ बीघा अमरूद की बाग में लाखों की कमाई
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By गाँव कनेक्शन

सूखे चित्रकूट में उम्मीद की हरियाली, बारह साल में गाँव में लगा दी बाग
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By गाँव कनेक्शन

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