ग्रामीणों ने पर्यावरण बचाने के लिए किया संकल्प
Bheem kumar | Jun 05, 2017, 21:35 IST
स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट
अनपरा/सोनभद्र। सिंगरौली प्रदूषण मुक्ति वाहिनी ने सोमवार को पंतसागर संकल्प सत्याग्रह कर विश्व पर्यावरण दिवस मनाया। कार्यक्रम में पर्यावरण की शासन प्रशासन द्वारा हो रही अनदेखी को लेकर सदस्यों ने आँखों पर पट्टी बांधी व संकल्प किया कि जलाशय में औद्योगिक नगरी अवशिष्ट छोड़े जाने के खिलाफ बड़ा आंदोलन छेड़ेंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे ग्राम प्रधान मानसिंह ने कहा,“ एशिया के सबसे बड़े कृत्रिम जलाशय पंतसागर से लगभग 400 गांव के हैडपम्प सिंचाई कूप के जलस्त्रोत जुड़े हैं। लेकिन रसायनिक कचरा और राख छोड़े जाने से पूरा जलस्रोत दूषित हो गया है। यह क्षेत्र बीमारियों का अड्डा बनने के साथ कृषि बनो उपज पर प्रभाव डाल रहा है। उन्होंने कहां की मनमानी तो यह हो गई है की एनजीटी के आदेश का पालन तक नहीं किया जा रहा है।”
ये भी पढ़ें : पर्यावरण को बचाने के लिए जयपुर की किरण चला रही विशेष मुहिम, लोगों के घर को कर रहीं हरा-भरा
सत्याग्रह की अगुवाई कर रहे जगत नारायण विश्वकर्मा ने कहा, “2014 में एनजीटी ने कोयला आधारित कम्पनियों को जीरो डिस्चार्ज करने का आदेश दिया है, लेकिन अनपरा और लैंको की इकाइयां में राख का निस्तारण एक फीसदी भी नहीं है। राख का निस्तारण करना जिला प्रसाशन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नैतिक जिमेदारी है, लेकिन बेलवादह में खुलेआम राख छोड़ा जा रहा है, जिससे जलासय की मछलियों में भी मिथाइल,मरकरी पाया जा रहा है।”
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अनपरा/सोनभद्र। सिंगरौली प्रदूषण मुक्ति वाहिनी ने सोमवार को पंतसागर संकल्प सत्याग्रह कर विश्व पर्यावरण दिवस मनाया। कार्यक्रम में पर्यावरण की शासन प्रशासन द्वारा हो रही अनदेखी को लेकर सदस्यों ने आँखों पर पट्टी बांधी व संकल्प किया कि जलाशय में औद्योगिक नगरी अवशिष्ट छोड़े जाने के खिलाफ बड़ा आंदोलन छेड़ेंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे ग्राम प्रधान मानसिंह ने कहा,“ एशिया के सबसे बड़े कृत्रिम जलाशय पंतसागर से लगभग 400 गांव के हैडपम्प सिंचाई कूप के जलस्त्रोत जुड़े हैं। लेकिन रसायनिक कचरा और राख छोड़े जाने से पूरा जलस्रोत दूषित हो गया है। यह क्षेत्र बीमारियों का अड्डा बनने के साथ कृषि बनो उपज पर प्रभाव डाल रहा है। उन्होंने कहां की मनमानी तो यह हो गई है की एनजीटी के आदेश का पालन तक नहीं किया जा रहा है।”
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सत्याग्रह की अगुवाई कर रहे जगत नारायण विश्वकर्मा ने कहा, “2014 में एनजीटी ने कोयला आधारित कम्पनियों को जीरो डिस्चार्ज करने का आदेश दिया है, लेकिन अनपरा और लैंको की इकाइयां में राख का निस्तारण एक फीसदी भी नहीं है। राख का निस्तारण करना जिला प्रसाशन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नैतिक जिमेदारी है, लेकिन बेलवादह में खुलेआम राख छोड़ा जा रहा है, जिससे जलासय की मछलियों में भी मिथाइल,मरकरी पाया जा रहा है।”
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