पश्चिमी यूपी के 50 फीसदी किसान नहीं कर सके गेहूं की बुवाई

Sundar Chandel | Dec 27, 2017, 14:02 IST
Wheat Farming
मेरठ सहित पूरे पश्चिमी यूपी के किसानों का गणित इस बार गन्ने ने पूरी तरह बिगाड़ दिया है। 25 दिसंबर बीत चुका है, और अभी 50 फीसदी किसान गेहूं बुवाई नहीं कर पाए हैं। जबकि 25 दिसंबर गेहूं बुवाई के लिए अंतिम दिन माना जाता है। इससे साफ है कि इस बार गेहूं का उत्पादन काफी हद तक घट जाएगा।

कृषि विभाग के अनुसार 30 फीसदी छोटे किसान तो ऐसे हैं, जिन्होने अभी तक एक भी दाना गेहूं बुवाई नहीं की है। ऐसे में उन किसानों स्वयं खरीदकर गेहूं खाना पडे़गा। किसान षुगर मिल और सरकार को इसका जिम्मेदार बता रहे हैं।

गन्ना काटकर बोया जाता है गेहूं

दरअसल, वेस्ट यूपी में 80 फीसदी किसानों की जोत आठ से दस बीघा है। ऐसे किसान गन्ना काटने के बाद गेहूं की बुवाई करते हैं। किसानों का मानना है कि हर वर्ष 15 दिसंबर तक गेहूं की बुवाई पूरी कर ली जाती थी, लेकिन इस बार षुगर मिलों ने पर्ची नहीं दी, जिसके चलते अभी तक गेहूं बुवाई नहीं हो सकी है। 25 दिसंबर के बाद बोए जाने वाले गेहूं में कुछ नहीं निकलता है। ऐसे में कुछ किसानों को तो खुद ही गेहूं खरीदकर खाने को मजबूर होना पडे़गा।

हस्तिनापुर ब्लॉक के गाँव दरियापुर के किसान रवि (34 वर्ष) बताते हैं, "एक माह में एक पर्ची आ रही है, ऐसे में एक दाना भी गेहूं की बुवाई नहीं हो सकी है।"

निडावली गाँव के किसान रहतु (54 वर्ष) बताते हैं कि जितना परेषान इस बार शुगर मिल ने किया है, उतना कभी नहीं किया। उन पर बीस बीघा जमीन है, लेकिन खेत खाली न होने के चलते महज तीन बीघा ही गेहूं बुवाई हो सकी है। यही हाल मेरठ सहित पूरे वेस्ट यूपी का है।

गन्ना फिर भी किसानों की पहली पसंद

शुगर मिलें भले ही किसानों को पर्चियां न देकर, भुगतान न करके खून के आंसू रूला रही हों, लेकिन किसानों का गन्ने की फसल से बिल्कुल मोह भंग नहीं हो रहा है। मंडल में पिछले साल की तुलना में इस बार भी गन्ने का रकबा काफी बढ़ा है। जीपीएस से अब तक हो चुके करीब 95 प्रतिशत सर्वे में करीब 10 से 20 फीसदी वृद्धि दर्ज की जा चुकी है। मंडल में सर्वाधिक रकबा बढ़ोत्तरी बुलंदशहर जनपद में हुई है, इसके बाद बाद मेरठ ने नंबर दो पर मेरठ है।

गन्ने के रकबे में बढ़ोत्तरी

मेरठ 10,85 फीसदी

बुलंदशहर 19,17 फीसदी

बागपत 01,32 फीसदी

गाजियाबाद 8,37 फीसदी

हापुड़ 18,50 फीसदी

ऐसे में क्या करें किसान

कृषि वैज्ञानिक डॉ. संदीप सिंह बताते हैं कि 25 दिसंबर के बाद गेहूं बहुत ज्यादा लेट हो जाता है। इसके बाद गेहूं की बुवाई करना ठीक नहीं माना जाता। उत्पादन पर पूरी तरह फर्क पड़ता है, लेकिन किसान पीबीडब्ल्यू 373, यूपी 2338, एचडी 2932, नामक किस्मों की बुवाई करके थोड़ा-बहुत संभल सकते हैं। इसके लिए किसानों को प्रति एकड़ बीज 55 से 60 किलो डालना पड़ेगा। साथ ही पछेती बुवाई में खूड़ से खूड़ का फांसला 18 सेमी रखें। इसके अलावा 25 दिसंबर के बाद जौं, जई आदि की फसल अच्छी ली जा सकती है।

ये भी देखिए:



मोबाइल पर भेजा जा रहा मैसेज

जिला कृषि अधिकारी जसवीर तेवतिया बताते हैं, “वास्तव में इस बार किसान आधी गेहूं बुवाई भी नहीं कर सके हैं। किसानों को पछेती किस्मों के बारे में एसएमएस भेजकर बताया जा रहा है कि वो इन किस्मों की बुवाई करें, क्योंकि इनके पकने में ज्यादा समय नहीं लगता। साथ ही किसानों को गन्ने के अलावा अन्य फसलों पर भी ध्यान देने के लिए कहा जा रहा है। ताकि आगे ऐसी दिक्कतों का सामना न करना पड़े।”

Tags:
  • Wheat Farming
  • गेहूं की खेती
  • गेहूं की बुवाई
  • Western UP
  • गन्ना भुगतान
  • रबी बुवाई सीजन 2017-18

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.