इजराइल के किसान रेगिस्तान में पालते हैं मछलियां और गर्मी में उगाते हैं आलू

Mithilesh Dhar | Jan 14, 2018, 16:02 IST
New Agricultural Techniques
इजराइल की खेती और वहां की तकनीकी का दुनियाभर में डंका बजता है। इजराइल ने कुछ ऐसे प्रयोग किए हैं, जिन्होंने दुनिया को राख दिखाई है। वो रेगिस्तान में मछली पालते हैं, ओस से पानी बनाते हैं।
दुनिया में सबको भरपेट खाना मिले और जो खेतों में उगाया जा रहा है उसे सुरक्षित रखा जा सके ये बहुत बड़ी समस्या है। अकेले भारत में हर साल बिना रखरखाव के अरबों रुपये का अन्न बर्बाद हो जाता है। कभी सूखे से बिना पानी फसलें सूख जाती हैं तो कभी बाढ़ के सैलाब में खेत के खेत बर्बाद हो जाते हैं। जैसे-जैसे आबादी बढ़ रही है, वैसे-वैसे मांग भी बढ़ रही है। ऐसे में खेती और खाद्य सुरक्षा जरूरी होता जा रही है।

भारत ही नहीं दुनिया का लगभग हर देश इन समस्याओं से जूझ रहा है। लेकिन युवा किसानों का देश कहे जाने वाले इजराइल ने खेती से जुड़ी कई समस्याओं पर न सिर्फ विजय पाई है बल्कि दुनिया के सामने खेती को फायदे का सौदा बनाने के उदाहरण रखे हैं। 1950 से हरित क्रांति के बाद इस देश ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

इजराइल ने केवल अपने मरुस्थलों को हराभरा किया, बल्कि अपनी खोजों को चैनलों और एमएएसएचएवी (MASHAV, विदेश मामलों का मंत्रालय) के माध्यमों से प्रसारित किया ताकि अन्य देशों के लोग भी इसका लाभ उठा पाएं। इजरायल-21 सी न्यूज पार्टल ने ऐसे की कुछ प्रमुख मुद्दों को उठाया है जिससे अन्न उत्पादन और उसके रखरखाव के लिए पूरे विश्व में इजरायल की तूती बोल रही है।

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1-टपकन सिंचाई (ड्रिप इरगेशन)- पानी और पैसा दोनों बचाइए

टपकन सिंचाई की तकनीकी के प्रयोग के लिए तैयार किसान। इस मामले कोई आधुनिक और ज्यादा कारगर खोज अभी तक नहीं हो पाई है। इजराइल में भी ये प्रथा पहले से ही अस्तित्व में थी। इजराइल की वाटर इंजीनियर सिम्चा ब्लास ने इस पद्धति में नई क्रांति ला दी। सिम्चा ने खोज की कि अगर ड्रिप को धीमा और संतुलित कर दिया जाए तो उत्पादन क्षमता बढ़ सकती है। उन्होंने ऐसे ट्यूब का निर्माण किया, जिससे पानी की मात्रा कम होकर गिरने लगी, ये ज्यादा कारगर साबित हुआ। इस पद्धति पर उन्होंने काम शुरू किया इससे संबंधित फर्म भी बनाया। इजराइल की ये टपका सिंचाई विधि अब कई देशों में इस्तेमाल की जा रही है। इस विधि से इजरायल से बाहर लगभग 700 ऐसे किसान परिवार हैं जो साल में अब तीन फसलें पैदा कर रहे हैं जो कि पहले एक बार ही होता।

2-अन्न कोष- सुरक्षित रखे जा सकते हैं अनाज

इस बैग में रखा अनाज लंबे समय तक फ्रेश रहता है और खराब भी नहीं होता। इजराइल ने एक ऐसे अन्न कोष का निर्माण किया है जिसमें किसान कम खर्चों में ही अपनी फसल को ताजा और सुरक्षित रख सकते हैं। इंटरनेशनल फूड टेक्नोलॉजी कंसलटेंट प्रोफेसर श्लोमो नवार्रो ने इस बड़े बैग को बनाया है। ये बैग हवा और पानी, दोनों से सुरक्षित रहेगा। बैग का प्रयोग पूरे अफ्रीका के साथ-साथ कई सम्पन्न देशों में किया जा रहा है। पाकिस्तान ने भी इस बैग के लिए इजराइल के साथ समझौता किया है। 50 प्रतिशत से ज्यादा फसलें उत्पादन के बाद कीड़े और फफूंद की वजह से खराब हो जाती हैं। ऐसे में ये बैग उपज की सुरक्षा के लिए कारगार साबित हो रहा है। भीषण गर्मी और सीलने होने के बाद भी इस बैग में रखी फसलें सुरक्षित रहती हैं।

3- जैविक कीट नियंत्रण- शत्रु कीटों पर हमला, मित्र कीटों का संरक्षण

बायो-बी नामक कंपनी ने ऐसे कीट नियंत्रक दवा का निर्माण किया है जिसके छिड़काव से कीड़े तो दूर रहते हैं लेकिन इससे मक्खी और भौरों को कोई नुकसान नहीं होता। कंपनी परागण के लिए भौरों का भी प्रयोग करती है। ऐसे में परागण की प्रक्रिया प्रभावित नहीं होती। कंपनी के मैनेजर डॉ शीमोन ने बताया कि हमारी कंपनी कीटनाशक दवाओं की बिक्री के मामले प्रमुख कंपनियों में से एक है। कैलिफोर्निया में पैदा होने वाले 60 फीसदी स्ट्राबेरी पर 1990 से इसी दवा का छिड़काव किया जा रहा है, और इसके प्रयोग के बाद से पैदावार में 75 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। बायो बी की दवा और भौरों का प्रयोग इस समय 32 देशों में किया जा रहा है, जिसमें जापान और चिली भी शामिल हैं।

हवा से ओस की बूंदों को निचोड़ने की विधि।

4-डेयरी फार्मिंग

आधुनिक डेयरीफार्म का एक दृश्य। होफ हैशरोन डेयरी फार्म (Hof Hashron), एसएई एफिकिम (SAE Afikim) और एससीआर प्रीसाइज डेयरी फार्म (SCR Precies Dairy Farming) ने मवेशियों के झुंड प्रबंधन की नई तकनीकी ईजाद की और इसका प्रयोग अपने डेयरी उत्पादन में बखूबी कर रहे हैं। एसएई एफिकिम वियतनाम में चल रहे उस पांच साल के प्रोजेक्ट का भी हिस्सा है जिसका लक्ष्य 5 लाख मिलियन डेयरी फार्म का है, जो दुनिया का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है। प्रोजेक्ट के चैनल में 30 हजार गायों को जोड़ा जा चुका है, कार्यक्षेत्र 12 राज्यों में फैला हुआ है। इसके माध्यम से प्रतिदिन 3 लाख लीटर दूध की सप्लाई की जा रही है। चायना ने इससे प्रभावित होकर इससे संबधित मंत्रालयों को लोगों को इजरायल भेजता है और कहता है कि इजराय से सीखने लायक है कि कैसे दुग्ध उत्पादन बढ़ाया जाए।

5-सॉफ्टवेयर से किसानों की मदद

एग्रीकल्चर नॉलेज ऑनलाइन (AKOL) ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया है जहां किसानों की हर समस्या कस हल होता है। आईबीएम द्वारा संचालित इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से दुनिया के किसी भी कोने में बैठा किसान इजरायल के विशेषज्ञों से मदम ले सकता है। सॉफ्टवेयर के माध्यम से किसान अपनी फसले तो बेच ही सकते है साथ ही ग्रुप के साथ चर्चा भी कर सकते हैं। कंपनी के सीईओ रॉन शानी बताते हैं कि सॉफ्टवेयर किसानों की मदद फसल बोते समम, काटते समय और बेचते समय, हर तरह की मदद करता है, साथ ही किसानों को आधुनिक ज्ञान भी दिया जाता है।

6-गर्मी में पैदा कर रहे आलू

लगभग 30 साल के शोध के बाद हिब्रू विश्वविद्यालस के प्रोफेसर डेविड लेवी ने आलू की एक ऐसी प्रजाति ईजाद की जो कि भीषण गर्मी में भी पैदा होती है। आलू दुनिया में खाई जाने वाली प्रमुख खाद्य फसलों में से एक है लेकिन गर्मी में इसकी पैदावार नहीं हो पाती खासकर मिडिल ईस्ट में, लेकिन अब ऐसी जगहों पर भी आलू की बढ़िया पैदावार हो रही है और किसान लाभ कमा रहे हैं। लेवी इजरायल-21सी को बताया कि हम नई तकनीक से अन्य देशों के बीच नए संबंध बनाने का प्रयास कर रहे हैं, हम चाहते हैं हर देश का किसान लाभान्वित हो।

7- हवा से निचोड़ रहे पानी की हर बूंद (ओस की बूंदों से सिंचाई)

ताल-या वाटर टेक्नोलाजी ने दोबारा प्रयोग में लिए जाने वाले ऐसे प्लास्टिक ट्रे का निर्माण किया है जिससे हवा से ओस की बूंदे एकत्र की जा सकती है। दांतेदार आकार का ये ट्रे प्लास्टिक को रीसाइकिल करके बनाया जाता है। इसमें यूवी फिल्टर और चूने का पत्थर लगाकर पेड़ों के आसपास इसे लगाया जाता है। रात को ये ट्रे ओस की बूंदों को साख लेता है और बूंदों को पौधों की जड़ों तक पहुंचाता है। इसके निर्माता अवराहम तामिर बताते हैं ट्रे कड़ी धूप से भी पौधों को बचाता है। इस विधि से पौधों की 50 प्रतिशत पानी की जरूरत पूरी हो जाती है।

8- अनूठे तरीके से फसलों का बचाव

हिब्रू विश्वविद्यालय की तकनीकी टीम ने मैक्हेटेसहिम एगन ने (फसल सुरक्षा की बड़ी कंपनी), व्यवसायीकरण के लिए ऐसे कीटनाशक की खोज की जो फादेमंद कीटों को नुकसान नहीं पहुंचाता और फसलों को सुरक्षित भी रखता है। कीटनाशकों को बाजार लगभग 1500 करोड़ रुपए का है। ज्यादातर कीटनाशक मीट्टी मे मिला दिए जाते हैं। लेकिन इजरायल ऐसा कीटनाशक तैयार किया तो बहुत ही मंद गति से नुकसानदायक कीड़ों को मारता है, जिससे मिट्टी की उर्वरकता बनी रहती है। पौधों को उतना ही डोज दिया जाता है जितनी उसे जरूरत रहती है।

9-रेगिस्तान में पालते हैं मछलियां

मछलियों को अत्यधिक पकड़ाजाना खाद्य सुरक्षा के लिए चिंता का विषय बन जाता है, वो भी ऐसे में जब मछली ही हजारों लोगों के लिए प्रोटीन का मुख्य जरिया हो। इजराइल में भी ऐसी समस्या थी। लेकिन अब इजराइल में अब कहीं भी मछलियां मिल जाती है। इसे संभव बनाया जीएफए (ग्रो फिश एनव्हेयर) के एडवांस्ड तकनीकी ने। इजरायल के जीरो डिस्चार्ज सिस्टम ने मछली पालन के लिए बिजली और मौसम की बाध्यता को खत्म कर दिया। बिजली और मौसम मछली पालन के लिए बड़ी समस्या बन रहे थे। इस तकनीकी में एक ऐसा टैंकर बनाया जाता है जिनपर इस समस्याओं का असर नहीं पड़ता। अमेरिका में इस तकनीकी का प्रयोग बड़ी संख्या में किया जा रहा है।

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