धान-गेहूं नहीं दलहन-तिलहन की खेती आज की मांग, सरकार 13.51 लाख किसानों को देगी मिनी बीज किट: कृषि मंत्री
गाँव कनेक्शन | Jun 03, 2021, 08:45 IST
केंद्र सरकार दहलन और तिहलन के 300 करोड़ रू. की लागत से 13.51 लाख मिनी किट 15 जून तक किसानों को वितरित करेगी। ये प्रयास दालों और तेल वाली फसलों की खेती की तरफ किसानों को आकर्षित करने के लिए किया जा रहा है।
नई दिल्ली। दलहन और तिलहन की तरफ किसानों को आकर्षित करने के लिए, देश को दलहन-तिहलन उत्पादन में आत्मनिर्भर करने के लिए केंद्र सरकार किसानों को 13.51 लाख मिनीकिट बीज वितरित करेगी। ये मिनी किट 15 जून से किसानों को मिलना शुरु हो जाएंगी। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि गेहूं-धान की खेती के बजाए दलहन-तिलहन की फसल उगाना आज की मांग है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, राज्यमंत्री पुरषोत्तम रूपाला और कैलाश चौधरी के साथ वर्चुअल रुप से तिलहन के बीज पाने वाले कुछ किसानों के साथ राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारियों के साथ वार्ता कर रहे थे।
साल 2020-21 में केंद्र सरकार ने करीब 2 लाख किट मुफ्त में बांटी थी, इऩ्हें पहले इस बार बढ़ाकर 20 लाख किया गया था लेकिन अब इऩकी संख्या 13.51 लाख पहुंच गई है।
वर्ष 2007-08 में 14.76 मिलियन टन के उत्पादन का आंकड़ा अब वर्ष 2020-2021 (दूसरा अग्रिम अनुमान) में 24.42 मिलियन टन तक पहुंच गया है जो कि 65 प्रतिशत की वृद्धि दिखाता है। कृषि मंत्रालय के बयान के अनुसार सरकार लगातार दालों के तहत नए क्षेत्रों को लाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, साथ ही यह सुनिश्चित करती है कि खेती के तहत मौजूदा क्षेत्रों में उत्पादकता में भी वृद्धि हो।
बुधवार 2 जून को दिल्ली स्थित कृषि भवन बैठक को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, "धान गेहूं की बजाए दलहन-तिलहन की ओर फसल डायवर्सिफिकेशन आज समय की मांग है। इसके लिए राज्यों के मजबूत संकल्प की जरूरत है। कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के ज्ञान को हर किसान के दरवाजे तक पहुंचाने की बात राज्य सरकारें ठान लें तो हम निकट भविष्य में आमूलचूल परिवर्तन कर सकते हैं।"
उन्होंने कहा कि दलहन व तिलहन के उत्पादन को बढ़ाकर इनमें देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर सरकार द्वारा विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसी सिलसिले में केंद्र सरकार का बीज मिनी किट कार्यक्रम दलहन तिलहन की नई किस्मों के अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों की आपूर्ति करके बीज प्रतिस्थापन अनुपात को बढ़ाने के लिए एक प्रमुख कार्यक्रम है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार के दूसरे कार्यकाल के दो साल पूरे होने के उपलक्ष्यए में केंद्र सरकार 300 करोड़ रूपए खर्च कर 15 जून तक 13.51 लाख मिनी किट मुफ्त वितरित करेगी।
कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि दलहन व तिलहन के उत्पादन को बढ़ाकर इस संबंध में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र ने राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श के बाद एक रोडमैप बनाया है। इस पर आगे चलते हुए निश्चित ही बहुत फायदा होगा और इनमें आत्मनिर्भर होने से आयात पर खर्च होने वाली बड़ी मुद्रा भी बच सकेगी, जो देश में विकास के अन्य कार्यों में उपयोग हो सकती है। रकबा बढ़ाने के लिए क्षेत्रों की पहचान की गई है व नई किस्मों के अवरोध को भी पार कर लिया गया है।
तोमर ने उम्मीद जताई कि केंद्र व राज्यों ने जो संकल्प किया है, हम इसमें उत्साही व परिश्रमी किसानों के साथ मिलकर अवश्य ही सफल होंगे।
तोमर ने कहा, "कृषि प्रधान हमारे देश में कृषि व ग्रामीण अर्थव्यवस्था बहुत बड़ी ताकत है, यह बढ़ती रहे तो निश्चित रूप से देश की बुनियाद को और मजबूत होने से कोई रोक नहीं सकता। इसीलिए, प्रधानमंत्री भी लगातार गांव-गरीब-किसान की स्थितियों में बदलाव लाने पर बल देते रहते हैं।"
कार्यक्रम में राज्य मंत्री रूपाला ने कहा कि उत्पादकता बढ़ाने में बीज बहुत अहमियत रखता है। उन्होंने विश्वास जताया कि बीज मिनी किट वितरण के माध्यम से दलहन-तिलहन के क्षेत्र व उत्पादकता बढ़ाने का लक्ष्य हासिल किया जा सकेगा। निगरानी तंत्र के माध्यम से यह कार्यक्रम निश्चित सफल होगा।
राज्य मंत्री चौधरी ने कहा कि किसानों में फसलों को लेकर काफी उत्साह दिखाई दे रहा है। किसानों की मेहनत, वैज्ञानिकों के योगदान तथा सरकार की नीतियों के निश्चय ही बहुत अच्छे परिणाम दिखाई देंगे और हम दलहन-तिलहन के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल कर सकेंगे।
कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने दलहन-तिलहन के संबंध में सरकार के ठोस प्रयासों की अगले 5 साल की रूपरेखा बताई। कृषि उत्पादन आयुक्त एस.के. मल्होत्रा व संयुक्त सचिव शुभा ठाकुर ने भी विचार रखें। केंद्र व राज्यों के कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी इस कार्यक्रम से वर्चुअल जुड़े थे।
जिन किसानों से मंत्रियों ने संवाद किया, उसमें- ओमप्रकाश पटेल (वाराणसी, उत्तर प्रदेश), रेखा राम (बाडमेर, राजस्थान), रमेशभाई बालूभाई कोडलिया (अमरेली, गुजरात), चंद्रकांत (हवेरी, कर्नाटक), मदन सिंह (मुरैना, मध्य प्रदेश) तथा उपेंदर सिंह (रीवा, मध्य प्रदेश)। शामिल थे।
एक जून तक सरकारी एजेंसियों ने एमएसपी पर 7,29,854.74 मीट्रिक टन दलहन और तिलहन खरीदा है। उपभोक्तान कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के बयान के अऩुसार प्रदेशों से मिले प्रस्ताव के आधार पर तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों से खरीफ विपणन सत्र 2020-21 एवं रबी विपणन सत्र 2021 तथा ग्रीष्म सत्र 2021 के लिए मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत 107.81 लाख मीट्रिक टन दलहन और तिलहन की खरीद को भी मंजूरी प्रदान की गई थी। खरीफ 2020-21 और रबी 2021 के तहत 01.06.2021 तक सरकार द्वारा अपनी नोडल एजेंसियों के माध्यम से 7,29,854.74 मीट्रिक टन मूंग, उड़द, तुअर, चना, मसूर, मूंगफली की फली, सरसों के बीज और सोयाबीन की खरीद एमएसपी मूल्यों पर की गई है। इस खरीद से तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा और राजस्थान के 4,32,323 किसानों को 3,818.78 करोड़ रुपये की आय हुई है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, राज्यमंत्री पुरषोत्तम रूपाला और कैलाश चौधरी के साथ वर्चुअल रुप से तिलहन के बीज पाने वाले कुछ किसानों के साथ राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारियों के साथ वार्ता कर रहे थे।
भारत में पिछले कुछ वर्षों में दलहन और तिलहन उत्पादन में प्रगति की है लेकिन अभी भी मांग की पूर्ति के लिए आयात करना पड़ रहा है। कृषि मंत्रालय के बयान के अऩुसार देश में दालों की मांग को पूरा करने के लिए भारत अब भी 4 लाख टन अरहर, 0.6 लाख टन मूंग और लगभग 3 लाख टन उड़द का आयात कर रहा है।
साल 2020-21 में केंद्र सरकार ने करीब 2 लाख किट मुफ्त में बांटी थी, इऩ्हें पहले इस बार बढ़ाकर 20 लाख किया गया था लेकिन अब इऩकी संख्या 13.51 लाख पहुंच गई है।
वर्ष 2007-08 में 14.76 मिलियन टन के उत्पादन का आंकड़ा अब वर्ष 2020-2021 (दूसरा अग्रिम अनुमान) में 24.42 मिलियन टन तक पहुंच गया है जो कि 65 प्रतिशत की वृद्धि दिखाता है। कृषि मंत्रालय के बयान के अनुसार सरकार लगातार दालों के तहत नए क्षेत्रों को लाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, साथ ही यह सुनिश्चित करती है कि खेती के तहत मौजूदा क्षेत्रों में उत्पादकता में भी वृद्धि हो।
बुधवार 2 जून को दिल्ली स्थित कृषि भवन बैठक को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, "धान गेहूं की बजाए दलहन-तिलहन की ओर फसल डायवर्सिफिकेशन आज समय की मांग है। इसके लिए राज्यों के मजबूत संकल्प की जरूरत है। कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के ज्ञान को हर किसान के दरवाजे तक पहुंचाने की बात राज्य सरकारें ठान लें तो हम निकट भविष्य में आमूलचूल परिवर्तन कर सकते हैं।"
उन्होंने कहा कि दलहन व तिलहन के उत्पादन को बढ़ाकर इनमें देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर सरकार द्वारा विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसी सिलसिले में केंद्र सरकार का बीज मिनी किट कार्यक्रम दलहन तिलहन की नई किस्मों के अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों की आपूर्ति करके बीज प्रतिस्थापन अनुपात को बढ़ाने के लिए एक प्रमुख कार्यक्रम है।
मोदी सरकार के 2 साल पूरे होने पर 300 करोड़ की 13.51 लाख किट होंगी वितरित
कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि दलहन व तिलहन के उत्पादन को बढ़ाकर इस संबंध में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र ने राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श के बाद एक रोडमैप बनाया है। इस पर आगे चलते हुए निश्चित ही बहुत फायदा होगा और इनमें आत्मनिर्भर होने से आयात पर खर्च होने वाली बड़ी मुद्रा भी बच सकेगी, जो देश में विकास के अन्य कार्यों में उपयोग हो सकती है। रकबा बढ़ाने के लिए क्षेत्रों की पहचान की गई है व नई किस्मों के अवरोध को भी पार कर लिया गया है।
तोमर ने उम्मीद जताई कि केंद्र व राज्यों ने जो संकल्प किया है, हम इसमें उत्साही व परिश्रमी किसानों के साथ मिलकर अवश्य ही सफल होंगे।
तोमर ने कहा, "कृषि प्रधान हमारे देश में कृषि व ग्रामीण अर्थव्यवस्था बहुत बड़ी ताकत है, यह बढ़ती रहे तो निश्चित रूप से देश की बुनियाद को और मजबूत होने से कोई रोक नहीं सकता। इसीलिए, प्रधानमंत्री भी लगातार गांव-गरीब-किसान की स्थितियों में बदलाव लाने पर बल देते रहते हैं।"
मिनी बीज किट से बढ़ेगा दलहल-तिलहन का रकबा- रुपाला
राज्य मंत्री चौधरी ने कहा कि किसानों में फसलों को लेकर काफी उत्साह दिखाई दे रहा है। किसानों की मेहनत, वैज्ञानिकों के योगदान तथा सरकार की नीतियों के निश्चय ही बहुत अच्छे परिणाम दिखाई देंगे और हम दलहन-तिलहन के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल कर सकेंगे।
कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने दलहन-तिलहन के संबंध में सरकार के ठोस प्रयासों की अगले 5 साल की रूपरेखा बताई। कृषि उत्पादन आयुक्त एस.के. मल्होत्रा व संयुक्त सचिव शुभा ठाकुर ने भी विचार रखें। केंद्र व राज्यों के कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी इस कार्यक्रम से वर्चुअल जुड़े थे।