ब्रिमैटो: वैज्ञानिकों ने विकसित की तकनीक, जिससे एक ही पौधे पर लगेंगे टमाटर और बैंगन

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी ने ग्राफ्टिंग की तकनीक से एक पौधे में टमाटर और बैंगन उगाने में सफलता पायी है।

Divendra SinghDivendra Singh   11 Oct 2021 8:13 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
ब्रिमैटो: वैज्ञानिकों ने विकसित की तकनीक, जिससे एक ही पौधे पर लगेंगे टमाटर और बैंगन

ग्राफ्टिंग के 60-70 दिन बाद पौधों में टमाटर और बैंगन दोनों लगते हैं। (Photo: @icarindia/Twitter)

अभी तक आपने टमाटर के पौधे में टमाटर और बैंगन के पौधे में बैंगन लगा देखा हो, लेकिन अब आपको कहीं एक ही पौधे में टमाटर और बैंगन दोनों लगे दिख जाएं तो हैरान मत होइएगा।

आईसीएआर- भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी के वैज्ञानिकों ने ऐसी एक तक तकनीक विकसित की है, जिसमें ग्राफ्टिंग के जरिए एक ही पौधे में दोनों सब्जियां उगती हैं।

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के सब्जी उत्पादन विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनंत बहादुर ने ग्राफ्टिंग की है, डॉ अनंत गांव कनेक्शन से बताते हैं, "बैंगन और टमाटर दोनों एक ही फैमिली के पौधे होते हैं और दोनों की अपनी अलग-अलग खासियतें होती हैं, जैसे कि बैंगन की फसल में अगर दो-चार दिन पानी भी भर जाए तो उसकी जड़ें नहीं गलती हैं, जिससे पौधा खराब नहीं होता है और अगर सूखे की स्थिति है तब भी फसल पर कोई खास असर नहीं पड़ता है।"

आईसीएआर- भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी के फार्म पर लगी सब्जियों का निरीक्षण करते निदेशक व वैज्ञानिक। (Photo: @icarindia/Twitter)

वो आगे कहते हैं, "इस पर हम लंबे समय से काम कर रहे थे, अभी तक एक ही तरह की सब्जियों की अलग-अलग किस्मों की ग्राफ्टिंग करते आ रहे थे, लेकिन हम अलग-अलग पौधों की ग्राफ्टिंग पर भी काम कर रहे थे, अभी तक टमाटर बैंगन की ग्राफ्टिंग पूरी तरह से सफल हुई है, जिसे हमने ब्रिमैटो (Brimato) नाम दिया है।"

ऐसे होती है ग्राफ्टिंग

बैंगन के पौधे जब 25-30 दिन और टमाटर के पौधे 22-25 दिन के हो जाते हैं, तब उनकी ग्राफ्टिंग की जाती है। इसमें नीचे बैंगन का रूटस्टॉक इस्तेमाल किया जाता है, उसके बाद उसमें टमाटर और बैंगन की एक दूसरी किस्म के पौधे की ग्राफ्टिंग की जाती है, इस तरह से एक ही पौधे में तीन किस्म के पौधे होते हैं, दो बैंगन के और एक टमाटर का।

ग्राफ्टिंग के बाद इस बातों का रखते हैं ध्यान

ग्राफ्टिंग के बाद पौधों के एक नियंत्रित वातावरण में रखा जाता है, जहां पर तापमान, लाइट और ह्युमीडिटी को नियंत्रित रखा जाता है, फिर उन्हें 5-7 दिनों के छाया में रखा जाता है। ग्राफ्टिंग ऑपरेशन के 15 से 18 दिनों के बाद ग्राफ्टेड पौधों को खेत में लगा दिया जाता है।


वैज्ञानिकों के अनुसार शुरूआत में वृद्धि दौरान बैंगन और टमाटर के पौधें संतुलित विकास को बनाए रखने के लिए सावधानी बरती गई। इसके अलावा, यदि ग्राफ्टिंग की गई जगह पर कोई परेशानी हुई तो इसे तुरंत ही हटा दिया गया।

कितना मिलता है उत्पादन

डॉ अनंत के अनुसार, अभी बड़े स्तर पर खेती करने पर काम चल रहा है। वो बताते हैं, "अगर टमाटर और बैंगन की अलग-अलग खेती देखें तो उस हिसाब से अभी इसमें कम उत्पादन मिलता है। पौधे लगाने के 60-70 दिन बाद टमाटर और बैंगन आने लगते हैं, जिसमें एक पौधे से लगभग 2.383 किलो ग्राम टमाटर और 2.64 किलो ग्राम बैंगन मिला था।"

वो आगे कहते हैं, "इस तकनीक से तैयार किए गए पौधे किचन और टैरेस गार्डेन के लिए सही हैं, क्योंकि आपको कम एरिया में दोनों सब्जियां मिल जाती हैं। लेकिन अभी बड़े स्तर पर खेती करने के लिए किसानों को उपलब्ध कराने के लिए रिसर्च चल रही है।"

संस्थान ने टमाटर और आलू की भी है ग्राफ्टिंग

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने इससे पहले आलू और टमाटर का भा ग्राफ्टेड पौधा तैयार किया है, जिसे पोमैटो (Pomato) नाम दिया है।

#icar iivr #tomato #story 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.