ये है खेती के डॉक्टर के नाम मशहूर अवतार सिंह का कम लागत में अधिक उत्पादन का फार्मूला

पंजाब के किसान अवतार सिंह को खेती का डॉक्टर कहते हैं। उन्होंने गन्ना और सब्ज़ियों की खेती का नया तरीका विकसित किया है, जिसमें किसान कम लागत में ज़्यादा उत्पादन ले सकता है।

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पंजाब के फगवाड़ा के अवतार सिंह किसानों के लिए किसी डॉक्टर से कम नहीं हैं।

खेती किसानी में किसी को कोई दिक्कत होती है तो चल देता है अपने इस डॉक्टर से मिलने। और हाँ, सिर्फ पंजाब के किसान यहाँ आते हैं ऐसा नहीं है। अलग-अलग राज्यों से मीलों का सफ़र तय कर उन तक पहुँचने वालों की लिस्ट भी बड़ी है।

आखिर ऐसा क्या है अवतार सिंह में? दअसल उनके पास खेती के वो गुण हैं जो उन्होंने अपने अनुभव से सीखा है। बस वही वो जरुरतमंद किसान भाइयों से साझा कर देते हैं।

अवतार सिंह का कहना है कि उनके पास खेती से जुड़े कुछ ऐसे मंत्र हैं जिन्हें अपनाकर किसान भाई न केवल अपनी लागत कम कर सकते हैं बल्कि उत्पादन भी कई गुना बढ़ा सकते हैं। है न कमाल की बात।

अवतार सिंह कहते हैं "हम चाहते थे जो नेचर का सिस्टम है, उसी के हिसाब से नेचर चले और रासायनिक खेती को दरकिनार करें, क्योंकि रासायनिक खेती हमारे समाज के साथ ही हमारे जीवन को भी बहुत से मुश्किलों में डालने वाला है।"

वे कहते हैं,"एग्रीकल्चर में आने के बाद से हमने सबसे पहले साइंस पढ़ी थी, जैसे बॉटनी, बायोलॉजी वगैरह जो हम देखते आ रहे थे। धीरे-धीरे हमने स्टडी किया जीवन का आधार क्या है, अग्नि, हवा, पानी, धरती और आकाश पाँच तत्वों का मेल क्या है? ये भगवान से ही तो मिलकर बना है। अगर हम इसको जोड़ेंगे तो भ से भूमि-धरती, ग से गगन-आकाश, वा से वायु, अ अग्नि-सूर्य, न से नीर-पानी। हम किसान हैं और हमारा संबंध खेती से और कृषि वनस्पति है। वनस्पति क्या है? जीवन है।"


वो समझाते हुए कहते हैं, "अग्नि हमें सूरज से मिलेगी, अगर कृषि वैज्ञानिक हमसे कहें कि सिलिंडर में भर के कॉर्बन डाई ऑक्साइड फसलों में दें तो ये कभी नहीं हो सकता है। उसके आगे आ जाएगी भूमि, जिसे हम धरती माता कहते हैं, क्योंकि माता पूरन पालनहार है, सबका पोषण करती है। इसमें वो सब कुछ मिलेगा जो फसलों को चाहिए। अब हम आते हैं चौथे तत्व पर जो पानी है, ये कृषि में एक अटल सत्य है। ये जितना ज़रूरी है उतना ही नुकसानदेय भी है। खेती में पानी की ज़रूरत नहीं है, बस नमी की ज़रूरत होती है।"

उनके मुताबिक किसान को समझना होगा कि खेत को जितने पानी की ज़रूरत है, उतना ही दें । पानी तने को नहीं छूना चाहिए, पानी बस मिट्टी तक रहना चाहिए।

अवतार सिंह कहते हैं, "जो कृषि है वो नेचुरल है बढ़ता रहता है, जितना हम प्रकृति का सहयोग करें, खेती उतनी ही बढ़िया होगी। हम गन्ना काटते हैं और उसको लिटाकर रख देते हैं, जिसे प्रकृति ने सीधा खड़ा किया है उसे हम नीचे लिटा रहे हैं, प्रकृति का हमें सहयोग करना होगा, न कि उसके विपरीत जाना होगा।"

वो आगे कहते हैं,"जिनता हम सहयोग करेंगे खेती उतनी ही अच्छी होगी, जैसे कि कोई फ़सल है अगर उसकी सीधी बुवाई करेंगे, तो अच्छी वृद्धि होगी, उतनी अच्छी क्वालिटी के साथ क्वांटिटी भी अच्छी होगी। जो नेचर है वो किसी भी पौधे को उखाड़कर आगे पीछे नहीं करती है, सिर्फ बीज को आगे पीछे करती है। उसके बहुत से तरीके हैं, हवा से होती है, पानी से होती है पक्षियों से होती है। जहाँ बीज गिरता है, वहीं पर उगता है, वहीं पर अपनी लाइफ साइकल को पूरा करता है।"

उनके अनुसार हम किसी पौधे को जब उखाड़ कर लगाते हैं तो हम उसे मूल से उखाड़कर देते हैं। फिर प्रकृति मेहरबानी करती है उसे आगे चला देती है।

अवतार सिंह कहते हैं, "कोई भी कृषि वैज्ञानिक ये नहीं कह सकता है कि जो बीज से बुवाई करते हैं उसकी फसल की क्वालिटी कम होती है ।"

अवतार सिंह अब किसानों को नेचुरल खेती की नसीहत देते हैं। वो बताते हैं कि इससे आपकी फसल और आमदनी दोनों कैसे बेहतर हो सकती है।

उन्होंने गाँव कनेक्शन को बताया," हम सोशल मीडिया और मीडिया का सहारा लेकर इसे आगे बढ़ा रहे हैं, अब तो बहुत से लोग हमसे जुड़ चुके हैं। हम उन्हें कुदरती खेती के बारे में बताते हैं, वो इस तरीके को अपना भी रहे हैं।"

KisaanConnection #Natural farming 

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