एक गाय से की थी डेयरी फार्म की शुरुआत, अब है लाखों में कमाई

कश्मीर के अनंतनाग के एक गाँव में डेयरी फार्म चलाने वाली मसरत जान खांडे की दूध उत्पादन से हर महीने एक लाख तक की आमदनी हो जाती है, यही नहीं अब उनसे सेब के बाग मालिकों को गोबर खाद भी आसानी से मिल जाती है।

Junaid Manzoor DarJunaid Manzoor Dar   16 Aug 2023 9:47 AM GMT

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एक गाय से की थी डेयरी फार्म की शुरुआत, अब है लाखों में कमाई

साल 2017 में जब मसरत जान ने अपनी पहली गाय खरीदी, तो उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि इससे उनकी ज़िंदगी बदल जाएगी।

आज, दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के शिपोरा लरकीपोरा गाँव के 40 वर्षीय मसरत के पास दस गायों का एक डेयरी फार्म है और उनकी मासिक आय लगभग 100,000 रुपये है। वह हर साल लगभग 3,000 रुपये प्रति ट्रैक्टर की लागत से स्थानीय किसानों को 50 ट्रैक्टर गोबर गाद भी बेचती हैं।

'गृहिणी' से, मसरत जान अब कश्मीर में एक सफल डेयरी उद्यमी हैं, जो अपने गाँव से खांडे डेयरी फार्म चलाती हैं।

जम्मू-कश्मीर की जीडीपी में कृषि का योगदान 16 प्रतिशत से अधिक है, जिसमें से 35 प्रतिशत योगदान डेयरी क्षेत्र का है। मसरत जान जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बड़ी संख्या में लोग अपनी आजीविका के लिए डेयरी और पशुधन पर निर्भर हैं।

अपना डेयरी फार्म शुरू करने से पहले, मसरत जान अपने परिवार के लिए बाहर से दूध खरीदती थीं, तभी उनके दिमाग में आया कि अगर उनके पास अपनी गाय होती तो यह न केवल उनके परिवार की ज़रूरतें पूरी करती, बल्कि अगर वह दूध बेचती भी तो शायद थोड़ी आय भी हो जाती।


“मैंने 17,000 रुपये में एक गाय खरीदी, जिससे मुझे हर दिन दो लीटर दूध मिलता था। यह मेरे परिवार के लिए काफी था। '' 13 साल के बेटे और 7 साल की बेटी की माँ ने गाँव कनेक्शन को बताया।

जैसे-जैसे समय बीतता गया उन्होंने डेयरी फार्मिंग से अपनी ज़िंदगी को आर्थिक रूप से बदलने के साधन के रूप में संभावनाएँ देखीं। उनके पति, शब्बीर अहमद खांडे, अपने गाँव में एक थोक दुकान चलाते थे।

बेहतर कमाई के लिए, उन्होंने अधिक दूध देने वाली गाय में निवेश करने का फैसला किया और अपने पति को इसमें निवेश करने के लिए मना लिया।

“यह मेरे लिए सीखने के अनुभव की शुरुआत थी। मैंने अपनी पहली गाय 25,000 रुपये में बेची और 40,000 रुपये में अधिक दूध देने वाली गाय खरीदी, जो दिन में लगभग 10 लीटर दूध देती थी। " मसरत जान ने कहा।

यहीं से बदलाव की शुरूआत हुई अपने परिवार की जरूरतों के लिए हर रोज़ दो लीटर दूध अलग रखते हुए, उन्होंने स्थानीय ग्रामीणों को आठ लीटर दूध बेचना शुरू कर दिया।

जल्द ही, वह अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए तैयार थी। “दूध बेचकर जो पैसे मैंने बचाए थे, उससे मैंने 50,000 रुपये में एक और गाय खरीदी। मैंने उसकी बहुत देखभाल की और उसे बढ़िया चारा, कैल्शियम और घास खिलाई, और गाय उसे हर दिन 20 लीटर दूध देती थी। '' मसर्रत जान ने कहा।


“मेरे फार्म की हर गाय मेरे लिए परिवार की तरह है। मैं उनकी अच्छी तरह से देखभाल करती हूँ। " उन्होंने आगे बताया।

मसरत जान की कड़ी मेहनत ने उन्हें अपने डेयरी व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए पशुपालन विभाग से वित्तीय सहायता प्राप्त करने में मदद की।

जुलाई 2020 में, एकीकृत डेयरी विकास योजना (आईडीडीएस) ने जम्मू-कश्मीर में ग्रामीण लोगों को छोटे डेयरी फार्म स्थापित करने में मदद के लिए एक पहल शुरू की। इस योजना के तहत, एक पुरुष लाभार्थी को 1.75 लाख रुपये की सब्सिडी मिल सकती है, जबकि एक महिला या अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति को पाँच गायों की डेयरी फार्मिंग इकाई स्थापित करने के लिए 2 लाख रुपये मिल सकते हैं। कोई व्यक्ति कई इकाइयों के लिए भी सब्सिडी का लाभ उठा सकता है।

"हमें इस योजना के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, जबकि हमारे फार्म में पहले से ही पाँच गायें थीं। जब पशुपालन विभाग के डॉ. सोहेल अहमद बेग ने हमसे संपर्क किया और योजना के फायदे बताए, तभी हमें एहसास हुआ कि हम क्या खो रहे हैं। " मसरत के पति शब्बीर अहमद खांडे ने गाँव कनेक्शन को बताया।

मसरत और शब्बीर 2021 में अनंतनाग में पशुपालन कार्यालय गए और अपने डेयरी फार्म के लिए दो लाख रुपये की सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए सभी औपचारिकताएँ पूरी कीं।

उनकी तरह, इस योजना ने कई किसानों को अपना डेयरी व्यवसाय शुरू करने में मदद की है। पशुपालन विभाग, कश्मीर के अनुसार, अप्रैल 2020 से मार्च 2023 तक, आईडीडीएस के तहत कश्मीर क्षेत्र में कुल 3,147 डेयरी इकाइयां स्थापित की गईं, जबकि इसी अवधि के दौरान 3,948.76 लाख रुपये की सब्सिडी वितरित की गई।

इस साल की शुरुआत में, आईडीडीएस ने मसर्रत को 450,000 रुपये की विशेष रूप से डिजाइन की गई वैन की खरीद पर 175,000 रुपये की एक और सब्सिडी प्रदान की। वैन दूध के सुचारू परिवहन को सुविधाजनक बनाने में मदद करती है, जिससे उसका संचालन अधिक कुशल और ग्राहकों के लिए सुलभ हो जाता है।

सरकार ने उन्हें पंजाब से छह अधिक दूध देने वाली गायें खरीदने के लिए 240,000 रुपये की एक और सब्सिडी भी दी, जिसके लिए उन्होंने 6 लाख रुपये खर्च किए हैं।

खांडे ने कहा, "सरकार की ओर से सब्सिडी से हमें अपनी पत्नी के सपने का विस्तार करने और उसमें निवेश करने के लिए ज़रूरी आर्थिक सहायता मिली। हम अपने जैसे लघु उद्यमियों में सरकार के प्रोत्साहन और विश्वास के लिए आभारी हैं।"

मसरत जान के डेयरी फार्म ने स्थानीय निवासियों का ध्यान आकर्षित किया है।

''खांडे डेयरी फार्म का दूध शुद्ध और स्वाद में भी बेहतर है। '' जहाँगीर, जो मसरत के डेयरी फार्म से दूध खरीदते हैं, ने गाँव कनेक्शन को बताया। उनके अन्य ग्राहक, जैसे फैसल अहमद और एम यूसुफ, ने भी उसके फार्म से आने वाले दूध की गुणवत्ता के बारे में बहुत बात की।

फैसल ने कहा, "मुझे यह जानकर अच्छा महसूस होता है कि मैं अपने परिवार को उच्च गुणवत्ता वाला और पौष्टिक उत्पाद दे रहा हूँ।"

मसरत जान का डेयरी फार्म स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है और उसके समुदाय के कई लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहा है।

“मैं हर साल लगभग 50 ट्रैक्टर गोबर बेचती हूँ जो मुझे अपने डेयरी फार्म से मिलता है, प्रति ट्रैक्टर लगभग 3,000 रुपये की लागत पर। इससे कृषि उत्पादन, विशेषकर सेब और अन्य फसलों की खेती में वृद्धि में सहायता मिलती है। मेरे डेयरी फार्म से निकलने वाले गोबर से स्थानीय किसानों को फायदा हो रहा है जो इसे जैविक खाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं, ''उन्होंने कहा।

उन्होंने दो व्यक्तियों को 10,000 रुपये मासिक वेतन पर भी नियुक्त किया है।

वर्तमान में, उनके डेयरी फार्म से हर रोज़ 115 लीटर दूध का उत्पादन होता है, जिससे लगभग एक लाख रुपये मासिक आय होती है। दूध 35 रुपये लीटर बिकता है।

मसरत को उम्मीद थी कि वह आने वाले समय में अपने डेयरी फार्म द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले दूध के लिए अधिक कीमत प्राप्त कर सकेगी।

श्रीनगर में पशुपालन विभाग के एक अधिकारी डॉ बुरहान ने सुझाव दिया कि मसरत जान जैसे डेयरी किसानों को अपने दूध की अधिक कीमत पाने के लिए अपने संबंधित क्षेत्रों में दूध सहकारी समितियाँ बनानी चाहिए।

मसरत जान भी ऐसा ही करना चाहती हैं। उन्होंने कहा, "हमारी यात्रा चुनौतियों से भरी रही है, लेकिन सरकार के समर्थन से, हमें विश्वास है कि हम अपने रास्ते में आने वाली किसी भी चीज़ पर काबू पा सकते हैं।"

इस बीच, उनके पति खांडे ने उनके साथ खड़े रहने का वादा किया है। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, "मुझे उसके साथ खड़े होने पर गर्व है क्योंकि वह अपने व्यवसाय में नई ऊँचाइयों को छू रही हैं।"

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