लगातार बढ़ते तापमान और कोहरा न पड़ने से गेहूं के उत्पादन पर पड़ सकता है असर
Divendra Singh | Jan 12, 2019, 11:10 IST
लखनऊ। दिसम्बर से जनवरी महीने में गेहूं की फसल के लिए ठंड बहुत जरूरी होती है, लेकिन इस बार तापमान बढ़ने और कोहरा न पड़ने गेहूं के उत्पादन पर असर पड़ सकता है।
दिसम्बर और जनवरी महीने में कड़ाके की ठंड पड़ती है। गेहूं की फसल में ठंड से ही पौधों और दानों में वृद्धि होती है। इस बार दिन का तापमान बढ़ा है। रात के तापमान में ही गिरावट आई है। सबसे अच्छा गेहूं बढ़ते समय नम और ठंडा और पकते समय शुष्क और गर्म मौसम में पैदा होता है। गर्म मौसम दानों के ठीक से पकने में मदद करता है। बढ़ते समय और बाली निकलने के दौरान जरूरत से ज्यादा उच्च तापमान या सूखे की स्थिति गेहूं के लिए नुकसानदायक हो जाती हैं।
दिसम्बर और जनवरी में दिन के तापमान में काफी बढ़ोत्तरी रही है। 22 डिग्री सेल्सियस तक दिन का तापमान पहुंचा है। वहीं रात का तापमान 3 डिग्री तक रहा है। दिन और रात के तापमान में काफी असमानता रही है। इन दोनों खेतियों में कम तापमान काफी अच्छा रहता है। दिन का तापमान बढ़ने से इन फसलों को नुकसान होने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती है। दिन की धूप काफी नुकसानदेय है
प्रो. हर ज्ञान प्रकाश आगे कहते हैं, "तापमान की वृद्धि से गेहूं की फसल पर तो असर पड़ेगा, लेकिन मटर, आलू, सरसों जैसी फसलों के लिए ये फायदेमंद है। तापमान बढ़ने से सरसों में कीट नहीं लगेंगे।"
आमतौर पर गेहूं की विभिन्न प्रजातियों की लंबाई 80 से 130 सेमी तक होती है और ये प्रजातियां 90 से 145 दिनों में तैयार होती हैं। अगेती किस्म के गेहूं में भी जनवरी के आखिरी सप्ताह से लेकर फरवरी के प्रथम सप्ताह तक बालियां निकलती हैं।
दिसम्बर और जनवरी महीने में कड़ाके की ठंड पड़ती है। गेहूं की फसल में ठंड से ही पौधों और दानों में वृद्धि होती है। इस बार दिन का तापमान बढ़ा है। रात के तापमान में ही गिरावट आई है। सबसे अच्छा गेहूं बढ़ते समय नम और ठंडा और पकते समय शुष्क और गर्म मौसम में पैदा होता है। गर्म मौसम दानों के ठीक से पकने में मदद करता है। बढ़ते समय और बाली निकलने के दौरान जरूरत से ज्यादा उच्च तापमान या सूखे की स्थिति गेहूं के लिए नुकसानदायक हो जाती हैं।
दिसम्बर और जनवरी में दिन के तापमान में काफी बढ़ोत्तरी रही है। 22 डिग्री सेल्सियस तक दिन का तापमान पहुंचा है। वहीं रात का तापमान 3 डिग्री तक रहा है। दिन और रात के तापमान में काफी असमानता रही है। इन दोनों खेतियों में कम तापमान काफी अच्छा रहता है। दिन का तापमान बढ़ने से इन फसलों को नुकसान होने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती है। दिन की धूप काफी नुकसानदेय है
प्रो. हर ज्ञान प्रकाश आगे कहते हैं, "तापमान की वृद्धि से गेहूं की फसल पर तो असर पड़ेगा, लेकिन मटर, आलू, सरसों जैसी फसलों के लिए ये फायदेमंद है। तापमान बढ़ने से सरसों में कीट नहीं लगेंगे।"
आमतौर पर गेहूं की विभिन्न प्रजातियों की लंबाई 80 से 130 सेमी तक होती है और ये प्रजातियां 90 से 145 दिनों में तैयार होती हैं। अगेती किस्म के गेहूं में भी जनवरी के आखिरी सप्ताह से लेकर फरवरी के प्रथम सप्ताह तक बालियां निकलती हैं।