किसान सीख सकेंगे इज़रायली तकनीक

गाँव कनेक्शन | Feb 13, 2017, 11:31 IST

सुधा पाल

लखनऊ। देश के कई किसान अभी भी खेती और उससे जुड़ी विभिन्न तकनीकों की सही जानकारी न होने की वजह से उन्नत खेती से दूर हैं। किसानों को आधुनिक खेती और संबंधित तकनीकों से अवगत कराने के लिए प्रदेश के कन्नौज और बस्ती जिले में ‘सेंटर ऑफ ऐक्सीलेंस’ बनाया गया है। इन केंद्रों पर इज़रायल के वैज्ञानिकों की ओर से खेती की नई तकनीक सिखाई जाएगी। इसके साथ ही केंद्र में बनाई गई प्रयोगशाला में बीजों की गुणवत्ता सुधार कर किसानों को कम दामों में उपलब्ध कराया जाएगा।

उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, यूपी के निदेशक एसपी जोशी बताते हैं, “किसानों की सुविधा और उनके बेहतर उत्पादन के लिए ये केंद्र बनाए गए हैं। यहां पर किसान खेती से जुड़ी हर तरह की जानकारी हमारे विशेषज्ञों से ले सकता है।” कम लागत में किस तरह किसान अपनी फसलों से अच्छा और बेहतर उत्पादन ले सकते हैं, इसके लिए ये केन्द्र तैयार किए गए हैं। कन्नौज में बने केन्द्र पर किसानों को जहां सब्जियों के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा वहीं बस्ती में तैयार हुए केंद्र पर फलों का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

एसपी जोशी, निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, यूपी

किसानों के साथ अलग-अलग राज्यों के कृषि विभाग से जुड़े अधिकारी भी इस प्रशिक्षण में भाग लेंगे। खेती की बारीकियों को समझकर देशभर से आए ये अधिकारी अपने-अपने जनपदों और प्रदेशों में जाकर वहीं के किसानों से इन नई तकनीकों को साझा करेंगे।

अन्य प्रदेशों से आए किसानों के लिए है रुकने की व्यवस्था

अन्य जिलों और प्रदेश से आए किसानों को प्रशिक्षण के दौरान भटकना न पड़े, इसके लिए भी विभाग की ओर से किसानों को पूरी सहूलियत दी गई है। उनके रहने और खाने के लिए हॉस्टल बनाए गए हैं जो केवल किसानों को लिए ही उपलब्ध हैं। एक हॉस्टल में लगभग 50 किसान आसानी से रह सकते हैं। उनके लिए खाने की भी पूरी तैयारी विभाग की ओर से ही की जाएगी।

साल भर किसानों को दिया जाएगा प्रशिक्षण

जिला उद्यान अधिकारी मुन्ना यादव का कहना है, “पूरे साल तक किसानों को इस तरह का प्रशिक्षण दिया जाएगा। एक हफ्ते में किसानों का एक बैच प्रशिक्षण में शामिल होगा, जिसमें 30 से 35 किसान भाग लेंगे। इसके बाद दूसरे हफ्ते के बैच में फिर इतने ही किसान शामिल होंगे।”

बीजों की सुधारी जाएगी गुणवत्ता

कन्नौज जिले के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के जिला उद्यान अधिकारी मुन्ना यादव ने बताया, “इन केन्द्रों में प्रयोगशाला भी बनाई गई है। दोनों केन्द्र 10-10 करोड़ रुपए में बनाए गए हैं। किसानों को यह भी करके दिखाया जाएगा कि किस तरह से पौधों और बीजों को सही तरह से लगाया जाए और उनकी देखरेख कैसे की जाए। प्रयोगशाला में बीजों की प्रोसेसिंग की जाएगी, जिससे किसानों को उन्न्त किस्म के बीज मिल सके और उनके फसलों की गुणवत्ता में सुधार के साथ उत्पादन भी अच्छा हो।”

उन्होंने बताया कि 10 कुंतल तक के बीजों को प्रसंस्करण के जरिए 100 कुंतल तक बनाया जाएगा। प्रयोगशाला में प्रसंस्करण के दौरान न्यूक्लियर बीजों से ब्रीडर बीज तैयार किए जाएंगे, जिनसे फाउण्डेशन बीज बनेंगे और बाद इन फाउण्डेशन बीजों से प्रमाणित बीज तैयार होंगे। इस तरह बीजों पर काम करने के बाद ही केवल अच्छी गुणवत्ता के बीज किसानों को दिए जाएंगे। किसानों को बेचने के लिए फाउण्डेशन बीजों का उपयोग किया जाएगा।

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