जैविक खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे बुंदेलखंड के किसान

Mithilesh Dhar | Mar 06, 2018, 15:54 IST

उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड। ये नाम सुनते ही किसानों की बदहाली हमारे सामने आ जाती है। सूखे और पलायन की खबरें गूंजने लगती हैं। लेकिन अब उसी बुंदेलखंड में एक संगठन जैविक खेती को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। संगठन के लोग किसानों को जागरूक कर रहे हैं। संगठन का दावा है कि उनके इस प्रयास का लाभ भी किसानों को मिल रहा है और अब वहां के खेतों में भी हरियाली दिखाई दे रही है, जिससे किसानों के चेहरे भी खिले हुए हैं।

गैर सरकारी संगठन 'सतत संपदा' की ओर से बुंदेलखंड के बांदा, ललितपुर, महोबा और झांसी जिले में अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से किसानों को ऑर्गेनिक खेती करने और उसके फायदे के बारे में जानकारी दे रहा है। इन इलाकों में डेढ़ साल पहले ही खेती करने के नाम से ही किसान बिदक जाते थे, अब वहां के पलायन कर चुके लोग भी बुंदेलखंड वापस आ रहे हैं।

संस्था की कोऑर्डिनेटर ज्योति अवस्थी ने गाँव कनेक्शन को बताया "बुंदेलखंड के इन इलाकों में रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों का प्रयोग कर किसान ऑर्गेनिक खेती करने में जुटे हुए हैं। इसका फायदा किसानों और उपभक्ताओं को मिल रहा है। हम किसानों को जागरूक कर रहे हैं। शुरू में किसानों के सामने सबसे बड़ी ये थी कि वे उपनी सब्जियां या उपज बेचेंगे कहां। हमने इस समस्या का भी समाधान ढूंढ लिया। गाजियाबाद में हमने एक बाजार बना रखा है। जहां केवल ऑर्गेनिक सब्जियां ही मिलती हैं।"

ज्योति के मुताबिक डेढ़ साल पहले एक दो किसानों के साथ मिलकर ही संस्था की तरफ से ऑर्गेनिक खेती कराई गई थी, लेकिन अब इस मुहिम में 200 से अधिक किसान शामिल हो चुके हैं। संस्था के मुताबिक, "आर्गेनिक खेती की मुहिम से जुड़ने के बाद किसानो को फसल उगाने की लागत से जहां 70 फीसदी तक की कमी आई है, वहीं आय में भी वृद्धि हुई है। हम उत्तराखंड में भी जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं और वहां के किसानों से उपज भी खरीद रहे हैं।"

दरअसल, सतत संपदा से जुड़े कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर किसानों को ऑर्गेनिक खेती करने के लिए प्रोत्साति करते हैं। ऑर्गेनिक खेती से पैदा होने वाली सब्जियां एवं फलों को बुंदेलखंड से सीधे नोएडा और गाजियाबाद भेजे जाने में भी यह समूह किसानों की मदद करता है। इससे किसानों को भी अपनी उपज का उचित लाभ मिल जाता है।

ऑर्गेनिक खेती के बारे में ज्योति ने बताया कि रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों, खर पतवार की जगह कम्पोस्ट, हरी खाद, बैक्टिरिया कल्वर जैविक खाद जैसे बायो पेस्टिसाइड का इस्तेमाल किया जाता है। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है और किसानों की लागत घटने के साथ ही उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ती है।

महोबा के किसान नरेश पटेल भी ऑर्गेनिक खेती से खुश हैं। उन्होंने कहा कि ऑर्गेनिक खेती से वाकई किसानों को फायदा हो रहा है। संस्थान की तरफ से किसानों की काफी मदद की जा रही है। किसान भी अपने खेतों में लहलहाती फसल और उपज का उचित मूल्य मिलने से काफी खुश हैं।

Tags:
  • ‍Bundelkhand
  • organic farming in bundelkhand