नौ वर्षों से नहीं खरीदी बाजार से सब्जी, छत पर उगा रहे सब्जियां

Diti Bajpai | Dec 16, 2017, 14:51 IST
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शहरों में रहने वाले लोग इस बात को लेकर परेशान रहते हैं कि कैसे अपने घर में हरी सब्जियां उगाएं, लेकिन महेन्द्र सचान ने ऐसी तरकीब निकाली है, जिससे अपने घर में सब्जियां उगा रहे हैं।


पिछले नौ वर्षों से महेंद्र सचान ने बाजार से कोई सब्जी नहीं खरीदी, क्योंकि वो घर की छत पर ही जैविक सब्जियों को उगाकर उसका उपयोग करते है। लखनऊ के मुंशीपुलिया इलाके में रहने वाले महेंद्र ने 600 स्कवायर फीट की छत पर सेम, पालक, लौकी, बैंगन, पत्तागोभी, मूली समेत कई सब्जियां लगा रखी है। महेंद्र बताते हैं, “वर्ष 2008 में मैंने छत पर बागवानी शुरु की थी। पहले कुछ ही सब्जियां थी। धीरे-धीरे मौसम के हिसाब सब्जियां उगाने लगे। आज हम 20 वैराइटी की सब्जियां उगा रहे हैं।”

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किचन के वेस्ट मटेरियल से तैयारकरते है खाद। महेंद्र की छत पर लगी सब्जियों में कोई मंहगी चीज़ों का प्रयोग नहीं हुआ है। डिब्बें, टोकरियों बड़े गमलों में उन्होंने सब्जियों को लगा रखा है। छत पर बागवानी के फायदे के बारे में महेंद्र बताते हैं, “आजकल बाजारों में जैविक सब्जियों के दाम दिन पर दिन बढ़ते जा रहे है। घर में सब्जियां उगाने से पैसे की तो बचत होती है साथ ही शुद् सब्जी मिलती है।”

महेंद्र ने अपनी छत पर बैंगन, पत्तागोभी, मूलीसमेत कई सब्जियां लगा रखी है। खेतों में सब्जियों की पैदावार में किए जाने वाले रासायनिक खाद और कीटनाशकों के प्रयोग से कई तरह की बीमरियां हो रही है। ऐसे में किचन गार्डन का चलन बढ़ है। छत पर बागवानी के बढ़ते चलन के बारे में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग उत्तर प्रदेश की शाक प्रसार अधिकारी गीता त्रिवेदी बताती हैं, “कई लोग ऐसे है जो घर पर ही जैविक सब्जियां उगा रहे हैं और खुद की जरुरते पूरी कर रहे हैं। इसके लिए अब कई ऐसी कंपनी भी आ गई जो घर-घर जाकर पूरा सेटअप करती है। विभाग द्वारा भी अगर कोई किचन गार्डन को बनाने के लिए जानकारी चाहता है तो उसे दी जाती है। जो लोग इसे कर रहे यह उनका अच्छा प्रयास है।”

घर में कर सकते है किचन गार्डन, हर्बलगार्डन व और्नामेंटल गार्डन। महेंद्र सब्जियों कोई भी रासायनिक खाद व कीटनाशक का प्रयोग नहीं करते हैं बल्कि किचन के वेस्ट मटेरियल से खाद तैयार करके सब्जियां तैयार करते हैं। “रोजाना किचन से निकलने वाला वेस्ट हम इकट्ठा करते हैं और उसको खाद बनाकर सब्जियों में डालते हैं। इतनी सब्जी होती है कि आस-पास के लोग भी खाते हैं।” महेंद्र ने बताया, “इसकी एक और खासियत भी है। अगर घर की छत पर बागवानी है तो घर गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गर्म रहता है।”

घर की छत पर बागवानी करेने का बढ़ रहा चलन। यह भी पढ़ें- किचन गार्डन: आपका अपना क्लीनिक

दिन प्रतिदिन बढ़ रही मंहगाई को देखते हुए घर की छतों पर लोग सब्जियां उगाने में रुचि लेने लगे हैं। घर-घर में किचन गार्डन, हर्बल गार्डन व और्नामेंटल गार्डन को सेटअप करने के लिए काम कर रही वेगे फ्लोरा इंटरनेशनल कंपनी के सलाहकार एच. के प्रसाद बताते हैं, “लखनऊ शहर में मैंने अभी तक 45 घरों में किचन गार्डन हर्बल गार्डन व और्नामेंटल गार्डन को सेटअप किया है। साथ ही छतों पर बागवानी कैसे की जाए इसकी पूरी जानकारी दी जाती है।”

अपनी बात को जारी रखते हुए प्रसाद आगे बताते हैं, "जहां-जहां कृषि मेला लगता है। हम वहां-वहां अपना स्टॉल लगाते है। अभी हमारे पास सब्जियों और फलों की 100 तरह की वैराइटी हमारे पास है। शहरी लोग इसको लगातार अपना रहे हैं।

प्रतिदिन बढ़ रहा छत पर बागवानी का चलन।

आप भी शुरू कर सकते हैं छत पर बागवानी

  • घर के पिछले हिस्से में ऐसी जगह का चुनाव करें जहां सूरज की रोशनी पहुंचती हो। क्योंकि सूरज की रोशनी से ही पौधे का विकास संभव है। पौधों को रोज 5-6 घंटे सूरज की रोशनी मिलना बहुत जरूरी होता है। इसलिए अपना गार्डन छांव वाले जगह पर न बनाएं।
  • यह जान ले कि किचन गार्डन की मिट्टी में पानी की पर्याप्त मात्रा है। साथ ही नियमित रूप से पानी निकास की भी व्यवस्था है क्योंकि बहुत ज्यादा या बहुत कम पानी पौधों के लिए नुकसानदायक होता है।
  • मिट्टी को अच्छे से तैयार कर लें। मिट्टी में अगर पत्थर हो तो उसे हटा लें। साथ ही मिट्टी में खाद आदि भी मिलाएं।
  • ऐसे फलों और सब्जियों का चुनाव करें जिसे आप सबसे पहले उगाना चाहते हैं। पौधे का चुनाव करते समय मिट्टी, जलवायु और उनके प्रतिदिन की जरूरतों का ध्यान जरूर रखें।
  • पौधो को देखते हुए ही गार्डन तैयार करे। इसे आपके गार्डन का रखरखाव भी आसान होगा और गार्डन व्यवस्थित दिखेगा।
  • आपके पौधों को शुरुआती दौर में बहुत अधिक पालन-पोषण की जरूरत पड़ेगी। आपको पौधे के अनुसार ही उन्हें पोषक तत्व देना चाहिए।
  • पौधों को नियमित पानी देना बेहद जरूरी है। खासकर पौधा जब छोटा होता है तो उसे पानी की की खास जरूरत होती है, क्योंकि उनकी जड़ें इतनी गहरी नहीं होती है कि मिट्टी से पानी सोख सकें।
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