रेडी टू फ्रूट बैग की मदद से गर्मियों में घर पर उगाएं दूधिया मशरूम
Divendra Singh | May 13, 2019, 12:51 IST
लखनऊ। पिछले कुछ वर्षों में मशरूम का बाजार तेजी से बढ़ा है, ऐसे में अगर लोगों को घर में ही आसानी से मशरूम उगाने का सही तरीका मिल जाए तो और भी लोग मशरूम उगा सकते हैं।
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान ने दूधिया मशरूम की रेडी टू फ्रूट बैग तकनीकी संस्थान ने विकसित की है जिससे इसकी खेती आसान हो जाए। संस्थान ने एक दिवसीय कार्यशाला में दूधिया मशरूम के रेडी टू फ्रूट बैग उपलब्ध कराएं और जानकारी भी दी की इन बैग से मशरूम की अच्छी उपज कैसे लें।
मशरूम उत्पादन धीरे-धीरे लोकप्रिय होते जा रहा है लेकिन ज्यादातर लोग तकनीकी जानकारी की कमी या कुछ गलती हो जाने के कारण असफलता के कारण हिम्मत हार जाते हैं। संस्थान में ट्रेनिंग के लिए आए बहुत से लोग ट्रेनिंग पूरी करके जानकारी ले लेते हैं, लेकिन इस कार्य के लिए सामग्री छोटा कर बैग बनाने में सफल नहीं हो पाते हैं। संस्थान ने रेडी टू फ्रूट बेड बनाकर मशरूम उत्पादन की विधि अत्यंत सरल कर दी साथ ही साथ आवश्यक ट्रेनिंग प्रदान करके तकनीकी गलतियों की संभावनाओं को भी कम किया।
संस्थान के निदेशक शैलेंद्र राजन बताते हैं, "इस ट्रेनिंग में 60 से अधिक लोगों ने भाग लिया, जिसमें सभी आयु वर्ग के लोग सम्मिलित थे। कुछ कॉलेज के विद्यार्थी तो कई रिटायर्ड अधिकारी थे जो मशरूम उगाने के लिए रूचि रखते है। इस ट्रेनिंग में 6 महिलाओं ने सम्मिलित होकर रेडी टू फ्रूट मशरूम बैग प्राप्त किए। कुछ लोग संस्थान में पहले ऑयस्टर मशरूम पर ट्रेनिंग कर चुके थे, लेकिन अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए दोबारा ट्रेनिंग में सम्मिलित हुए।"
प्रशिक्षण के दौरान अधिकतर लोगों ने अपने घर की आवश्यकता के लिए ही मशरूम उगाने में रुचि दिखाई लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जो व्यवसायिक रूप से इसे अपनाने के इच्छुक हैं। एक प्रशिक्षणार्थी को ऑयस्टर मशरूम उगाने का अनुभव है और उसी के आधार पर उन्हें प्रतिदिन 20 से 30 किलो दुधिया मशरूम हैदराबाद भेजने का ऑर्डर प्राप्त हो चुका है। वे चाहते हैं कि दूधिया मशरूम की खेती में भी अनुभव प्राप्त करके मशरूम की मांग को पूरा करें।
वो आगे बताते हैं, "अभी मशरूम केवल सर्दियों में ही लखनऊ के बाजारों में उपलब्ध रहता है, आमतौर पर लोग बटन मशरूम को ही जानते हैं और बहुत कम लोग ही ऑयस्टर और दूधिया मशरूम के बारे में जानते हैं। धीरे धीरे यह मशरुम भी प्रचलित हो जाने पर बाजार में उपलब्ध होंगे। ग्राहकों में धीरे धीरे मशरूम के इन उत्पादों मैं रूचि होने से मशरूम उत्पादकों को अच्छा दाम मिलने में कठिनाई नहीं होगी। कभी कभी अधिक मात्रा में मशरूम उत्पादन हो जाने पर उत्पादक को अच्छा बाजार नहीं मिल पाता है। ऐसी अवस्था में मूल्य संवर्धन द्वारा मशरूम को खराब होने से बचाया जा सकेगा।
कई लोगों की रुचि विषैले मशरूम के बारे में जानने की थी और कुछ ने यह भी जानना चाहा कि बरसात में अपने आप उगने वाले मशरूम क्या भोजन के लिए सुरक्षित हैं। कुछ को यह भी शंका थी की मशरूम में कीटनाशकों का प्रयोग होता है या नहीं यदि हां तो वह किस स्तर तक हानिकारक है। वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया बटन मशरूम में ठंड के मौसम में कीटनाशकों की आवश्यकता ना के बराबर पड़ती है परंतु अधिक तापक्रम होने पर उत्पादन करने में कभी-कभी रसायनों का प्रयोग आवश्यक हो जाता है। ऑयस्टर और दूधिया मशरूम की खेती में इस प्रकार की समस्या नहीं आती है।
संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पीके शुक्ला ने प्रायोगिक रूप से लोगों को रेडी टू फ्रूट बैग को किस तरह से उपयोग में लाए इसकी जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया की रेडी टू फ्रूट बैग केसे बनाया जा सकता है ? केशिंग मिट्टी का प्रयोग तथा नमी संरक्षित रखने के उपाय भी बताएं। प्लास्टिक के पाइप से बनाए गए एक सस्ते मॉडल का भी प्रदर्शन किया जिससे मशरूम उत्पादन में घर में सरलता रहेगी। प्लास्टिक पाइप से बनाया गया यह मॉडल 200 रुपए के अंदर बनाया जा सकता है और कई वर्ष तक प्रयोग में लाए जाने के लिए उपयुक्त है। कई लोगों ने यह भी जानना चाहा कि फिर दोबारा यह ट्रेनिंग कब होगी और नियमित रूप से हम रेडी टू फ्रूट मशरूम बैग केसे प्राप्त कर सकते हैं।
शैलेंद्र राजन, निदेशक
केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा, लखनऊ 226101
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान ने दूधिया मशरूम की रेडी टू फ्रूट बैग तकनीकी संस्थान ने विकसित की है जिससे इसकी खेती आसान हो जाए। संस्थान ने एक दिवसीय कार्यशाला में दूधिया मशरूम के रेडी टू फ्रूट बैग उपलब्ध कराएं और जानकारी भी दी की इन बैग से मशरूम की अच्छी उपज कैसे लें।
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मशरूम उत्पादन धीरे-धीरे लोकप्रिय होते जा रहा है लेकिन ज्यादातर लोग तकनीकी जानकारी की कमी या कुछ गलती हो जाने के कारण असफलता के कारण हिम्मत हार जाते हैं। संस्थान में ट्रेनिंग के लिए आए बहुत से लोग ट्रेनिंग पूरी करके जानकारी ले लेते हैं, लेकिन इस कार्य के लिए सामग्री छोटा कर बैग बनाने में सफल नहीं हो पाते हैं। संस्थान ने रेडी टू फ्रूट बेड बनाकर मशरूम उत्पादन की विधि अत्यंत सरल कर दी साथ ही साथ आवश्यक ट्रेनिंग प्रदान करके तकनीकी गलतियों की संभावनाओं को भी कम किया।
संस्थान के निदेशक शैलेंद्र राजन बताते हैं, "इस ट्रेनिंग में 60 से अधिक लोगों ने भाग लिया, जिसमें सभी आयु वर्ग के लोग सम्मिलित थे। कुछ कॉलेज के विद्यार्थी तो कई रिटायर्ड अधिकारी थे जो मशरूम उगाने के लिए रूचि रखते है। इस ट्रेनिंग में 6 महिलाओं ने सम्मिलित होकर रेडी टू फ्रूट मशरूम बैग प्राप्त किए। कुछ लोग संस्थान में पहले ऑयस्टर मशरूम पर ट्रेनिंग कर चुके थे, लेकिन अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए दोबारा ट्रेनिंग में सम्मिलित हुए।"
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प्रशिक्षण के दौरान अधिकतर लोगों ने अपने घर की आवश्यकता के लिए ही मशरूम उगाने में रुचि दिखाई लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जो व्यवसायिक रूप से इसे अपनाने के इच्छुक हैं। एक प्रशिक्षणार्थी को ऑयस्टर मशरूम उगाने का अनुभव है और उसी के आधार पर उन्हें प्रतिदिन 20 से 30 किलो दुधिया मशरूम हैदराबाद भेजने का ऑर्डर प्राप्त हो चुका है। वे चाहते हैं कि दूधिया मशरूम की खेती में भी अनुभव प्राप्त करके मशरूम की मांग को पूरा करें।
वो आगे बताते हैं, "अभी मशरूम केवल सर्दियों में ही लखनऊ के बाजारों में उपलब्ध रहता है, आमतौर पर लोग बटन मशरूम को ही जानते हैं और बहुत कम लोग ही ऑयस्टर और दूधिया मशरूम के बारे में जानते हैं। धीरे धीरे यह मशरुम भी प्रचलित हो जाने पर बाजार में उपलब्ध होंगे। ग्राहकों में धीरे धीरे मशरूम के इन उत्पादों मैं रूचि होने से मशरूम उत्पादकों को अच्छा दाम मिलने में कठिनाई नहीं होगी। कभी कभी अधिक मात्रा में मशरूम उत्पादन हो जाने पर उत्पादक को अच्छा बाजार नहीं मिल पाता है। ऐसी अवस्था में मूल्य संवर्धन द्वारा मशरूम को खराब होने से बचाया जा सकेगा।
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कई लोगों की रुचि विषैले मशरूम के बारे में जानने की थी और कुछ ने यह भी जानना चाहा कि बरसात में अपने आप उगने वाले मशरूम क्या भोजन के लिए सुरक्षित हैं। कुछ को यह भी शंका थी की मशरूम में कीटनाशकों का प्रयोग होता है या नहीं यदि हां तो वह किस स्तर तक हानिकारक है। वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया बटन मशरूम में ठंड के मौसम में कीटनाशकों की आवश्यकता ना के बराबर पड़ती है परंतु अधिक तापक्रम होने पर उत्पादन करने में कभी-कभी रसायनों का प्रयोग आवश्यक हो जाता है। ऑयस्टर और दूधिया मशरूम की खेती में इस प्रकार की समस्या नहीं आती है।
संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पीके शुक्ला ने प्रायोगिक रूप से लोगों को रेडी टू फ्रूट बैग को किस तरह से उपयोग में लाए इसकी जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया की रेडी टू फ्रूट बैग केसे बनाया जा सकता है ? केशिंग मिट्टी का प्रयोग तथा नमी संरक्षित रखने के उपाय भी बताएं। प्लास्टिक के पाइप से बनाए गए एक सस्ते मॉडल का भी प्रदर्शन किया जिससे मशरूम उत्पादन में घर में सरलता रहेगी। प्लास्टिक पाइप से बनाया गया यह मॉडल 200 रुपए के अंदर बनाया जा सकता है और कई वर्ष तक प्रयोग में लाए जाने के लिए उपयुक्त है। कई लोगों ने यह भी जानना चाहा कि फिर दोबारा यह ट्रेनिंग कब होगी और नियमित रूप से हम रेडी टू फ्रूट मशरूम बैग केसे प्राप्त कर सकते हैं।
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