बढ़ते तापमान में पशुओं का रखें ख्याल
Diti Bajpai | Apr 17, 2017, 16:11 IST
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। लगातार बढ़ते तापमान और गर्म हवाएं न सिर्फ इंसानों के लिए खतरा हैं, बल्कि पशुओं के लिए भी हानिकारक हैं। इस मौसम में अगर पशुओं का ख्याल न रखा तो दूध उत्पादन भी घट सकता है।
लखनऊ की उप प्रमुख पशुचिकित्साधिकारी डॉ. सीमा ने बताया, “मौसम का प्रभाव पशुओं पर सीधे असर डालता है। पशुओं को लू न लगे इसके लिए उनको नहला देना चाहिए। अगर आस-पास कोई नदी नहीं है तो घर में ही पाइप लगा के नहला देना चाहिए और सुबह जल्दी और शाम को देर से दूध दुहना चाहिए और जिस जगह पर पशु बंधे हैं उस जगह को ठंडा रखना चाहिये।”
उत्तर प्रदेश में तेज धूप निकलने से गर्मी में इजाफा हुआ है। मौसम विभाग ने अगले सप्ताह से लू चलने का अनुमान भी जताया है। ऐसे में लोगों की मुश्किलें तो बढ़ी हैं पशुओं के दूध उत्पादन में भी असर पड़ सकता है।
लू लगने को हम हीट स्ट्रोक भी कहते हैं। गर्मी के मौसम में हवा के गर्म थपेड़ों और बढ़े हुए तापमान से लू लगने का खतरा बढ़ जाता है। पशुओं में लू लगने के बाद के सावधानी को बरतने के बारे में डॉ. सीमा ने बताया, “लू लगने से पशुओं की आंख लाल हो जाती है। ऐसे में उनकी आंखों में गुलाबजल डालें और इसबगोल की भूसी पशुओं को खिलाएं। इसके अलावा पशुओं को रोटी में अजवाइन मिलाकर दें। अगर तब भी ठीक न हो तो पास के पशुचिकित्सालय में दिखा दें।”
सीमा आगे बताती हैं, “गर्मी के मौसम में हरे चारे की कमी रहती है। इसलिए पशुपालकों को हरे चारे की कमी को पूरा करने के लिए अप्रैल माह में मूंग, मक्का, आदि की बुवाई कर देनी चाहिए, जिससे गर्मी के मौसम में पशुओं को हरा चारा आसानी से मिल जाए और जिन पशुपालकों के पास सिंचित भूमि नहीं है, उन्हें समय से पहले हरी घास काटकर और सुखाकर तैयार कर लेना चाहिए। यह घास प्रोटीन युक्त, हल्की व पौष्टिक होती है।”
लखनऊ। लगातार बढ़ते तापमान और गर्म हवाएं न सिर्फ इंसानों के लिए खतरा हैं, बल्कि पशुओं के लिए भी हानिकारक हैं। इस मौसम में अगर पशुओं का ख्याल न रखा तो दूध उत्पादन भी घट सकता है।
लखनऊ की उप प्रमुख पशुचिकित्साधिकारी डॉ. सीमा ने बताया, “मौसम का प्रभाव पशुओं पर सीधे असर डालता है। पशुओं को लू न लगे इसके लिए उनको नहला देना चाहिए। अगर आस-पास कोई नदी नहीं है तो घर में ही पाइप लगा के नहला देना चाहिए और सुबह जल्दी और शाम को देर से दूध दुहना चाहिए और जिस जगह पर पशु बंधे हैं उस जगह को ठंडा रखना चाहिये।”
उत्तर प्रदेश में तेज धूप निकलने से गर्मी में इजाफा हुआ है। मौसम विभाग ने अगले सप्ताह से लू चलने का अनुमान भी जताया है। ऐसे में लोगों की मुश्किलें तो बढ़ी हैं पशुओं के दूध उत्पादन में भी असर पड़ सकता है।
लू लगने को हम हीट स्ट्रोक भी कहते हैं। गर्मी के मौसम में हवा के गर्म थपेड़ों और बढ़े हुए तापमान से लू लगने का खतरा बढ़ जाता है। पशुओं में लू लगने के बाद के सावधानी को बरतने के बारे में डॉ. सीमा ने बताया, “लू लगने से पशुओं की आंख लाल हो जाती है। ऐसे में उनकी आंखों में गुलाबजल डालें और इसबगोल की भूसी पशुओं को खिलाएं। इसके अलावा पशुओं को रोटी में अजवाइन मिलाकर दें। अगर तब भी ठीक न हो तो पास के पशुचिकित्सालय में दिखा दें।”
सीमा आगे बताती हैं, “गर्मी के मौसम में हरे चारे की कमी रहती है। इसलिए पशुपालकों को हरे चारे की कमी को पूरा करने के लिए अप्रैल माह में मूंग, मक्का, आदि की बुवाई कर देनी चाहिए, जिससे गर्मी के मौसम में पशुओं को हरा चारा आसानी से मिल जाए और जिन पशुपालकों के पास सिंचित भूमि नहीं है, उन्हें समय से पहले हरी घास काटकर और सुखाकर तैयार कर लेना चाहिए। यह घास प्रोटीन युक्त, हल्की व पौष्टिक होती है।”
पशुओं को लू से बचाने के उपचार
- जिस जगह भी पशुओं को रखे उस जगह हवा को आने जाने के लिए जगह मिले और शेड खुला हवादार हो।
- पशुपालकों को अपने पशुओं को रोज कम से कम दो बार नहलाना चाहिए।
- ज्यादा देर तक रखा हुआ पानी न पिलाएं। पशु को हमेशा ताजा पानी दे।
- जो पशुपालक डेयरी में अपने पशुओं को पाल रहे है वो उनके आवास में पंखे, कूलर और फव्वारा सिस्टम लगा सकते हैं।
- धूप में बिल्कुल भी न बांधे।
- लू की चपेट में आने पर पशु को तुरंत चिकित्सक को दिखाएं।
पशुओं में लू के लक्षण
- गाय-भैंस की नाक का सूखना।
- तेज बुखार।
- चारा न खाना।
- आंख का लाल होना।
- पतला दस्त आना।
- मुंह के आसपास झाग आ जाना। यह सभी लू लगने के लक्षण है।