कभी घर-घर जाकर चलाते थे आटा चक्की, आज बंजर भूमि में मछली पालन से कमा रहे लाखों

Anil Chaudhary | May 30, 2018, 08:55 IST
मुर्गी पालन में आय न के बराबर होने से उन्होंने मुर्गी पालन का व्यवसाय बंद कर दिया और इस भूमि पर खोदे गए तालाबों में मछली के बीज का व्यापार शुरू कर दिया।
#मछली पालन
पीलीभीत। कभी घर-घर जाकर आटा पीसने वाले जसपाल सिंह ने जब बंजर जमीन पर मछली पालन करने की शुरुआत की तो सभी को लगा कि कुछ नहीं कर पाएंगे, लेकिन आज वही जसपाल लाखों रुपए कमा रहे हैं।

पीलीभीत जिले की तहसील कलीनगर के टाइगर रिजर्व क्षेत्र से सटे गाँव चकपुर के प्रगतिशील किसान जसपाल सिंह 2005 तक एक मोबाइल आटा चक्की चलाकर गाँव में घर-घर जाकर आटा पीसा करते थे। घर की स्थिति बेहद दयनीय थी। साल 2005 में उन्होंने किसी तरह 50 हज़ार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से 14 एकड़ जमीन खरीदी। उस समय जिस पर घास ही घास थी।उस वक्त इस जमीन पर जो तालाब भी खुदे हुए थे। जहां अव्यवस्थित रूप से मछली पालन किया जाता था। लेकिन इन छोटे-छोटे तालाबों पर पाली जाने वाली मछली की बिक्री से होने वाली आमदनी से घर का खर्चा नहीं चल पा रहा था।

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जसपाल सिंह ने 10 वर्ष तक इस भूमि को कृषि योग्य बनाने के लिए जी तोड़ कोशिश की। जसपाल सिंह ने की लेकिन यह भूमि कृषि योग्य नहीं हो पाई। आखिरकार थक-हारकर 2015 में प्रगतिशील किसान जसपाल सिंह ने इस जमीन पर बड़े-बड़े इन तालाबों के एक हिस्से पर जालीदार लेंटर डाल कर मुर्गी पालन की शुरुआत कर दी।

जसपाल सिंह ने बताया, "मेरे मन में यह विचार इसलिए आया कि तालाब के ऊपर पिलर बनाकर जालीदार लींटर डालकर जिससे पोल्ट्री फार्म में मछली जाने वाली मुर्गियों के लिए मुर्गियां जो बीट करती थी। वह नीचे इन तालाबों में गिरकर मछलियों के भोजन का कार्य करती थी।"

मुर्गी पालन में आय न के बराबर होने से उन्होंने मुर्गी पालन का व्यवसाय बंद कर दिया और इस भूमि पर खोदे गए तालाबों में मछली के बीज का व्यापार शुरू कर दिया।

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जसपाल सिंह ने आगे बताया, "पिछले वर्ष मछली के बीज बेचकर 20 लाख रुपये की आमदनी की। आसपास के तालाबों वाले और शारदा सागर डैम में मछली पालन करने वाले ठेकेदार मुझसे बीज खरीद कर ले जाते हैं। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष मेरे पास कुशल कारीगर आ गए हैं। इस वर्ष मछली के बीज से आमदनी बढ़ने के आसार हैं।

सरदार जसपाल सिंह ने यह भी बताया कि मैं इस तालाब के चारों ओर पक्का फुटपाथ बनाऊंगा। तालाब के बीचो-बीच बंगाली हट डालकर पर्यटकों के लिए नौका विहार की व्यवस्था भी करूंगा।

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इसी इस तालाब में एक हैंगिंग कैंटीन की व्यवस्था भी शुरू करने जा रहा हूं जो एक आधुनिक नाव पर व्यवस्थित होगी। इसमें मोबाइल फोन के माध्यम से हटों में बैठे पर्यटक अपना ऑर्डर बुक कर सकेंगे। मोबाइल कैंटीन ऑर्डर तैयार कर हट तक पहुंचाने का कार्य भी करेगी। क्योंकि यह तालाब टाइगर रिजर्व के जंगलों से सटे हैं। बाहर से बाहर से आने वाले पर्यटक इन तालाबों के बीच बनी हटो में बैठकर जंगलों की छटा का भी आनंद ले सकेंगे।

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